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रेवड़ी की तरह कर्मियों को बांट दिए एडवांस और वसूली करना भूल गए

Jharkhand. जिलों में सर्व शिक्षा अभियान में भारी अनियमितता मिली है। अफसरों इंजीनियरों शिक्षकोंं से लेकर दैनिकभोगी कर्मियों को भी एडवांस दिए गए।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 10:06 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 05:26 PM (IST)
रेवड़ी की तरह कर्मियों को बांट दिए एडवांस और वसूली करना भूल गए
रेवड़ी की तरह कर्मियों को बांट दिए एडवांस और वसूली करना भूल गए

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। विभिन्न जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों तथा जिला शिक्षा अधीक्षकों ने पिछले कई वर्षों के दौरान रेवड़ी की तरह लाखों रुपये की एडवांस राशि बांटी। अफसरों, इंजीनियरों, शिक्षकोंं से लेकर चपरासी तक को मनमाने ढंग से एडवांस राशि दी। लेकिन एडवांस में दी गई राशि को वसूलना या उनका समायोजन करना भूल गए। योजना सह वित्त विभाग की ऑडिट में सर्व शिक्षा अभियान (अब समग्र शिक्षा अभियान) में ऐसे कई मामले पकड़ में आए हैं।

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गढ़वा में ही ऐसे 74 लोगों को दिए गए एडवांस का समायोजन नहीं हुआ। इसकी कुल राशि 61.15 लाख रुपये है। यहां बड़ी संख्या में बीईईओ, शिक्षक, क्लर्क, सीआरपी के अलावा दैनिक मानदेय पर रखे गए कर्मियों को भी एडवांस दिए गए। इसी तरह, बोकारो में 7.93 लाख रुपये एडवांस विभिन्न कर्मियों को दिए गए थे, जिनका लंबे समय तक समायोजन नहीं किया जा सका। हालांकि जिले के पदाधिकारियों का कहना है कि अधिसंख्य राशि का समायोजन हाल में कर लिया गया है।

चार पदाधिकारियों को दिए गए लगभग 98 हजार रुपये का ही समायोजन नहीं हो सका है। इसी तरह, कई अन्य जिलों में पदाधिकारियों, कर्मियों, शिक्षकों को दिए गए एडवांस का समायोजन नहीं हुआ। यह मामला सामने आने के बाद स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने राशि की वसूली करने तथा जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश दिया है। साथ ही आगे किसी भी हाल में पांच हजार रुपये से अधिक अग्रिम नहीं देने को कहा है।

नहीं की राशि कटौती, एनजीओ पर मेहरबानी

गढ़वा में क्वालिटी कंट्रोल एवं रायल्टी की राशि की कटौती किए बिना भुगतान किया गया। यह राशि लाखों में है। यह मामला सामने आने के बाद विभाग ने स्कूल वाइज विवरणी तैयार कर ब्याज सहित राशि संबंधित पदाधिकारियों व इंजीनियरों से वसूलने का आदेश दिया है। यहां एनजीओ को सेतु विद्यालय के संचालन के लिए दिए गए 15.27 लाख रुपये का समायोजन नहीं किया गया।

इसी तरह, पारा शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए इग्नू को दिए गए 5.09 लाख रुपये का समायोजन नहीं हुआ। स्कूलों में रैंप बनाने पर 79.43 हजार रुपये खर्च हो गए, लेकिन मापी पुस्तिका उपलब्ध नहीं कराई गई। इन सब के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है।

लातेहार शिक्षा विभाग में भी बड़ी गड़बड़ी 

लातेहार में ऑडिट के दौरान रोकड़ पंजी एवं बैंक विवरण के अंतिम शेष में 11.69 लाख रुपये का अंतर पाया गया। साथ ही 50.21 लाख रुपये के भुगतान का बिल उपलब्ध नहीं कराया गया। शिक्षा सचिव ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए एक माह के भीतर दोषी पदाधिकारियों व कर्मियों की पहचान कर राशि की वसूलने तथा कार्रवाई करन का निर्देश दिया है।

इसी तरह, वर्ष 2005-06 में सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत 10.78 लाख रुपये की प्रविष्टि रोकड़ पंजी में नहीं होने को गंभीर लापरवाही बताते हुए इसकी जांच का आदेश दिया गया है। यहां 1.66 लाख रुपये ईंधन क्रय से संबंधित लॉग बुक ऑडिट टीम को उपलब्ध नहीं कराई गई।

बाल समागम में सवा तीन लाख का अधिक भुगतान

पश्चिमी सिंहभूम में वर्ष 2014-15 में आयोजित बाल समागम में लगभग सवा तीन लाख रुपये का अधिक भुगतान कर दिया गया। इसकी जांच कर दोषी लोगों से राशि वसूलने तथा उनके विरुद्ध कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।

बोकारो में लेखापाल व वार्डेन को कार्यमुक्त करने का आदेश

बोकारो जिले के शिक्षा विभाग के लेखापाल ने 1.28 लाख रुपये की निकासी दैनिक व्यय हेतु की, जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। यह राशि लेखापाल से वसूल करते हुए उसे कार्यमुक्त करने का आदेश दिया गया है। वहीं, चास स्थित कस्तूरबा विद्यालय में 10.81 लाख का हिसाब-किताब नहीं मिला। इसे गंभीर मामला बताते हुए तत्कालीन वार्डेन को कार्यमुक्त करने का आदेश दिया गया है।


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