International Day of Forests: शौक बड़ी चीज है और इन्हें जंगल पसंद है
Jharkhand. कृषि वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार सिंह ने लगाए 1200 वृक्ष। प्रशासनिक कार्य से समय निकाल पौधों के बीच गुजारते हैं वक्त।
रांची, [ब्रजेश मिश्र]। शौक बड़ी चीज है। किसी को पद पसंद है। किसी को प्रतिष्ठा पसंद है। किसी को दौलत पसंद है। रांची के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार सिंह को वन आच्छादित हरियाली पसंद है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि प्रणाली के पहाड़ी एवं पठारी अनुसंधान केंद्र रांची में बतौर प्रधान पद पर कार्यरत डॉ. सिंह अब तक करीब 1200 से अधिक फल एवं वनीय वृक्ष लगा चुके हैं।
वन के प्रति इनके प्रेम का आलम यह है कि प्रशासनिक कार्य से समय निकालकर अक्सर पेड़ों को निहारने पहुंच जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक के रूप में कार्य करते हुए यूं तो इन्होंने सब्जियों की बहुत सारी नई प्रजातियां विकसित की हैं। रिसर्च के साथ-साथ पेड़-पौधे लगाने का काम इनका निजी शौक है।
जब भी मौका मिलता है, वह इससे नहीं चूकते। अनुसंधान केंद्र प्लांडू के दौरे पर आने वाले लोगों के स्वागत के लिए पेड़ लगाने की परंपरा है। आज इसमें से कई पौधे बड़े वृक्ष का रूप ले चुके हैं। इन पेड़ों पर सब्जियों की लताओं को चढ़कर विकसित होते हुए देखना इन्हें बेहद पसंद है।
फखरूद्दीन अवार्ड मिला, चार किताबें लिखी
कृषि वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार सिंह को आदिवासी कृषि प्रणाली पर किये गए शोध कार्य के लिए फखरूद्दीन अली अहमद अवार्ड 2013 ऑफ आउटस्टैंडिंग रिसर्च का पुरस्कार दिया गया। वह वर्ष 2014 से आइसीएआर अनुसंधान केंद्र, रांची में प्रधान पद पर कार्यरत हैं। वह बीएचयू के एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य हैं। डॉ. विश्वजीत चौधरी मेमोरियल अवार्ड, नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस तथा कंफेडरेशन ऑफ हर्टिकल्चर एसोसिएशन आफ इंडिया से फेलोशिप प्राप्त कर चुके हैं। चार किताबें लिखने के साथ 74 से अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं।