चर्चा में है माननीय का बयान, Coronavirus से की CAA की तुलना, भड़के भाजपाई
विधायक बंधु तिर्की का विवादित बयान हंगामे का सबब बना। कहा कि सीएए एनपीआर और एनआरसी का वायरस देश में कोरोना वायरस से ज्यादा फैला है। काला कानून करार देते हुए चर्चा की मांग की।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड विधानसभा में सीएए, एनपीआर और एनसीआर पर मंगलवार को विधायक बंधु तिर्की का विवादित बयान हंगामे का सबब बना। विधानसभा की कार्यवाही आरंभ होते ही वे उठ खड़े हुए और कहा कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी का वायरस देश में कोरोना वायरस से ज्यादा फैला है। उन्होंने इसे काला कानून करार देते हुए चर्चा की मांग की। इसपर एकबारगी सदन में शोरगुल आरंभ हो गया। भाजपा के विधायकों ने इसका जमकर विरोध किया और नारेबाजी करते हुए वेल में चले आए।
भाजपा विधायकों ने जोर-जोर से जयश्री राम के नारे लगाए और सरकार के खिलाफ बोलने लगे। पहली पाली के बाद दूसरी पाली में भी भाजपा विधायकों ने तब हंगामा किया जब झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने पूर्व सीएम रघुवर दास पर टिप्पणी की। कहा कि उन्होंने आदिवासियों को झारखंड से भगाने का संकल्प लिया था। पहली पाली में विधायक अनंत ओझा ने सीएए के समर्थन में लोहरदगा में निकाली गई रैली पर हमले का मामला उठाते हुए कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिसे स्पीकर ने नामंजूर कर दिया।
अनंत ओझा ने कहा कि लोहरदगा में सीएए के समर्थन में निकाले गए जुलूस पर पथराव किया गया। सरकार की अनदेखी के कारण उपद्रवियों ने घरों और दुकानों को निशाना बनाया। पुलिस इस मामले में पक्षपात कर रही है। भाजपा विधायक विरंची नारायण, रणधीर कुमार सिंह, राज सिन्हा, अनंत ओझा, नवीन जायसवाल, नीरा यादव, अपर्णा सेनगुप्ता आदि वेल में आ गए और जोर-जोर से बोलने लगे। इसपर झारखंड विकास मोर्चा के विधायक प्रदीप यादव ने आसन को इंगित करते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी ने भरोसा दिलाया था कि भाजपा के विधायक वेल में नहीं जाएंगे।
इसपर बाबूलाल मरांडी उठ खड़े हुए। मरांडी ने कहा कि उन्होंने नेता प्रतिपक्ष की मान्यता के सवाल पर किसी भाजपा विधायक के वेल में नहीं जाने का भरोसा दिलाया था। वे खुद लोहरदगा गए थे। वहां जुलूस पर साजिश के तहत हमले किए गए। इसपर सत्तापक्ष के विधायक भड़क गए और इसका विरोध किया। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई विधायक एक-दूसरे की ओर से इशारा कर जोर-जोर से बोलते नजर आए। पूरा सदन हंगामे में डूब गया।
स्पीकर ने कई बार सदन में व्यवस्था का आग्रह किया
स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने कहा कि पहले विधायक सदन को व्यवस्थित करें। प्रश्नकाल बाधित हो रहा है। इस बीच रणधीर कुमार सिंह सत्ता बेंच की ओर चले गए और जोर-जोर से बोलने लगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसपर हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन भाजपा के विधायक शांत नहीं हुए। स्पीकर के बार-बार आग्रह के बाद भाजपा के विधायक अपनी सीट पर वापस लौटे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सदन को मछली बाजार न बनाएं। वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि अपनी बात कैसे रखें। यह भी कहा कि शोरगुल में किसी की बातें नहीं सुनाई पड़ रही है। एक-एक कर सभी विधायक बोलेंगे तो मामला समझ में आएगा। इसपर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वे चाहते हैं कि सदन की कार्यवाही सुचारू तरीके से चले। लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम की घटना चिंतनीय है।
सीएम को लेना पड़ा दूसरी माइक का सहारा
विधानसभा में हो-हल्ला के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब बोलने के लिए उठे तो उनके माइक से आवाज नहीं आ रही था। वे इससे खिन्न दिखे और बगल में बैठे मंत्री आलमगीर आलम की माइक का सहारा लिया।
रघुवर ने आदिवासियों को झारखंड से भगाने का संकल्प लिया था : लोबिन
विधानसभा के बजट सत्र की दूसरी पाली में महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा तथा अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने पिछली रघुवर सरकार पर आदिवासी विरोधी होने के आरोप लगाए। उन्होंने जैसे ही कहा कि रघुवर सरकार ने आदिवासियों को झारखंड से भगाने का संकल्प ले लिया था, भाजपा विधायक भड़क उठे। उनके द्वारा मूल विषय से हटकर इस तरह वक्तव्य देने की निंदा करते हुए विपक्ष के कुछ विधायक वेल में भी पहुंच गए। लगभग आधे घंटे तक सदन में हंगामा होता रहा।
लोबिन ने यह भी कहा कि राज्य गठन से पहले बिहार विधानसभा में यह कहा गया था कि जबतक झारखंड का पूरा विकास नहीं हो जाता तबतक आदिवासी ही मुख्यमंत्री बनेगा, लेकिन भाजपा ने गैर आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाने का काम किया। अनुदान मांग पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक ने भी लोबिन पर पलटवार करते पूछा कि झारखंड को किसने दिल्ली में बेचा था, इसे भी उन्हें बताना चाहिए। अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान विधायक बंधु तिर्की और रणधीर सिंह में तू-तू मैं-मैं हुई। अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक तो सदन में रहे, लेकिन सरकार के उत्तर के समय भाजपा विधायकों ने सदन का बहिष्कार किया।