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सांसद बना तो दो महीने में हर खाली स्थल पर बनाएंगे तालाब : संजय सेठ

रांची लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे संजय सेठ ने कहा कि सांसद बनने पर हर खाली स्थान पर तालाब बनवाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 06:22 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 06:22 AM (IST)
सांसद बना तो दो महीने में हर खाली स्थल पर बनाएंगे तालाब : संजय सेठ
सांसद बना तो दो महीने में हर खाली स्थल पर बनाएंगे तालाब : संजय सेठ

विनोद श्रीवास्तव, रांची

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रांची लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे संजय सेठ ने दैनिक जागरण के कितना-कितना पानी अभियान की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि जागरण ने पत्र ही नहीं मित्र की भूमिका में इस विश्वस्तरीय समस्या की ओर न सिर्फ लोगों का ध्यान आकृष्ट कराया है, बल्कि उसके कारणों और समाधान को भी रेखांकित किया है। अगर जनता उन्हें प्रतिनिधित्व का मौका देती है तो वे सुनियोजित तरीके से इस समस्या के समाधान की दिशा में काम करेंगे। प्रस्तुत है वरीय संवाददाता विनोद श्रीवास्तव की संजय सेठ से हुई बातचीत के मुख्य अंश -

राजधानी रांची के कई क्षेत्रों में पानी पाताल छू रहा है। कई इलाके ड्राई जोन घोषित हो चुके हैं। इस स्थिति से निपटने की आपकी क्या रणनीति होगी?

- आपकी चिंता जायज है। अगर मुझे बतौर सांसद प्रतिनिधित्व का मौका मिला तो इसका समाधान हमारी प्राथमिकता होगी। गाद हटाकर तालाबों की गहराई बढ़ाई जाएगी। सुस्पष्ट नीति के तहत दो महीने के अंदर राजधानी में खाली पड़े स्थलों पर तालाब बनाने की कार्रवाई शुरू होगी। रांची की लगभग आधी आबादी तक ही पाइप लाइन के सहारे जलापूर्ति हो रही है। कब तक घर-घर तक जलापूर्ति संभव हो सकेगी?

- इसका नए सिरे से सर्वे कराया जाएगा। पाइपलाइन जलापूर्ति योजना पर वर्तमान में भी काम चल रहा है। मिसिंग क्षेत्रों की प्राथमिकता सूची बनाकर एक-एक घर को पाइपलाइन से जोड़ा जाएगा।

आबादी बढ़ने के साथ यह समस्या और भी गहराती चली जाएगी। पानी को लेकर आपकी भावी योजना क्या होगी?

-शहरी आबादी तेजी से बढ़ रही है। आसपास के इलाके का भी तेजी से शहरीकरण हो रहा है। भविष्य की आबादी और पानी की आवश्यकता को केंद्र में रखकर डीपीआर तैयार होगा। नए जलाशय भी विकसित किए जाएंगे।

जल संकट की बड़ी वजह प्राकृतिक जलस्रोतों का अतिक्रमण अथवा विकास के नाम पर उसके अस्तित्व को समाप्त कर दिया जाना है। इससे कैसे निपटेंगे?

-ऐसे जलस्रोतों की पहचान होगी। अगर उनका मुहाना बंद हो गया है तो उसे खोला जाएगा। अतिक्रमण हटाए जाएंगे। विकास के नाम पर कम से कम अब ऐसे स्रोतों को मिटने नहीं दिया जाएगा।

80 फीसद वर्षा जल यूं ही बह जा रहा है। भूगर्भ जल रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति बड़ी आबादी लापरवाह नजर आती है। कैसे सामान्य होगी स्थिति?

- नदियों की साफ-सफाई, गार्डवाल, चेकडैम आदि का निर्माण कर भूगर्भ जल को रिचार्ज करने की कोशिश होगी। वाटर हार्वेस्टिंग की जरूरतों के प्रति लोगों को न सिर्फ जागरूक किया जाएगा, बल्कि इसे अनिवार्य बनाया जाएगा।

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