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दिखाई एकता, एक स्वर में गाया जन गण मन, बुलंद किया करो या मरो का नारा

रविवार की रात में ही यह तय हो गया था कि अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो आत्महत्या कर लेंगे लेकिन आंदोलन बीच में छोड़कर नहीं जाएंगे। मंत्री ने सरकार की ओर से अनुबंध दो साल बढ़ाने और मानदेय बढ़ाकर कर 13 हजार रुपये करने का...

By Vikram GiriEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 08:47 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 08:47 PM (IST)
दिखाई एकता, एक स्वर में गाया जन गण मन, बुलंद किया करो या मरो का नारा
अपनी मांगों को लेकर मोरहाबादी मैदान में सावधान की मुद्रा में खड़े आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मी। जागरण

रांची (जागरण संवाददाता) । अपनी मांगों को लेकर राजधानी के माेरहाबादी मैदान में डटे सहायक पुलिसकर्मियों ने सोमवार को एक बार फिर अपनी चट्टानी एकता का परिचय दिया। हर तरफ से विपरीत परिस्थितियों से घिरे आंदोलनकारियों ने सोमवार की शाम को शरीर पर अपनी वर्दी चढ़ाकर समवेत स्वर में जन गण मन... का गान किया। इसके बाद इस घनघोर महंगाई के जमाने में 10 हजार रुपये में जिंदगी नहीं चल पाने का हवाला देते हुए आंदोलनकारियों ने करो या मरो का नारा बुलंद किया। बताते चलें कि आंदोलन का नेतृत्व कर रहे गिरिडीह के अजय मंडल पर आंदोलन को सरकार के हाथों बेचने का आरोप लगाते हुए आगे चले या नहीं, इसको लेकर रविवार की देर रात तक मंथन हुआ था।

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एक पक्ष आंदोलन समाप्त करने, जबकि दूसरा पक्ष आंदोलन जारी रखने के पक्ष में था। इसको लेकर हो-हंगामा भी हुआ। आपसी विवाद को देखते हुए कई जिले के सहायक पुलिसकर्मियों ने खुद को आंदोलन से दूर कर लिया। अजय मंडल को महिला कर्मियों ने खूब खरी खोटी सुनाई। रविवार की रात में ही यह तय हो गया था कि अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो आत्महत्या कर लेंगे, लेकिन आंदोलन बीच में छोड़कर नहीं जाएंगे। मंत्री ने सरकार की ओर से अनुबंध दो साल बढ़ाने और मानदेय 10 हजार से बढ़ाकर कर 13 हजार रुपये करने का प्रस्ताव भी दिया था। सोमवार को आंदोलन में शामिल पश्चिमी सिंहभूम के 40 से 50 सहायक पुलिसकर्मी सोमवार को लौट भी गए।

लेकिन, रविवार की रात और सोमवार की सुबह डगमगाया आंदोलनकारियों का जोश सोमवार की दोपहर के बाद एक बार फिर उफान पर था। मंत्री से मिलने गए आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं को दल से बाहर का रास्ता दिखाने की रणनीति भी तय कर ली। संभवत: मंगलवार तक नये नेता की घोषणा भी हो जाएगी। गढ़वा से आंदोलन में शामिल सुमित विश्वकर्मा ने कहा कि आंदोलन सकारात्मक निर्णय होने तक चलेगा। आंदोलन में शामिल जब सभी 12 में 11 जिलों के लोग चले जाएंगे, तब हम लोग मोरहाबादी मैदान छोड़ेंगे। आंदोलन को कोई खरीद नहीं सकता, कोई बेच नहीं सकता। जो थोड़े लोग अपने घरों को गए हैं, वे अपने व्यक्तिगत कारणों से गए हैं। वे जरूर लौटेंगे। उन्होंने कुछ मीडिया चैनलों में गलत खबर प्रसारित करने और आंदोलन को कमजोर करने का गंभीर आरोप भी लगाया।


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