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गढ़वा व लेस्‍लीगंज के पूर्व बीडीओ समेत प्रशासनिक सेवा के 4 अधिकारियों पर कार्रवाई, भ्रष्‍टाचार का है आरोप

Jharkhand Crime News. विभिन्न आरोपों को प्राथमिक तौर पर सत्य पाए जाने के बाद कार्मिक विभाग ने निर्णय लिया है। कोडरमा के पूर्व डीटीओ के खिलाफ कार्रवाई का आदेश निरस्त।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 09:32 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jul 2020 01:26 PM (IST)
गढ़वा व लेस्‍लीगंज के पूर्व बीडीओ समेत प्रशासनिक सेवा के 4 अधिकारियों पर कार्रवाई, भ्रष्‍टाचार का है आरोप

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा के चार अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्णय लिया है। इन अधिकारियों पर निर्देशों की अवहेलना, भ्रष्टाचार और दुर्व्‍यवहार जैसे आरोप लगे हैं। कोडरमा के जिला परिवहन पदाधिकारी रह चुके शंकर यादव के खिलाफ पूर्व में लिए गए निर्णय को निरस्त कर दिया गया है। हाई कोर्ट से आदेश मिलने के बाद विभाग ने उनके खिलाफ दो वेतन वृद्धि और तीन वर्षों के लिए प्रोन्नति बाधित करने का निर्णय वापस ले लिया है।

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राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी और गढ़वा में नगर परिषद की तात्कालिक कार्यपालक पदाधिकारी रह चुकी अंजना दास पर डस्टबिन आपूर्ति घोटाला, एलईडी लाइट की खरीदारी में अनियमितता आदि आरोप प्राथमिक तौर पर सही माने गए हैं। इन आरोपों के बाद उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही संचालित करने का निर्णय लिया गया है और उन्हें नोटिस भी दी गई है।

पलामू के लेस्लीगंज प्रखंड के बीडीओ रह चुके सत्यम कुमार के खिलाफ भी विभागीय कार्यवाही संचालित होगी। उनके खिलाफ सांसद ने दुर्व्‍यवहार का आरोप लगाया था। सांसद प्रतिनिधि और एक महिला कर्मी से भी दुर्व्‍यवहार की बात सामने आई थी। सत्यम कुमार राजधनवार में भी प्रखंड विकास पदाधिकारी जा चुके हैं। कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग ने इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही संचालित करने का निर्णय लिया है।

इसी तरह गढ़वा सदर के प्रखंड विकास पदाधिकारी रह चुके प्रदीप कुमार महतो के खिलाफ भी विभागीय कार्यवाही संचालित होगी। इन पर विभिन्न योजनाओं के लिए दिए गए निर्देशों की अवहेलना करने जैसे आरोप प्राथमिक तौर पर सही पाए गए हैं।

इसी प्रकार लिट्टीपाड़ा के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी राजीव कुमार मिश्रा के खिलाफ भी विभागीय कार्यवाही संचालित होगी। राजीव मिश्रा पर आरोप है कि इन्होंने मनरेगा योजना में अनियमितताएं की, फर्जी मस्टररोल से अवैध भुगतान किए और अधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना की।


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