Human Trafficking: मानव तस्करी रोकने को झारखंड के सभी जिलों में खुलेंगी एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट
Human Trafficking in Jharkhand झारखंड में वर्तमान में 12 जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थाना है। मानव तस्करों का भी डाटाबेस बनेगा ताकि उनके विरुद्ध व्यापक अभियान चलाया जा सके और पीड़ित बच्चों की सकुशल वापसी कराई जा सके।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड से सबसे अधिक बच्चियों, युवतियों, महिलाओं और नाबालिगों की मानव तस्करी होती रही है। इस पर पूरी तरह से रोक लगाने, मानव तस्करों को दबोचने की प्रक्रिया तेज करने और तस्करी की शिकार पीड़िताओं की सकुशल वापसी को केंद्र में रखकर राज्य में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) थाना की स्थापना हुई थी। अब इसे और सक्रिय करने और इसका दायरा बढ़ाने की तैयारी है। इस बाबत सभी जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) थाना खोलने की तैयारी है।
वर्तमान में राज्य के 12 जिलों रांची, खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, गुमला, पलामू, चाईबासा, दुमका, लातेहार, साहिबगंज, गोड्डा व गिरिडीह में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थाना कार्यरत है। इसी कड़ी में अब धनबाद के टाउन थाना, पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला, सरायकेला-खरसांवा के सरायकेला, गढ़वा के महिला थाना, हजारीबाग के सदर थाना, कोडरमा में तिलैया थाना, चतरा में सदर थाना, रामगढ़ में महिला थाना, बोकारों में बेरमो थाना, पाकुड़ में लिट्टीपाड़ा थाना, देवघर में जसीडीह थाना और जामताड़ा के नारायणपुर थाना में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थाना प्रस्तावित है। प्रत्येक थाने की आधारभूत संरचना पर 15-15 लाख रुपये खर्च होने हैं।
क्या होगा एएचटीयू थाने का कार्य
इस थाने में सिर्फ मानव तस्करी से संबंधित मामले दर्ज होंगे। यहां मानव तस्करी के शिकार बच्चे-बच्चियों का डाटाबेस तैयार होगा। मानव तस्करों का भी डाटाबेस बनेगा, ताकि उनके विरुद्ध व्यापक अभियान चलाया जा सके और पीड़ित बच्चों की सकुशल वापसी कराई जा सके। इस थाने के पदाधिकारी सिर्फ व सिर्फ मानव तस्करी रोकने की दिशा में कार्य करेंगे।
पुनर्वास सहित अन्य सरकारी सुविधाएं दे रही है सरकार
हेमंत सोरेन की सरकार मानव तस्करी के शिकार बच्चे-बच्चियों, युवक-युवतियों, महिलाओं को मुक्त कराने की दिशा में लगातार कोशिश कर रही है। हाल के दिनों में अंडमान-निकोबार व नेपाल से दो पीड़ितों को हवाई मार्ग से लेकर झारखंड आई है। एक साल के भीतर 150 से अधिक मानव तस्करी के शिकार पीड़ित बच्चों को झारखंड लाया जा चुका है। राज्य सरकार न सिर्फ उन्हें वापस ला रही है, बल्कि राज्य में ही उनके लिए रोजगार, राशन सहित पुनर्वास की व्यवस्था को प्राथमिकता दे रही है।