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कंबल घोटाले की ACB जांच, फंसेंगे कई अधिकारी; पूर्व मंत्री सरयू राय ने भी उठाया था मामला

Jharkhand. तत्कालीन विकास आयुक्त अमित खरे ने गड़बड़ी पकड़ी थी। सीएजी ने भी खामियों को उजागर किया था। लगभग 14 करोड़ का घोटाला हुआ था।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 10:46 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 10:46 AM (IST)
कंबल घोटाले की ACB जांच, फंसेंगे कई अधिकारी; पूर्व मंत्री सरयू राय ने भी उठाया था मामला
कंबल घोटाले की ACB जांच, फंसेंगे कई अधिकारी; पूर्व मंत्री सरयू राय ने भी उठाया था मामला

रांची, [प्रदीप सिंह]। राज्य सरकार झारक्राफ्ट के बहुचर्चित कंबल घोटाले की जांच कराएगी। घोटाले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) करेगा, जिसमें कई अधिकारियों की गर्दन फंसने की संभावना है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बाबत आदेश जारी कर दिए हैं। तत्कालीन विकास आयुक्त अमित खरे ने सबसे पहले कंबल वितरण के भुगतान को लेकर गड़बड़ी पकड़ी थी और तफ्तीश के आदेश दिए थे।

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नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की जांच में कंबल घोटाले की पुष्टि हुई थी। बुनकर समितियों ने भी इस बाबत शिकायत की थी जो सही पाया गया था। तत्कालीन सरकार ने इसपर कार्रवाई करते हुए जांच के आदेश दिए थे। अलग-अलग 28 कमेटियां जिलावार जांच के लिए बनाई तो गईं, लेकिन इसकी बड़े पैमाने पर लीपापोती की गई, लिहाजा इस घोटाले की जांच नए सिरे से कराने का निर्णय किया गया है।

10 लाख कंबल बनाने की जिम्मेदारी मिली थी झारक्राफ्ट को

झारखंड सरकार ने वर्ष 2017-18 में गरीबों के बीच वितरित करने के लिए लगभग 10 लाख कंबल बनाने की जिम्मेदारी झारक्राफ्ट को सौंपी थी। इस तर्क के साथ यह आदेश दिया गया था कि कंबल बुनाई का काम सखी मंडलों और बुनकर समितियों के जरिए झारक्राफ्ट कराएगा। सरकार इनसे कंबल खरीदकर गरीबों को बांटेगी और इसके लिए टेंडर की भी जरूरत नहीं होगी।

आदेश के बाद झारक्राफ्ट ने कंबल बुनाई के लिए पानीपत से 18.81 लाख किलो ऊनी धागा ट्रकों के जरिए मंगाने और उसकी बुनाई के बाद अंतिम टच हेतु कंबलों को पानीपत भेजने के लिए कुछ कंपनियों संग करार किया। सीएजी की रिपोर्ट कहती है कि जिन ट्रकों से धागा मंगवाने और फिर उन्हें फिनिशिंग के लिए पानीपत भेजने का दावा किया है, वे जांच में फर्जी पाए गए।

इन ट्रकों के पानीपत से झारखंड में आने के दौरान विभिन्न टोल प्लाजा से उनके गुजरने के दावे गलत निकले। नेशनल हाईवे अथॉरिटी आफ इंडिया के दस्तावेजों से जब जांच के क्रम में मिलान किया गया, तो वे दावे फर्जी पाए गए। उन तारीखों पर वे ट्रक इन टोल प्लाजा से नहीं गुजरे थे। झारक्राफ्ट ने 144 ट्रकों द्वारा 320 फेरे लगाने का ब्यौरा सौंपा था, जिसमें 318 ट्रिप फर्जी पाए गए। पानीपत से 19.93 लाख किलो ऊनी धागा मंगवाने के दावे की जांच में यह पाया गया कि 18.81 लाख किलो धागा मंगवाया ही नहीं गया।

इसके एवज में लगभग 14 करोड़ का भुगतान कर दिया गया। एक-एक सखी मंडल से एक दिन में तीन-तीन लाख पीस कंबलों की बुनाई के दावे किए गए, जो असंभव थे। बिल बनाने में भी गड़बड़ी पकड़ी गई। पानीपत से झारखंड आने के क्रम में कुछ वैसे ट्रकों का जिक्र है, जिसने यह दूरी सिर्फ 24 घंटे या उससे भी कम समय में तय कर ली। इसी तरह कुछ ट्रकों ने एक ही वक्त पर दो अलग-अलग मार्ग पर सफर किया।

हटाई गई थीं तत्कालीन एमडी रेणु पणिक्कर

झारक्राफ्ट के तत्कालीन प्रबंध निदेशक ने इन गड़बडिय़ों की मुख्य आरोपी तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेणु गोपीनाथ पणिक्कर का अधिकार जब्त कर लिया था। कार्रवाई के बाद पणिक्कर ने अधिकारी के. रविकुमार पर कई संगीन आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। के रवि कुमार (वर्तमान परिवहन सचिव) ने पणिक्कर के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था।

प्रमुख गड़बड़ी

  • 320 फेरे लगाने का ब्यौरा सौंपा था झारक्राफ्ट ने, 318 ट्रिप फर्जी पाए गए। 
  • पानीपत से 19.93 लाख किलो ऊनी धागा मंगवाने का दावा, 18.81 लाख किलो धागा आया ही नहीं।

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