एंटीबायोटिक बीमार बना रहा आपको, बेवजह लेने से बचें Ranchi News
Jharkhand. झारखंड में में बिना पर्ची दवा की बिक्री रोकने के लिए सख्त कानून नहीं है। एंटीबायोटिक लेने से बैक्टीरिया हो रहे खतरनाक।
रांची, [दिव्यांशु]। लातेहार के रहने वाले शंकर सिंह को सांस लेने में परेशानी थी। वो रांची के एक नामी हॉस्पिटल में इलाज कराने पहुंचे। उनके खून की जांच की गई तो पता चला उनके शरीर में मौजूद बैक्टीरिया मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट हो चुका है, यानि कोई भी सामान्य एंटीबॉयोटिक उनपर काम नहीं करेगा। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें एंटीबॉयोटिक की लास्ट लाइन मानी जाने वाली आइवी कोलस्टीन दी। शंकर सिंह की यह हालत बिना वजह एंटीबायोटिक दवाएं लेने की वजह से हुई थी।
झारखंड में 52 फीसदी लोग इस तरह की लापरवाही करते हैं और बीमार पडऩे पर उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। माइक्रोबायोलॉजी एंड इंफेक्सस डिजीज प्रिवेंशन पर काम करने वाली एक संस्था द्वारा देशभर के 10 शहरों में दो लाख लोगों पर किए गए सर्वे में इस तथ्य का खुलासा हुआ है। रांची समेत झारखंड के चार शहर इस सर्वे में शामिल थे। क्लिनिकल माइक्रोबायोलाजिस्ट डॉ. पूजा सहाय कहती हैं कि हम एंटीबायोटिक्स के आपातकाल में जी रहे हैं।
बिना पर्ची या डॉक्टरी सलाह के आसानी से मिल जाती हैं एंटीबायोटिक दवाएं
रांची समेत राज्य के सभी शहरों और कस्बों में दवा दुकानों पर बिना पर्ची या डॉक्टरी सलाह के आसानी से एंटीबायोटिक दवाएं उपलब्ध हैं। इसे रोकने के लिए राज्य में कोई सख्त कानून नहीं है जिसका फायदा लोग उठाते हैैं। ठंड लगने, खांसी, लूज मोशन जैसी सामान्य बीमारियों में भी लोग एंटीबॉयोटिक ले लेते हैं जो गैर जरूरी है।
डोज पूरा नहीं करना है बड़ा खतरा
सर्वे में यह बात सामने आई है कि 70 फीसद लोग बिना डोज पूरा किए ही एंटीबायोटिक दवाएं लेना छोड़ देते हैं। नतीजा होता है कि हमारे शरीर में मौजूद बैक्टीरिया इन एंटीबायोटिक के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। अगली बार बीमार पडऩे पर ये दवाएं हमपर असर नहीं करती हैं।
झारखंड में नए सुपरबग का खतरा बढ़ा
बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक के बेअसर होने से एक नए तरह का सुपरबग पैदा हो रहा है। झारखंड के कई नामी अस्पतालों में मासूम बच्चों तक को थर्ड जेनरेशन एंटीबॉयोटिक दे दिए जाते हैं। इससे वह जीवन भर के लिए एक प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है और गंभीर बीमारियों के लिए तैयार हो जाता है। झारखंड में करीब दस लाख यूनिट एंटीबॉयोटिक्स की खपत प्रति माह है। कम पढ़े लिखे होने के कारण केरल जैसे राज्य के मुकाबले नुकसान की परवाह किए यहां लोग बिना डॉक्टरी सलाह के दवा ले लेते हैं।
टीबी की बीमारी पूरे परिवार को हो रही
टीबी जैसे बैक्टीरिया जनित रोग झारखंड के ग्रामीण इलाकों में खूब होते हैं। इसके बैक्टीरिया पर भी एंटीबायोटिक बेअसर हो रहा है। इस वजह से एक व्यक्ति के प्रभावित होते ही उसकी सांस से पूरा परिवार टीबी की बीमारी से ग्रसित हो जाता है।
एंटीबायोटिक के बारे में यह है सच
एंटीबायोटिक्स सिर्फ बैक्टीरियल इंफेक्शन से होनेवाली बीमारियों पर असरदार है। वायरल बीमारियों, जैसे- सर्दी-ज़ुकाम, फ्लू, ब्रॉन्काइटिस, गले में इंफेक्शन आदि में ये कोई लाभ नहीं देता। हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इन वायरल बीमारियों से खुद ही निपट लेती हैं।
'एंटीबायोटिक के बारे में जागरूकता की सख्त कमी है। इसका अंडर या ओवर डोज हमें लंबे समय के लिए बीमार कर सकता है। फार्मा कंपनियां एंटीबॉयोटिक्स पर काफी कम रिसर्च कर रही हैं। इस वजह से बैक्टीरिया ने प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लिया है। राज्य सरकार को ओवर द काउंटर एंटीबॉयोटिक्स सेल रोकने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए। इससे झारखंड जैसे राज्य में नए तरह से सुपर बग के प्रचार प्रसार पर रोक लगेगी।' -डॉ. पूजा सहाय, क्लिनिकल बायोलॉजिस्ट और इंफेक्शन डिजीज एक्सपर्ट।