रिम्स में मशीन-उपकरण खरीद में करोड़ों के घोटाला मामले में दोषियों पर होगी कार्रवाई
Machine Procurement Scam in RIMS Ranchi मामला रिम्स के डेंटल कॉलेज का है। रिम्स ने अपर निदेशक और प्रशासन को रिपोर्ट की समीक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है। टेंडर में भारी गड़बड़ी हुई थी। कमीशन के लिए जरूरत से अधिक उपकरण खरीदे थे।
रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। रांची के रिम्स डेंटल कॉलेज में मशीन-उपकरण खरीद में करोड़ों रुपये के हुए घोटाले के मामले में अब कार्रवाई होगी। रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) ने महालेखाकार की रिपोर्ट पर दोषी लोगों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। महालेखाकार की रिपोर्ट की समीक्षा कर दोषी लोगों की पहचान करने की जिम्मेदारी रिम्स के ही अपर निदेशक-प्रशासन सह स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव बाघमारे प्रसाद कृष्ण को दी गई है।
रिम्स सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य सचिव डा. नितिन मदन कुलकर्णी की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई रिम्स की वित्त एवं लेखा समिति की बैठक में महालेखाकार की रिपोर्ट पर चर्चा हुई। उस बैठक में महालेखाकार की रिपोर्ट की समीक्षा कर दोषी लोगों की पहचान कर अनुशासनिक कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। इसमें रिम्स में हुई स्पेशल ऑडिट पर भी चर्चा हुई।
बता दें कि रिम्स डेंटल कॉलेज में मशीन-उपकरणों की खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की बातें महालेखाकार की जांच रिपोर्ट में सामने आई थी। रिपोर्ट के अनुसार, कमीशन के लिए जरूरत से काफी अधिक उपकरण भी खरीदे गए थे। डेंटल वैन की खरीद के लिए हुए टेंडर में भी गड़बड़ी हुई थी।
इस तरह की हुई थीं गड़बडिय़ां
-डेंटल वैन खरीदेन के लिए एक ही कंपनी ने दो नाम से टेंडर भरे थे और इसे लाभ देने के लिए इन दोनों कंपनियों को ही तकनीकी रूप से योग्य पाया गया। इस कारण अन्य कंपनियों के फाइनेंशियल बिड ही नहीं खोले गए।
-कमीशन के फेर में रिम्स के तत्कालीन अफसरों ने वित्तीय नियमों को धता बताते हुए मशीन-उपकरण खरीदे। यहां तक कि स्वीकृत प्रस्ताव तथा अनुमानित बजट से कई गुना अधिक के मशीन-उपकरण खरीद लिए गए। रिम्स शासी परिषद ने 9.23 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी थी, लेकिन मशीन-उपकरण 37.42 करोड़ रुपये के खरीदे गए।
-डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के नाम्र्स के तहत 123 बेसिक डेंटल चेयर की जरूरत थी, लेकिन अफसरों ने ऐसे कुल 135 बेसिक डेंटल चेयर खरीद डाले। इससे 1.71 करोड़ रुपये अधिक खर्च हुए।
-20 अल्ट्रासोनिक स्केलर्स 2.29 लाख रुपये की दर से अधिक खरीदे गए। इसी तरह 25 लाइट केयर यूनिट उपकरणों की अधिक खरीद हुई, जिससे 47.65 लाख रुपये अतिरिक्त खर्च हुए। इस तरह की कई अन्य गड़बडिय़ां महालेखाकार की रिपोर्ट में दर्ज की गई थीं।