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प्रो. अरूण राय की पहल से अमेरिकी मित्रों ने झारखंड को दिए छह आक्सीजन काॅन्सेन्ट्रेटर

मुंबई निवासी प्रो. अरुण राय ने झारखंड को छह आक्सीजन काॅन्सेन्ट्रेटर उपलब्ध कराए हैं। इनका निश्शुल्क उपयोग इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अंजुमन इस्लामिया अस्पताल तथा गिरिडीह और बगोदर विधानसभा क्षेत्र में होगा। यह सहयोग प्रो. अरुण राय ने अपने अमेरिका और भारतवासी मित्रों और छात्रों के जरिए हासिल किया है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 10:24 AM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 10:24 AM (IST)
प्रो. अरूण राय की पहल से अमेरिकी मित्रों ने झारखंड को दिए छह आक्सीजन काॅन्सेन्ट्रेटर
प्रो. अरूण राय की पहल से अमेरिकी मित्रों ने झारखंड को दिए छह आक्सीजन काॅन्सेन्ट्रेटर। जागरण

रांची, जासं । मुंबई निवासी प्रो. अरुण राय ने झारखंड को छह आक्सीजन काॅन्सेन्ट्रेटर उपलब्ध कराए हैं। इनका निश्शुल्क उपयोग इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, अंजुमन इस्लामिया अस्पताल तथा गिरिडीह और बगोदर विधानसभा क्षेत्र में होगा। यह सहयोग प्रो. अरुण राय ने अपने अमेरिका और भारतवासी मित्रों और छात्रों के जरिए हासिल किया है। नीदरलैंड्स निवासी रीजा ग्रेवाल ने चार काॅन्सेनट्रेटर्स दिए हैं। ग्रेवाल और उनके भाई ने भारत में कोविड से लड़ाई के लिए ‘सिख युनाइटेड‘ नामक संस्था बनाई है।

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उन्होंने यूरोप तथा कनाडा से झारखंड के लिए जल्द ही और सहयोग उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। इसी तरह अमेरिका के ह्यूस्टन निवासी मो. अब्दुल कादिर ने दो काॅन्सेन्ट्रेटर्स दिए हैं। उन्होंने विदेश से काॅन्सेन्ट्रेटर लाने में भी भूमिका निभाई। झारखंड में इस अभियान के समन्वय में हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. राजचन्द्र झा और झारखंड फाउंडेशन के निदेशक डा. विष्णु राजगढ़िया ने सहयोग किया।

50 हजार मास्क बांटा

प्रो. अरूण राय ने भारत और विदेशों में अपने मित्रों और स्टूडेंट्स के माध्यम से झारखंड के ग्रामीण इलाकों के लिए अब तक साढ़े चार लाख की राशि इकट्ठा की है। रांची, कोडरमा, हजारीबाग, पलामू, गिरीडीह इत्यादि जिलों में आक्सीजन की व्यवस्था और मास्क वितरण किया जा रहा है। मई महीने में लगभग पचास हजार मास्क वितरण का प्रयास है। सारे मास्क रांची मे ही बनवाये जा रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला है। प्रो. अरूण राय मूलतः रांची के निवासी हैं। वह संत जाॅन स्कूल और संत जेवियर कॉलेज के छात्र रहे हैं। विगत पचीस वर्षों से मुंबई में रहते हैं। पिछले बारह वर्षों से उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के ग्रामीण इलाकों के शिक्षकों और स्कूली छात्रों के साथ काम करते हैं। नेतरहाट, खूंटी, हजारीबाग, झुमरी तिलैया, रांची में भी कार्य करने जा रहे हैं।


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