किसानों के बीच तीन साल बाद बटेंगे कृषि यंत्र
रांची आनंद मिश्र झारखंड में तीन वर्ष बाद किसानों के बीच अनुदान पर कृषि यंत्रों का वितरण किया जाएगा। कृषि यांत्रिकीकरण योजना को लेकर पिछले तीन सालों से गतिरोध के चलते इस योजना का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा था और राज्य के किसान इस योजना का लाभ लेने से वंचित थे।
रांची, आनंद मिश्र : झारखंड में तीन वर्ष बाद किसानों के बीच अनुदान पर कृषि यंत्रों का वितरण किया जाएगा। कृषि यांत्रिकीकरण योजना को लेकर पिछले तीन सालों से गतिरोध के चलते इस योजना का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा था और राज्य के किसान इस योजना का लाभ लेने से वंचित थे। इस योजना के तहत महिला और पुरुष किसान समूहों को 80 फीसद अनुदान पर मिनी ट्रैक्टर, पॉवर टीलर व छोटे कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना के लिए राज्य सरकार ने 25 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है।
किसान समूहों को अनुदानित दर पर कृषि उपकरण मुहैया कराने से जुड़ी तकनीकी निविदा की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, अब निविदा की वित्तीय प्रक्रिया को पूर्ण कर कृषि यंत्रों का वितरण शुरू किया जाएगा। बजट सत्र से पूर्व इस प्रक्रिया को पूर्ण कर कृषि यंत्रों के वितरण की योजना है। योजना के तहत महिला और पुरुषों के किसान समूहों के बीच 425 मिनी ट्रैक्टर और 165 पॉवर टीलर का वितरण किया जाएगा। लाभुकों की सूची को जिला स्तर पर अंतिम रूप दिया जा रहा है। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के बाद से किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिला है।
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क्या है योजना :
इस योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूह, महिला सखी मंडल, एवं कृषि समूहों को मिनी ट्रैक्टर, पॉवर टीलर, सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर एवं उसके सहायक उपकरण के लिए पांच लाख रुपये की लागत पर क्रय करने के लिए प्रति समूह को 80 फीसद का अनुदान या अधिकतम चार लाख रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे। ताकि, वे उक्त कृषि यंत्रों का उपयोग स्वयं भी कर सकें और उसे किसानों को भाड़े पर उपलब्ध करा अपनी आय में वृद्धि कर सकें।
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क्या था विवाद :
किसानों को अनुदानित दर पर कृषि उपकरण मुहैया कराने से जुड़ी योजना के नियंत्री एव नोडल पदाधिकारी भूमि संरक्षण निदेशक को बनाया गया है, जबकि योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी झारखंड कृषि मशीनरी परीक्षण एवं प्रशिक्षण केंद्र (जेएएमटीटीसी) को। भूमि संरक्षण निदेशक को निर्देश दिया गया कि वे इस मद की 25 करोड़ की राशि की एकमुश्त निकासी कर उसे नोडल एजेंसी जेएएमटीटीसी के पीएल खाते में स्थानांतरित कर दें। विवाद इसी को लेकर था। व्ययन पदाधिकारी होने के नाते योजना की जवाबदेही भूमि संरक्षण निदेशक पर है, जबकि कृषि उपकरणों का वितरण जेएएमटीटीसी के स्तर से किया जा रहा है। विवाद के बिदु अब भी कायम हैं, लेकिन कृषि सचिव के हस्तक्षेप के बाद फौरी तौर पर किसानों के हित से जुड़ी इस योजना का कार्यान्वयन शुरू किया गया है।
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