झारखंड के लगभग 7 लाख अवैध घर होंगे वैध, बिना नक्शा पास कराए बने मकानों को होगा फायदा
Jharkhand Hindi Samachar. सरकार की प्रस्तावित नीति में काफी रियायत देकर अधिक से अधिक लोगों को फायदा पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। 40 शहर के लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
रांची, जासं। सरकार झारखंड के शहरों में लगभग सात लाख अवैध मकानों को वैध करने के लिए नई नीति लाने की तैयारी कर रही है। नगर विकास विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसके प्रावधान तय करने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की अध्यक्षता में हाइपावर कमेटी गठित करने की योजना है। हाइपावर कमेटी इससे जुड़े सभी पहलुओं के अध्ययन के बाद नए सिरे से अवैध मकानों को नियमित करने के नियम तय करेगी।
सरकार की प्रस्तावित नीति में काफी रियायत देकर अधिक से अधिक लोगों को फायदा पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। इसका फायदा प्रदेश के लगभग 40 शहरों में बिना नक्शा पास कराए मकान बनानेवाले या नक्शे का उल्लंघन कर मकान बना चुके लोगों को होगा। हाइपावर कमेटी अवैध मकानों के ज्यादा से ज्यादा कारणों की पड़ताल करेगी। इस आधार पर इन्हें नियमित करने के उपाय सुझाएगी।
सितंबर 2019 में लाई गई नीति में खामी के कारण लोगों ने अपने अवैध मकानों को नियमित कराने में रुचि नहीं दिखाई। 26 मार्च तक इसके लिए आवेदन करने की समय-सीमा थी। उस समय तक काफी कम आवेदन आए। इसी बीच कोरोना काल आने के बाद तीन महीने की समय-सीमा और बढ़ाई गई। बढ़ी समय-सीमा भी 26 जून को समाप्त हो गई।
इसके बावजूद पूरे प्रदेश से मात्र तीन सौ के आस-पास आवेदन आए। पहले के समय लाई गई नीति में तीन मंजिले मकानों तथा पांच हजार वर्गफुट तक के मकानों को नियमित करने का प्रावधान किया गया था। इसके लिए काफी शर्तें रखी गई थीं। अधिकतर मकान उन शर्तों को पूरा नहीं करते हैं या शर्तों को पूरा करने के लिए मकान के ढांचे में काफी बदलाव की जरूरत है। इस कारण ये लोग अपने मकान के नियमितिकरण की प्रक्रिया में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसके अलावा इसका शुल्क भी अधिक रखा गया है।
किसे कहते हैं अवैध मकान
- वे मकान जिनके बनाने से पहले उनका नक्शा नहीं पास कराया गया है।
- नक्शा पास कराने के बावजूद उसका पालन नहीं किया गया है।
झारखंड सरकार के पास अभी तक इसका सटीक आंकड़ा नहीं है कि आखिर प्रदेश में अवैध मकानों की कितनी तादाद है। लगातार उग रही अवैध कॉलोनियों की स्थिति भी गंभीर है। एक अनुमान के मुताबिक झारखंड के शहरों के लगभग सात लाख अवैध मकानों में से दो लाख के आस-पास अकेले रांची में है। यहां बिहार के जमाने से लेकर तीन दशक तक नगर निकायों का चुनाव नहीं हुआ।
इस कारण नगर निकायों का खस्ताहाल प्रबंधन नक्शा पास करने की प्रणाली मजबूत नहीं कर सका। 2009-10 में रांची नगर निगम की ओर से अवैध मकानों को वैध करने के लिए जो नियम बनाए गए, वे इतने कठोर थे कि लोग आगे नहीं आए। इसके बाद 2019 के सितबंर में लाए गए प्रावधानों का भी यही हश्र हुआ।