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एटॉमिक एनर्जी ने दिया एचईसी के टेकओवर का प्रस्ताव, लौटेगा पुराना गौरव

रांची : कभी झारखंड और रांची की शान कहे जाने वाले हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) क

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Aug 2018 02:42 PM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 02:42 PM (IST)
एटॉमिक एनर्जी ने दिया एचईसी के टेकओवर का प्रस्ताव, लौटेगा पुराना गौरव
एटॉमिक एनर्जी ने दिया एचईसी के टेकओवर का प्रस्ताव, लौटेगा पुराना गौरव

रांची : कभी झारखंड और रांची की शान कहे जाने वाले हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) की हालत खराब होने के बाद इसके बंद होने और बेचे जाने की लगातार आती खबरों के बीच एक अच्छी खबर आई है। केंद्र के डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी (डीएई) ने एचईसी के अधिग्रहण का प्रस्ताव दिया है। गुरुवार को केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते ने राज्यसभा में भाजपा सासद समीर उराव के प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी।

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एचईसी, भारी उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाला पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू) है। यदि डीएई, एचईसी को टेकओवर करता है तो तेजी से बढ़ते परमाणु ऊर्जा सेक्टर के लिए इसके इंफ्रास्ट्रक्चर और मैनपावर का इस्तेमाल इस रुग्ण इकाई में नई जान डाल सकता है। साथ ही इस पीएसयू से सीधे तौर पर जुड़े 5000 और परोक्ष रूप से जुड़े 2500 से ज्यादा लोगों के रोजगार पर मंडरा रहा संकट समाप्त हो सकता है। सांसद समीर उरांव ने राज्यसभा में उठाया था मामला सासद समीर उराव ने राज्यसभा में प्रश्न उठाया था कि एचईसी की बीमार हालत को देखते हुए केंद्र सरकार इसके पुनरुद्धार के लिए क्या कोई योजना बना रही है। इस पर मंत्री अनंत गीते ने कहा कि डीएई, एचईसी को टेकओवर करना चाहता है। ऐसा प्रस्ताव डीएई की तरफ से आया हुआ है। यदि डीएई टेकओवर करता है तो एचईसी से जुड़े हजारों लोगों के रोजगार पर मंडरा रहा संकट खत्म हो जाएगा। 1958 में हुई थी एचईसी की स्थापना, तब यह थी मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्री एचईसी की स्थापना 31 दिसंबर 1958 को हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 15 नवंबर 1963 को कंपनी को राष्ट्र को समर्पित की थी। आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू रूस गए थे, वहा उन्होंने भारी मशीनें और कंपनी देखी, तो भारत में भी ऐसी कंपनी की स्थापना का विचार किया। कंपनी स्थापित करने के लिए उन्होंने राची को चुना। पाच साल के अंदर 15 नवंबर 1963 में इसकी शुरुआत हो गई। उस वक्त इसे मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्री कहा गया। आज मदर ऑफ इंडस्ट्री पर संकट के बादल हैं।

एचईसी इस्पात, खनन, रेलवे, ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु और सामरिक क्षेत्रों के लिए भारत में पूंजीगत उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। यह 2100,000 वर्ग मीटर में फैला है। इस कंपनी से सिर्फ सरकार की ही नहीं बल्कि वैसे लोगों की भी उम्मीदें जुड़ी है जिन्होंने अपनी जमीन देकर कंपनी को स्थापित करने में योगदान दिया है। अभी एचईसी में 1600 स्थायी कर्मचारी हैं, जबकि 3400 कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं। देश को जब जरूरत पड़ी एचईसी ने हमेशा दिया साथ

एचईसी भारत के कई युद्ध और देश की तरक्की के लिए उठाये गए कई कदम में हमेशा साथ रहा। 1971 के युद्ध में इंडियन माउंटेन टैंक, 105 एमएम गैन बैरल का निर्माण,105 एमएम गैन बैरल का निर्माण, टी- 72 टैंक की कास्टिंग, 120 एमएम गन का हीट ट्रीटमेंट और मशीनिंग ,आईएनएस राणा के लिए गियर सिस्टम का निर्माण, युद्धपोत के लिए आरमर प्लेट का निर्माण, आधुनिक रडार का निर्माण, परमाणु पनडुब्बी के महत्वपूर्ण उपकरण का निर्माण जैसे कई महत्वपूर्ण कायरें को एचईसी ने जिम्मेदारी के साथ निभाया है। चंद्रयान-जीएसएलवी के लिए लॉन्च पैड बनाने में भी एचईसी की भूमिका रही। रक्षा मंत्रालय से टैंकों को और बेहतर करने की जिम्मेदारी भी उठाता रहा है।

टेकओवर से मिलेगी नई ऊर्जा एटॉमिक एनर्जी डिपार्टमेंट अगर एचईसी को टेकऑवर करता है, तो एचईसी के बेहतर भविष्य के लिए इससे बड़ा अवसर और नहीं होगा। एचईसी पहले एटॉमिक एनर्जी के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपकरण बना चुका है। कंपनी ने एटॉमिक पनडुब्बी के लिए एक महत्वपूर्ण फोर्जिंग की थी। इसकी वजह से भारत, ऐसी फोर्जिंग बनाने वाला पाचवा देश बना था। एचईसी बेहतर तकनीक और एटॉमिक सेक्टर के उपकरण बनाने मे दक्षता रखता है। दूसरी ओर कंपनी की बंदी जैसी बातों पर भी विराम लगेगा। कर्मचारियों में नई ऊर्जा का प्रवाह होगा। जिन्हें अपनी नौकरी जाने का डर सता रहा है वह भी दूर हो जाएगा। यह भी हो सकता है कि भविष्य में रोजगार के अवसर भी पैदा हों।

- जीके पिल्लई, पूर्व सीएमडी, एचईसी

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ये है प्रस्ताव के आगे की प्रक्रिया एचईसी, भारी उद्योग मंत्रालय के तहत आता है। एटॉमिक एनर्जी डिपार्टमेंट के टेकओवर प्रस्ताव को पहले मंत्रालय की हरी झडी चाहिए होगी। विभाग के मंत्री राज्यसभा में इस प्रस्ताव को अच्छा बता चुके हैं, इसलिए भविष्य में इसे लेकर कोई अड़चन नहीं आनी चाहिए।

कमीशन की मंजूरी के बाद पीएमओ से लगेगी अंतिम मुहर टेकओवर का प्रस्ताव एटॉमिक एनर्जी कमीशन के पास जाएगा। कमीशन इस प्रस्ताव के अच्छे और बुरे हर पहलू का बारीकी से अध्ययन करवाएगा। अध्ययन में पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद कमीशन प्रस्ताव को मंजूरी देगा, ताकि आगे की कार्रवाई हो सके।

एटॉमिक एनर्जी कमीशन सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है। कमीशन की मंजूरी मिली तो टेकओवर का ये प्रस्ताव पीएमओ के पास जाएगा। यहा इस प्रस्ताव पर सभी संबंधित विभागों से अंतिम राय ली जाएगी। पीएमओ की मुहर के बाद टेकओवर करने की प्रक्त्रिया शुरू हो जाएगी।


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