बैंक ग्राहकों को एक फरवरी से पैसे ट्रांसफर करना पड़ेगा महंगा, क्यों हो रहा है ऐसा, जानें
Business News फरवरी की शुरुआत के साथ ही बैंक के नियमों में कुछ बदलाव आने वाले हैं। एक फरवरी से होने वाले बदलाव का बैंकों के ग्राहकों पर सीधा असर पड़ने वाला है। किस्त फेल होने पर भी बैंक चार्ज करेगा।
रांची, जागरण संवाददाता। Business News : नव वर्ष 2022 का पहला महीना यानि जनवरी को गुजरने में अब चंद रोज ही रह गए हैं। वहीं, दूसरे महीने यानी फरवरी की शुरुआत के साथ ही भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक के नियमों में कुछ बदलाव आने वाले हैं और एक फरवरी से होने वाले बदलाव का इन बैंकों के ग्राहकों पर सीधा असर पड़ने वाला है। ऐसे में अगर आप एसबीआई और पीएनबी के ग्राहक हैं तो पहले से ही सतर्क रहने की आवश्यकता है।
जानकारी के मुताबिक एक फरवरी से एसबीआई और पीएनबी अपने ग्राहकों के लिए पैसों के ट्रांजेक्शन से संबंधित बदलाव लाने जा रहे हैं। एक और जहां एसबीआई के ग्राहकों को पैसे ट्रांसफर करना महंगा पड़ने वाला है। तो दूसरी ओर डेबिट फेल होने पर पीएनबी भी चार्ज करने वाला है। आइए आपको बता दें कि किस पर कितना लगेगा चार्ज।
एक फरवरी से एसबीआई पैसे ट्रांसफर करने पर लेगा अधिक शुल्क
भारतीय स्टेट बैंक(एसबीआई) के वेबसाइट के मुताबिक बैंक से अब पैसों का ट्रांसफर महंगा पड़ने वाला है। एसबीआई ने एक फरवरी से आइएमपीएस ट्रांजेक्शन में एक नया स्लैब जोड़ दिया है, जो दो से पांच लाख रुपये का है। यानि कि आपको अगले महीने की पहली तारीख से दो से से पांच लाख रुपये के बीच बैंक शाखा से पैसे भेजने का शुल्क 20 रुपये के साथ जीसटी भी देना होगा।
डेबिट फेल होने पर पीएनबी चार्ज करेगा 250 रुपये
दूसरी ओर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) भी एक फरवरी से किसी किस्त या निवेश के डेबिट अकाउंट में पैसा न होने की वजह से फेल होता है, तो इसके लिए 250 रुपये चार्ज करेगा। अभी तक इसके लिए 100 रुपये का चार्ज लगता है। यानि कि पीएनबी के इस बदलाव के कारण ग्राहकों ग्राहकों की जेब पर अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ेगा। वहीं, जानकारी के मुताबिकअगर आप डिमांड ड्राफ्ट को रद कराते हैं तो 150 रुपये देने होंगे। इसके लिए बैंक अब तक 100 रुपये चार्ज करता था।
स्थानीय स्तर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है : एसबीआई प्रबंधक
एसबीआई के मुख्य प्रबंधक (एसएंडबीडी) रंजीत प्रसाद साहू ने बताया कि ये पॉलिसी मेकिंग की बात है। बैंकों में समय-समय पर नियमों में बदलाव होते हैं। हालांकि इस तरह के बदलाव उच्च स्तर पर होते हैं। इसलिए स्थानीय स्तर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है।