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एशिया के सबसे बड़े 'मगध कोल प्रोजेक्ट' पर ओवर बर्डन का संकट, रैयतों का मुंह ताक रहा CCL

सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) की एशिया की सबसे बड़ी कोयला परियोजना मगध कोल प्रोजेक्ट में बीते 11 दिनों से खनन कार्य ठप है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 11:52 AM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 12:21 PM (IST)
एशिया के सबसे बड़े 'मगध कोल प्रोजेक्ट' पर ओवर बर्डन का संकट, रैयतों का मुंह ताक रहा CCL
एशिया के सबसे बड़े 'मगध कोल प्रोजेक्ट' पर ओवर बर्डन का संकट, रैयतों का मुंह ताक रहा CCL

रांची, [जागरण स्‍पेशल]। एशिया के सबसे बड़े कोल प्रोजेक्ट 'मगध कोल प्रोजेक्‍ट' पर ओवर बर्डन का संकट आ खड़ा हुआ है। यहां काम कर रही कंपनी अपशिष्‍ट निपटाने के लिए एक-एक इंच जमीन की मोहताज हो गई है। हालांकि सेंट्रल कोलफील्‍डस लिमिटेड अब भी कंपनियों को उम्‍मीदें बंधाने में लगा है, लेकिन 11 दिन से खनन कार्य बंद रहने के कारण हर कोई निराश है। सीसीएल ने पत्‍थर-मिट्टी आदि ओबी को हटाने में लगी आउटसोर्सिंग कंपनी वीपीआर के मशीनें हटाने पर चुप्‍पी साध रखी है।

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अब तक की जानकारी के मुताबिक एशिया के सबसे बड़े कोल प्रोजेक्ट से वीवीआर कंपनी अपना बोरिया-बिस्तर बांधने लगी है। यहां से छह मशीनें और 16 हाइवा अब तक हटाए जा चुके हैं। फिलहाल मगध कोल प्रोजेक्ट में ओवर बर्डन रखने के लिए एक इंच जगह नहीं मिल रही। जमीन देने से रैयतों ने साफ इन्कार कर दिया है। इस बीच कंपनी ने सीसीएल अधिकारियों पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है।

इधर खान विभाग, भारत सरकार के सचिव अबु बकर सिद्दीख ने इस पूरे मामले में कहा कि अब तक किसी भी पक्ष ने मदद के लिए सरकार का दरवाजा नहीं खटखटाया है। ओवर बर्डन क्लियर करने वाली कंपनी की आवश्‍यकताओं की जानकारी मिलने पर खान विभाग जरूरी कदम उठाएगा। इस बीच रैयतों ने साफ कर दिया है कि भूमि का मुआवजा और नौकरी देने की स्थिति में ही वे अपनी जमीन सीसीएल को ओबी के लिए देंगे।

रैयतों से अपरोध जारी रहने की स्थिति में पांच करोड़ रुपये का नुकसान उठा चुकी अपशिष्‍ट हटाने वाली कंपनी वीवीआर ने कहा कि काम बंद रहने से रोज 50 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। बता दें कि चतरा के टंडवा में काम बंद होने से अभी लातेहार जिले के आरा और चपातू में ही खनन कार्य हो रहा है। यहां माइंस से रोजाना औसतन 15 हजार टन ही कोयला निकाला जा रहा है। जबकि सामान्‍य स्थिति में मगध प्रोजेक्‍ट में रोजाना औसतन 40 हजार टन कोयला निकाला जाता रहा है।

2016 में शुरू हुआ था मगध कोल प्रोजेक्‍ट

मगध कोल प्रोजेक्‍ट वर्ष 2016 में शुरू हुआ था। चतरा जिले के टंडवा से लेकर लातेहार के आरा-चपातू तक इसका फैलाव है। इस खदान में ओपन कास्‍ट माइंस प्रक्रिया से कोयला निकाला जाता है। ऐसे में यहां बड़ी मात्रा में ओवर बर्डन भी निकलता है। इन अपशिष्‍टों के निपटान के लिए प्रोजेक्‍ट के नजदीक ही बड़े भू भाग की जरूरत होती है। यहां नजदीक के गांव देवलगड़ा के रैयतों से सीसीएल की इस बारे में बात हुई थी, लेकिन मुआवजा-नौकरी के आश्‍वासन पर बात आगे नहीं बढ़ पाने से ओवर बर्डन निपटाना बड़ा संकट बन गया है।


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