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मैनहर्ट मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास सहित सभी आरोपितों का बयान लेगा एसीबी

मैनहर्ट मामले का अनुसंधान कर रहा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अब पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास तत्कालीन संबंधित प्रशासनिक पदाधिकारियों व अन्य सभी आरोपितों का बयान लेगा। आरोपितों के बयान की एसीबी में समीक्षा होगी और समीक्षा में एसीबी उनके बयान से संतुष्ट नहीं हुआ।

By Vikram GiriEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 11:09 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 11:09 AM (IST)
मैनहर्ट मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास सहित सभी आरोपितों का बयान लेगा एसीबी
मैनहर्ट मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास सहित सभी आरोपितों का बयान लेगा एसीबी। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। मैनहर्ट मामले का अनुसंधान कर रहा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अब पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, तत्कालीन संबंधित प्रशासनिक पदाधिकारियों व अन्य सभी आरोपितों का बयान लेगा। आरोपितों के बयान की एसीबी में समीक्षा होगी और समीक्षा में एसीबी उनके बयान से संतुष्ट नहीं हुआ तो वैसे आरोपितों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर विधि सम्मत कार्रवाई शुरू होगी। इसके लिए अब एसीबी पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास सहित सभी आरोपितों को नोटिस जारी करने जा रहा है।

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कोरोना वायरस का संक्रमण कम होते ही एसीबी में लंबित सभी मामलों का अनुसंधान तेज हो गया है। अभी हाल ही में एसपी रैंक के तीन अधिकारियों को एसीबी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है ताकि अनुसंधान की गुणवत्ता बनी रहे। विधायक सरयू राय के आवेदन पर ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गत वर्ष एक अक्टूबर 2020 को ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को इस पूरे मामले की जांच का आदेश दिया था। एसीबी ने जांच शुरू ही किया था कि कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ा और अनुसंधान की गति धीमी पड़ गई। अब जब कोरोना वायरस का संक्रमण कम हुआ है, अनुसंधान फिर तेज कर दी गई है।

मैनहर्ट का मामला वर्ष 2006 का है। तब रघुवर दास तत्कालीन अर्जुन मुंडा सरकार में उप मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री थे। उसी वक्त रांची में सिवरेज-ड्रेनेज का काम आर्ग स्पाम प्राइवेट लिमिटेड को मिला था। करीब 75 फीसद डीपीआर बनने के बाद सरकार ने कंपनी से काम वापस ले लिया था और उक्त काम मैनहर्ट को दे दिया गया था। आरोप है कि नियम-कानून को ताक पर रखकर मैनहर्ट को काम दिया गया था, इसके लिए नियम व शर्तों की अवहेलना की गई थी। काम देने के लिए शर्त रखा गया था उसी कंपनी को काम मिलेगा, जिसका टर्नओवर 300 करोड़ से अधिक हो और जिसे सिवरेज-ड्रेनेज में काम करने के लिए तीन साल का अनुभव हो। शर्तों को पूरा नहीं करने के बावजूद मैनहर्ट को यह काम दे दिया गया था।


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