रिम्स परिसर में अतिक्रमण पर गरजा बुलडोजर, दुकानदारों ने किया हंगामा
ढाई घंटे तक चले अभियान में हटाई गईं 110 झोपड़ीनुमा दुकानें। जागरण संवाददाता रांची
- ढाई घंटे तक चले अभियान में हटाई गईं 110 झोपड़ीनुमा दुकानें
जागरण संवाददाता, रांची : नगर निगम की ओर से बुधवार को रिम्स परिसर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया। इस दौरान अस्थाई दुकानों पर बुल्डोजर गरजा। अभियान शुरू होते ही दुकानदारों ने विरोध करते हुए जमकर हंगामा किया। उनका कहना था कि दुकानें तोड़ दी जाएंगी तो वो क्या करेंगे, कहां जाएंगे। कैसे अपना पेट पालेंगे। उन्हें रिम्स के पूर्व निदेशक ने दुकानें लगाने को कहा था। इसलिए वो दुकान लगा कर अपना पेट पाल रहे थे। अतिक्रमण हटाने पहुंचे दस्ते ने दुकानदारों की एक नहीं सुनी। नगर निगम की टीम के साथ मौजूद पुलिस कर्मियों और सैप के जवानों ने लाठी भांज कर दुकानदारों को भगा दिया। इसके बाद एक-एक कर दुकानें तोड़ दीं। नगर निगम की टीम पौने 12 बजे अतिक्रमण हटाने के लिए रिम्स पहुंची। टीम ने दुकानों में मौजूद बेंच और अन्य सामान को जब्त कर लिया। इन सामान को बकरी बाजार स्थित नगर निगम के स्टोर में भेज दिया गया।
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आपस में ही भिड़ गए सैप व नगर निगम के इंफोर्समेंट टीम के जवान
रिम्स में अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान जब दुकानदार हंगामा कर रहे थे तो सैप और नगर निगम की इंफोर्समेंट टीम के साथ आए जवान आपस में ही उलझ गए। इंफोर्समेंट टीम के जवान को सैप का जवान रोक रहा था। इसी बात को लेकर दोनों में बहस हो गई। हालांकि, तैनात मजिस्ट्रेट ने बीचबचाव कर मामला शांत कराया।
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इनसेट
पूर्व निदेशक ने फुटपाथ दुकानदारों को किया था व्यवस्थित
जागरण संवाददाता, रांची : नगर निगम की ओर से रिम्स परिसर में अतिक्रमण हटाए जाने से करीब 100 फुटकर विक्रेता प्रभावित हुए हैं। इनकी रोजी-रोटी का सहारा छिन गया है। कार्रवाई से आक्रोशित फुटकर दुकानदारों ने कहा कि रिम्स के पूर्व निदेशक डा. डीके सिंह ने ही उन्हें बैंक के पीछे दुकान लगाने के लिए जगह दी थी। उन्होंने उस जगह को वेंडर मार्केट के रूप में विकसित करने की बात कहते हुए अनुमति दी थी। इसके बावजूद उनकी दुकानें हटवा दी गई। दुकानदार किशन मिश्रा ने कहा कि केंद्र सरकार की योजना के तहत नगर निगम द्वारा 10 हजार रुपये का कर्ज भी दिया गया था। अब कर्ज को कैसे चुकाएंगे, यह नही पता। आक्रोशित सभी दुकानदारों ने निदेशक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने का संकेत दिया है। बताते चले कि इन दुकानों के रिम्स परिसर में लगने का फायदा गरीब मरीजों के परिजनों को मिलता था। कम पैसों में पेट भर खाना मिलने के साथ-साथ मरीज के लिए गर्म पानी, या दूध गर्म कराने की मुफ्त सुविधा मिलती थी।