हेमंत के नाम बाबूलाल की चिट्ठी, ये अफसर आपको बदनाम कर रहे; यहां पढ़ें चिट्ठी हू-ब-हू
Babulal Marandi wrote letter to CM Hemant Soren अफसरों पर विधायकों के आवास आवंटन में खुलकर मनमानी का आरोप लगाते हुए बाबूलाल ने सीएम हेमंत सोरेन को कड़ी चिट्ठी लिखी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। कोरोना वायरस से सहमे झारखंड में अब लॉकडाउन में मिली छूट के बाद राजनीति भी अनलॉक हो गई है। यहां पार्टियां अब खुलकर सियासी आरोप-प्रत्यारोप में जुटी है। महामारी जमकर एक-दूसरे के खिलाफ हमले बोले जा रहे हैं। भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मुखर होते हुए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। अफसरों पर विधायकों के आवास आवंटन में खुलकर मनमानी का आरोप लगाते हुए बाबूलाल ने सीएम हेमंत सोरेन को कड़ी चिट्ठी लिखी है। यहां पढ़ें बाबूलाल की सीएम हेमंत को चिट्ठी हू-ब-हू...
माननीय मुख्यमंत्री जी,
मैं आपका ध्यान राज्य में मंत्रियों एवं विधायकों को किए जा रहे आवास आवंटन में नियम-कानून को पूरी तरह ताक पर रखकर बरती जा रही असमानता और भेदभाव की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूं। राज्य का आवास मंत्रालय आपके अधीनस्थ भी है। सरकार के अधिकारी निरंकुश व स्वच्छंद तरीके से आवास आवंटन कर रहे हैं। अधिकारियों द्वारा आवास आवंटन में जो रवैया व मापदंड अपनाया जा रहा है, वह उचित नहीं है। इससे राज्य में एक अलग प्रकार की प्रवृति के अंकुरण से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
देखने में आ रहा है कि कई नए-नवेले विधायकों को उच्च श्रेणी का आवास मुहैया कराया गया है जबकि दो-दो, तीन-तीन बार जीतकर आने वाले विधायकों को उससे निम्न श्रेणी का आवास आवंटित किया जा रहा है। यहां तक कि कुछ नये विधायकों को मंत्री स्तर तक का आवास दिया जा रहा है। वहीं कुछ पुराने विधायकों को आवास खाली कराकर वर्तमान से छोटे कैटेगरी के आवास में भेजा जा रहा है।
भारत सरकार सहित सभी राज्यों में भी आवास आवंटन का नियम बना हुआ है। उसी नियम के अनुरूप आवासों का आवंटन होता है, होना भी चाहिए। परंतु यहां तो सारे नियमों को ताक पर रखकर संबंधित अफसर आवास आवंटन कर रहे हैं। पता नहीं, यह सब आपके संज्ञान में है भी या नहीं। यह एक काफी गंभीर मुद्दा है। साथ ही वरिष्ठ विधायकों के मान-सम्मान से भी जुड़ा मामला है।
कायदे से तो होना यह चाहिए था कि जो भी पुराने विधायक जीतकर आए हैं, उनके आवास के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए था। पूर्व में आंवटित आवास को ही उनके लिए छोड़ देना चाहिए था। परंतु आपके अधिकारी उनको भी परेशान कर रहे हैं। इससे भी आश्चर्य की बात है कि इस प्रकार की भेदभाव वाली कार्रवाई के संबंध में पूछे जाने पर ये अधिकारी इसके लिए आपका हवाला देते हैं।
उनका कहना है कि हमलोगों के स्तर से कुछ नहीं हो रहा है, जो भी हो रहा है वह मुख्यमंत्री के स्तर से हो रहा है। आपके अधिकारी आपको बदनाम कर रहे हैं या फिर अधिकारियों के इस कथन में कितनी सच्चाई है, यह तो आप ही जानें। पंरतु यह उचित नहीं है। अधिकारियों द्वारा खासकर सत्तापक्ष के विधायकों के मामले में जरूरत से कुछ अधिक ही दरियादिली दिख रही है।
आप तो स्वयं अनुभवी हैं। पुरानी सरकारों के द्वारा कभी आपके साथ या किसी के साथ ऐसा भेदभाव नहीं किया गया। यह परंपरा अच्छी नहीं है। आवास आवंटन का क्या मापदंड है, यह तो आपके अधिकारी या फिर आप जानें। परंतु मेरा मानना है कि इसमें पूर्वाग्रह और दलगत भावना से ऊपर उठकर निर्णय लेनी चाहिए। सत्तापक्ष और विपक्षी विधायकों को अलग-अलग चश्मे से देखने की बजाय वरीयता को मापदंड बनानी चाहिए। इसे निरंकुश व स्वच्छंद तरीके से नहीं होने दें। इसको तुरंत ठीक करें। अन्यथा यह बहुत बड़ा विवाद व असंतोष का मुद्दा बनेगा। जरूरत पड़ेगी तो भाजपा, पार्टी स्तर पर और विधानसभा सत्र में भी इसका जोरदार विरोध करेगी।
मुख्यमंत्री जी, मेरा आपसे अनुरोध है कि यह असमानता राज्य में एक बड़े असंतोष को बढ़ावा देगा। मेरा यह भी आग्रह होगा कि जो पुराने विधायक जीतकर आएं हैं, उनको डिस्टर्ब नहीं किया जाए। सत्ता तो आनी-जानी है परंतु जो आदर्श परंपरा चली आ रही है, वह टूटनी नहीं चाहिए। स्वच्छ व आदर्श परंपरा के हिमायती होने की बात आप भी करते रहे हैं। उम्मीद करता हूं कि इस मामले में इसी आदर्श परंपरा की छाप भी दिखे।
सधन्यवाद !
(बाबूलाल मरांडी)