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एक गांव ऐसा जहां लाकडाउन की अवधि में श्रमदान से पूरी कर ली 350 एकड़ जमीन पर मेड़बंदी

रांची झारखंड के नक्सल प्रभावित खूंटी जिले में गांधी के ग्राम स्वराज का सपना साकार होता दिख रहा है। गुनी गांव में दो महिलाओं ने इन सपने को साकार किया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 06:03 AM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 06:03 AM (IST)
एक गांव ऐसा जहां लाकडाउन की अवधि में श्रमदान से पूरी कर ली 350 एकड़ जमीन पर मेड़बंदी
एक गांव ऐसा जहां लाकडाउन की अवधि में श्रमदान से पूरी कर ली 350 एकड़ जमीन पर मेड़बंदी

शक्ति सिंह, रांची : झारखंड के नक्सल प्रभावित खूंटी जिले में गांधी के ग्राम स्वराज का सपना साकार हो रहा है। कभी हिसा के लिए देश-दुनिया में चर्चित इलाके अब सभ्य समाज के लिए उदाहरण पेश कर रहे हैं। जिले के कर्रा प्रखंड के गुनी गांव के लोगों ने अपनी मेहनत से गांव की तस्वीर बदल दी है। लाकडाउन की अवधि में जब सारा देश अपने घरों में बंद रहा। इस दौरान गांव के लोगों ने अपने लिए नए नियम बनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर गांव में ग्राम लाकडाउन का सिद्धांत अपनाया गया। गांव का कोई भी व्यक्ति गांव से बाहर नहीं गया। गांव में रहकर इस अवधि में पानी बचाने के लिए खेतों में मेड़बंदी का कार्य पूरा कर लिया गया। अपनी पहल के जरिए यह शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार, सिचाई व पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्र में देश के समक्ष मिसाल पेश कर रहा हैं। बात अगर शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की करें तो गांव के बच्चों को साक्षर बनाने के लिए गांव के युवक ही आ गए हैं। सामुदायिक भवन को पाठशाला में तब्दील कर दिया गया है। 80 बच्चों के पठन-पाठन की व्यवस्था की गई है।

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ग्राम स्वराज की अवधारणा पर अमल करते हुए गांव की ग्राम पंचायत ने सभी ग्रामीणों के लिए अनिवार्य श्रमदान का प्रावधान किया है। कभी नशे के कारण अराजकता का केंद्र रहे गांव ने अपने दृढ़ निश्चय के जरिए गांव को नशामुक्त बना लिया है। मेड़बंदी के जरिए वर्षा जल का संचयन कर खेतों के सिचाई की व्यवस्था कर ली गई है। बारिश का एक बूंद पानी गांव के बाहर नहीं जाता। सिचाई की व्यवस्था होने के कारण बंजर पड़ी गांव की 50 एकड़ भूमि में से 40 एकड़ भूमि पर खेती शुरू हो गई है। पहले गांव में वर्ष में एक फसल होती थी। अब तीन से चार फसल का उत्पादन होता है। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें इस अभिनव प्रयोग की प्रेरणा मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी से प्राप्त हुई। उन्होंने गांव में बदलाव की कहानी की पूरी पृष्ठभूमि तैयार की। ग्रामीणों ने इस पर अमल किया। धीरे-धीरे बदलाव दिखने लगा है।

गांव में प्रयोग के तौर पर राज्य सरकार ने लागू की योजना

गांव की तस्वीर बदलने के लिए ग्रामीण व राज्य सरकार ने साथ मिलकर प्रयत्न किए। इस गांव को राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना के लिए चुना गया था। एक वर्ष में ग्राम पंचायत व सरकारी तंत्र ने मिलकर काम किया। वर्ष 2019 और वर्ष 2020 की तस्वीर के अभूतपूर्व बदलाव दिखाई दे रहा है। शहरों की तरह इस गांव में हर दिन सफाई होती है। गांव में बच्चों को टीकाकरण अनिवार्य है। गांव में कुल 70 परिवार रहते हैं। हर माह निर्धारित तिथि को गांव के लोग सामूहिक श्रमदान करते हैं। गांव में कचरा फैलने से बचाने के लिए आठ स्थान बनाए गए हैं। अगर कोई व्यक्ति गांव में गंदगी फैलाते पाया गया तो उसके खिलाफ जुर्माने का प्रावधान किया गया है। गांव के लोगों ने श्रमदान के जरिए पौधारोपण कर इसको हराभरा बना दिया है। गांव के करीब 350 एकड़ जमीन की मेड़बंदी हो चुकी है। एक तरफ जहां पूरी दुनिया पूरे आठ माह से कोरोना की महामारी झेल रही है। इस गांव में कोई व्यक्ति इससे संक्रमित नहीं हुआ। पिछले तीन महीने में गांव का एक भी व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त नहीं हुआ।

गांव में दो महिलाओं को बनाया गया लोकप्रेरक

गांव में साफ-सफाई के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए ग्राम सभा की ओर से दो महिलाओं को लोकप्रेरक नियुक्त किया गया है। इसमे सीमा और संतोषी शामिल हैं। ग्राम पंचायत की ओर से लिए गए निर्णय पर अमल करने के लिए लोकप्रेरक ग्रामीणों को उत्प्रेरित करती हैं। इसकी निगरानी करती हैं। गांव में नशा मुक्ति अभियान की शुरुआत ग्राम प्रधान से ही की गई। जल संरक्षण, पौधों को बचाने के लिए लोगों को शपथ दिलाई गई। गांव में 70 परिवार रहते हैं। लेकिन कई मामलों में जागरूकता नहीं होने के कारण ग्रामीणों की मुश्किलें और बढ़ जाती थीं। बीते छह माह में साफ-सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ी है। गांव में अब लोग बीमार नहीं पड़ रहे। बच्चों को नियमित टीकाकरण करा रहे हैं।

सीमा, लोकप्रेरक, दीनदयाल ग्राम स्वालंबन योजना शुरुआती दौर में गांव के लोग सलाह को गंभीरता से नहीं लेते थे। धीरे-धीरे समय के साथ-साथ ग्रामीणों ने उनकी बातों की महत्ता को समझा और आज गांव पूरी तरह से नशा मुक्त हो चुका है।

संतोषी, लोकप्रेरक, दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना पहले गांव में एकता नहीं थी। किसी भी मामले पर एक मत गांव वाले नहीं दिखते थे। लेकिन लोगों को विभिन्न पहलुओं पर जागरूक करने के बाद अब गांव के विकास के प्रति अपनी गंभीरता बढ़ाई है। हर जगह विकास दिखने लगा है।

गौरव, मेंटर गांव अब नशा मुक्त हो गया है। साथ ही गांव का विकास भी हो रहा है। यह सब कुछ संभव लोक प्रेरक द्वारा ग्रामीणों को जागरूक करने पर हुआ है।

सहदेव मुंडा, प्रधान, गुनी गांव गांव का भविष्य अच्छा दिख रहा है। मामला चाहे शिक्षा का हो या फिर बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर, सभी की सकारात्मक पहल के कारण आज बेहतर मिल रहे हैं।

लक्ष्मण, ग्रामीण, गुनी गांव


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