सिख दंगा मामले में गृह सचिव ने दी गलत जानकारी, हाई कोर्ट ने किया तलब
Jharkhand. झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को सिख दंगा मामले में सुनवाई हुई। एक माह बाद मामले की अगली सुनवाई होगी।
रांची, राज्य ब्यूरो। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सिख दंगा आयोग को सुविधा देने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। आयोग को सभी संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जाने पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि राज्य के अधिकारी कोर्ट प्रोसिडिंग के साथ खिलवाड़ नहीं करें।
अदालत में उनके द्वारा यह कहा जाना कि सभी सुविधाएं प्रदान कर दी गई हैं, जबकि आयोग के अध्यक्ष इससे इन्कार कर रहे हैैं। अदालत ने कहा कि अधिकारी की हिम्मत कैसे हुई कि उन्होंने अदालत को गलत जानकारी दी। इसके बाद कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन को तुरंत गृह सचिव को बुलाने का निर्देश दिया। इसके बाद दोपहर सवा 12 बजे तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी गई। करीब साढ़े बारह बजे गृह सचिव सुखदेव सिंह अदालत में हाजिर हुए।
इसके बाद अदालत ने उन्हें आदेश और आयोग के पत्र का अवलोकन करने को कहा। इसके बाद पूछा कि आपने कैसे कहा कि सारी सुविधाएं दे दी गई हैं। उन्होंने कहा कि आयोग ने सुविधाएं नहीं मिलने का जो पत्र लिखा है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने अदालत को भरोसा दिया कि आयोग को सभी मौलिक संसाधन उपलब्ध करा दिए जाएंगे ताकि कार्य शुरू कर पाए। अदालत ने 28 मार्च तक सभी सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया। दरअसल, सिख दंगों की जांच के लिए सतनाम सिंह गंभीर ने जनहित याचिका दाखिल की है।
इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने वर्ष 2015 में आयोग का गठन किया था। चार साल बाद भी आयोग अभी तक जांच पूरी नहीं कर सका है। कुछ दिन पूर्व आयोग के अध्यक्ष जस्टिस डीपी सिंह ने हाई कोर्ट को पत्र लिख बताया था कि उन्हें किसी प्रकार का संसाधन नहीं दिया गया है। एक स्टेनो व कुछ स्टेशनरी ही दिए गए हैं। आयोग को दूसरे जिलों में जाकर भी पीडि़तों से मुलाकात कर सुनवाई करनी है। इसके लिए सरकार ने वाहन नहीं दिया है। आयोग को अभी तक कार्यालय भी नहीं दिया गया है। इस कारण सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है।