इलाज और नर्सिंग की बारिकियां सीखने रिम्स से जूनियर डाक्टर और नर्स भेजे जाएंगे एम्स
रिम्स की चिकित्सा व्यवस्था को विश्व स्तरीय बनाने के लिए अब एम्स के साथ एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू हो रहा है।
जासं,रांची : रिम्स की चिकित्सा व्यवस्था को विश्व स्तरीय बनाने के लिए अब एम्स के साथ एक्सचेंज प्रोग्राम चलाया जाएगा। जल्द ही रिम्स से जूनियर डाक्टर व नर्सिंग स्टाफ एम्स भेजे जाएंगे। इसके तहत रिम्स के जूनियर डाक्टर और नर्सों को इलाज व नर्सिंग की जिम्मेदारी समझायी जाएगी। उन्हें यह दिखाया जाएगा कि कैसे एम्स के डाक्टर मरीजों का इलाज करते हैं, रिम्स के जूनियर डाक्टरों को दिखाया जाएगा कि कैसे इलाज के तरीकों में बदलाव लाया जा सके। रिम्स के निदेशक डा कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि यह एक्सचेंज प्रोग्राम पहली बार आयोजित किया जा रहा है, जिसे अपग्रेड प्रोग्राम भी कहा जा सकता है। बार-बार रिम्स में मरीजों व डाक्टरों के बीच इलाज को लेकर बकझक होती रहती है, साथ ही नर्सिंग पर भी कई सवाल उठते हैं। इस कार्यक्रम में यह भी समझाने का प्रयास होगा कि कैसे मरीजों के साथ व्यवहार करना चाहिए। खासकर के उस परिजन के साथ जो उम्मीद के साथ अस्पताल पहुंचते हैं। इलाज के साथ-साथ परिजनों से किए गए व्यवहार पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है।
रिम्स में काम करने वाली नर्स उतनी दक्ष नहीं है जितनी एम्स की नर्स काम करती है। खुद निदेशक बताते हैं कि यहां की नर्स जो भी काम करती हैं उससे वो खुद को बेहतर समझती है, जबकि ऐसा होता नहीं है। इनसे कई गुना अधिक काम एम्स की नर्सें करती हैं, इसलिए भी यह एक्सचेंज कार्यक्रम जरूरी है ताकि नर्सिंग स्टाफ को उन काम से अवगत कराया जा सके। मरीजों को सिर्फ दवा देना ही नर्स का काम नहीं है बल्कि दवा के साथ पूरी नर्सिंग करना ही नर्स की जिम्मेदारी है। लेकिन इन बातों से यहां की सभी नर्स पूरी तरह से वाकिफ नहीं है। छोटे हिस्सों में भेजा जाएगा : एम्स के तहत होने वाले एक्सचेंज कार्यक्रम में सभी डाक्टरों को एक साथ एम्स नहीं भेजा जा सकेगा। इन सभी डाक्टरों की छोटी टीम बनाकर उन्हें वहां भेजा जाएगा। साथ ही नर्सों की भी टीम बनाकर ही बारी-बारी से भेजा जाएगा। जैसे ही टीम एम्स के डाक्टरों व नर्सों के साथ समय बिताएगी उसके बाद उन्हें वापस रिम्स आना होगा, फिर दूसरी टीम वहां जाकर प्रशिक्षण लेगी। कैसे होगा एक्सचेंज कार्यक्रम : इस कार्यक्रम के तहत रिम्स की टीम एम्स जाएगी और वहां पर सीनियर के साथ-साथ रहेगी। इस बीच वे उनके काम को देखेंगे और उसकी तुलना अपने काम से करेंगे। वहां कैसे भीड़ को नियंत्रण में रहकर देखा जाता है, इसके भी टिप्स लेंगे। इतना ही नहीं बार-बार स्वजनों से पूछे जाने वालों सवालों पर उन्हें देखना होगा कि कैसे वहां के डाक्टर संयम के साथ बात करते हैं। स्वजनों को समझाने का प्रयास किया जाता है ताकि आने वाले समय में रिम्स में मरीजों को बेहतर सेवा मिल सके और वे संतुष्ट दिखें।