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JREDA के पूर्व एमडी व 3 अन्य के खिलाफ ACB दर्ज करेगी FIR, मुख्‍यमंत्री ने दिया आदेश

Jharkhand Energy Transmission Corporation ऊर्जा संचरण निगम के तीन अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ भी जांच की जाएगी। एंटी करप्शन ब्यूरो यानि एसीबी की प्रारंभिक जांच में आरोपों की पुष्टि के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदेश दिया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 03:21 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:55 PM (IST)
JREDA के पूर्व एमडी व 3 अन्य के खिलाफ ACB दर्ज करेगी FIR, मुख्‍यमंत्री ने दिया आदेश
मुख्‍यमंत्री ने यह आदेश दिया है। फाइल फोटो

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड ऊर्जा संचरण निगम के पूर्व एमडी निरंजन कुमार के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो जांच करेगी। इसके लिए मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्रवाई की अनुमति दी है। तीन अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ भी जांच की जाएगी। एंटी करप्शन ब्यूरो की प्रारंभिक जांच में आरोपों की पुष्टि के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह आदेश दिया है।

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सरकारी नियमों को ताक पर रखकर नौकरी करने, सरकारी खातों से 170 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान करने सहित कई गंभीर मामलों में फंसे ज्रेडा (झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार सहित चार अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में प्राथमिकी दर्ज होगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एसीबी की पीई रिपोर्ट, विभाग के मंतव्य की समीक्षा के बाद प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।

चारों ही अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच (पीई) में पुष्टि हो गई है। जिनपर प्राथमिकी दर्ज करने की स्वीकृति मिली है, उनमें निरंजन कुमार के अलावा तत्कालीन परियोजना निदेशक अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद और ज्रेडा में प्रतिनियुक्त रहे विद्युत कार्यपालक अभियंता श्रीराम सिंह शामिल हैं। अब एसीबी चारों ही आरोपितों पर प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान शुरू करेगा।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर ही एसीबी ने चारों ही आरोपितों के खिलाफ प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज किया था। जांच में आरोपों की प्रथम दृष्टया पुष्टि के बाद ही एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज करने के बिंदु पर मंत्रिमंडल निगरानी विभाग से अनुमति मांगी थी। अब प्राथमिकी दर्ज करने के बाद अनुसंधानकर्ता सभी आरोपितों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका देंगे।

एसीबी की पीई रिपोर्ट की हुई थी समीक्षा

एसीबी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट की मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने समीक्षा करने के बाद संबंधित प्रशासी विभाग (ऊर्जा) की सहमति/मंतव्य प्राप्त कर कांड दर्ज करने के लिए मुख्यमंत्री से अनुमति मांगी थी। इसके लिए ऊर्जा विभाग को जांच रिपोर्ट भी भेजी गई थी। इसके आलोक में ऊर्जा विभाग ने चारों आरोपी पदाधिकारियों से पक्ष मांगा था। आरोपितों का पक्ष मिलने के बाद विभाग ने समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने मामले की समीक्षा करने के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को रिपोर्ट दी थी। इसके बाद ही मुख्यमंत्री ने सहमति दी।

गलत तरीके से दिया था टेंडर, पद की भी नहीं थी अर्हता

एसीबी ने प्रारंभिक जांच में निरंजन कुमार के विरुद्ध लगे आरोपों को सत्य पाया था। जांच में पता चला था कि निरंजन कुमार ने जाली बैंक गारंटी के बावजूद हैदराबाद की कंपनी को गलत तरीके से टेंडर दिया और उस फाइल को दबाए रखा। वर्ष 2019 में जब नए निदेशक अशोक कुमार ने पदभार ग्रहण किया, तो इसका खुलासा हुआ।

इसके बाद रांची के डोरंडा थाने में कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इतना ही नहीं, जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ज्रेडा के लिए कोई आइएएस, आइएफएस या टेक्निकल अफसर ही निदेशक बनने योग्य है, इसके बावजूद निरंजन कुमार बिना योग्यता के पहले निदेशक बने।

निरंजन कुमार पर क्या हैं आरोप

इन्होंने सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इन पर सपरिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने, निविदा में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने तथा विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति के निविदा की शर्तें बदलने का आरोप है।

भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के वरीय पदाधिकारी निरंजन कुमार पर आरोप है कि वे बिना अर्हता पूरी किए पुराने परिचय का दुरुपयोग कर जेयूएसएनएल व ज्रेडा के निदेशक पद पर बने रहे। 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र या कार्मिक विभाग ने नहीं किया। ये पद पर बने रहे और वेतन भी उठाते रहे।

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