Move to Jagran APP

पूर्व मुख्‍य सचिव सुधीर प्रसाद पर प्राथमिकी को 3 साल से रिमाइंडर दे रहा एसीबी, अब तक नहीं मिली अनुमति

Anti Corruption Bureau. रांची के पूर्व डीसी सुधीर प्रसाद पर भूमि घोटाले का आरोप है। वे 2016 में मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 10:35 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 10:35 AM (IST)
पूर्व मुख्‍य सचिव सुधीर प्रसाद पर प्राथमिकी को 3 साल से रिमाइंडर दे रहा एसीबी, अब तक नहीं मिली अनुमति
पूर्व मुख्‍य सचिव सुधीर प्रसाद पर प्राथमिकी को 3 साल से रिमाइंडर दे रहा एसीबी, अब तक नहीं मिली अनुमति

रांची, [दिलीप कुमार]। Ex Chief Secretary of Jharkhand - रांची के पूर्व डीसी सुधीर प्रसाद के खिलाफ भूमि घोटाले के मामले में प्राथमिकी के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) पिछले तीन साल से अनुमति मांग रहा है। सुधीर प्रसाद मुख्य सचिव रैंक से वर्ष 2016 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसे लेकर पिछले तीन साल से एसीबी ने मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कई बार रिमाइंडर पर रिमाइंडर भेजे, लेकिन अब तक अनुमति नहीं मिल सकी है। एक बार फिर एसीबी के डीआइजी ने मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है।

loksabha election banner

मामला रांची के बरियातू के रानी बगान में सीलिंग की 33.78 एकड़ जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री से संबंधित है। उस समय संयुक्त बिहार था और सुधीर प्रसाद रांची के डीसी थे। जमीन घोटाले का मामला उजागर होने के बाद निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना ने जांच शुरू की थी। अलग राज्य बनने के बाद यह केस झारखंड एसीबी को स्थानांतरित हो गया था। इस कांड के प्रारंभिक जांच में तत्कालीन उपायुक्त सुधीर प्रसाद व 11 अन्य के विरुद्ध साक्ष्य पाया गया था।

उनके विरुद्ध धारा 420, 467, 468, 469, 471 व 120 बी भादवि व भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं से संबंधित आरोपों की पुष्टि हुई थी। इसके बाद से ही प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति की मांग की जाती रही है। जांच के बाद आरोपित तत्कालीन अवर निबंधक मोती बड़ाईक व अन्य तीन के विरुद्ध प्राथमिकी के लिए उनके पैतृक विभाग से मंतव्य मांगा गया था, लेकिन अब तक नहीं मिला।

डीआइजी ने प्रधान सचिव से आग्रह किया है कि उन्हें आरोपितों पर प्राथमिकी दर्ज करने के बिंदु पर मंतव्य उपलब्ध कराया जाय। इस घोटाले में तत्कालीन डीसी सुधीर प्रसाद के अलावा एक अपर समाहर्ता, दो सब रजिस्ट्रार, तीन अंचलाधिकारी, तीन सीआइ और तीन राजस्व कर्मचारी के अलावा एक जमीन मालिक भी दोषी पाया गया है।

बिहार विधान पर्षद में उठा था मामला, जिसके बाद हुई जांच

जमीन घोटाले का यह मामला बिहार विधानपर्षद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए उठने के बाद उस वक्त भूमि सुधार विभाग, पटना के तत्कालीन विशेष सचिव अशोक वद्र्धन ने जांच की थी। उन्होंने कहा था कि मामले में डीसी सुधीर प्रसाद की कोई भूमिका नहीं है। लेकिन 1998 में निगरानी ब्यूरो (अब एसीबी) को प्रारंभिक कांड अंकित कर जांच के लिए दे दिया गया। अब एसीबी की जांच में यह बात सामने आई है कि सीलिंग की इस भूमि के संबंध में डीसी रहते सुधीर प्रसाद ने अनुमोदन किया था। संचिका में अनुमोदन दिए जाने के बाद उन्होंने हस्ताक्षर भी किए थे। हस्ताक्षर की पुष्टि भी हो चुकी है।

इनके खिलाफ मांगी गई थी प्राथमिकी की अनुमति

  • सुधीर प्रसाद, तत्कालीन डीसी, रांची
  • लीला बिहारी कपूर, सब रजिस्ट्रार, रांची
  • बिरेंद्र कुमार सिंह, सब रजिस्ट्रार, रांची
  • नरेश कुमार, तत्कालीन सीओ, सदर अंचल, रांची
  • नारायण मूर्ति, तत्कालीन सीओ, सदर अंचल, रांची
  • देवनरायण सिंह, तत्कालीन सीओ, सदर अंचल, रांची
  • बच्चू प्रसाद शर्मा, तत्कालीन सीआइ, सदर अंचल, रांची
  • राजीव दुबे, तत्कालीन सीआइ, सदर अंचल, रांची
  • गुलाम चंद्र राम, तत्कालीन सीआइ, सदर अंचल, रांची
  • चितरंजन सहाय, तत्कालीन राजस्व कर्मचारी, सदर अंचल, रांची
  • इशदौर कुल्लू, तत्कालीन राजस्व कर्मचारी, सदर अंचल, रांची
  • विकास चंद्र सिन्हा, जमीन मालिक, शरद बोस लेन निवासी, कोलकाता

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.