PM Awas Yojana: गांवों में बन गए 86% आवास, शहर में अभी 30 फीसद तक पहुंचा आंकड़ा
ग्रामीण विकास विभाग ने 528791 आवासों के लक्ष्य के विरुद्ध 454582 आवासों का निर्माण कर 86 फीसद लक्ष्य हासिल कर लिया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। करमटोली की एक तंग बस्ती में बहुत मुश्किल से गुजर-बसर करने वाली सोमारी कच्छप ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके सिर पर भी कभी अपनी पक्की छत होगी। पति का साथ पहले ही छूट चुका था। बेटी सुमन कच्छप ही उसकी सहारा थी। प्रधानमंत्री आवास योजना ने उसके सपने को पूरा कर दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए उसका चयन 2016-17 में हुआ। दो-तीन महीने हुए आज करमटोली में ही धर्मवीर क्लब के पास उसका अपना आशियाना है, जहां वह अपनी पुत्री के साथ रह रही है।
राधिका तिर्की का भी घर का सपना इसी साल पूरा हुआ है। राधिका के साथ उसके परिवार के चार अन्य सदस्य आज लौवा कोचा में नवनिर्मित प्रधानमंत्री आवास में रह रही हैं। चाहे वह आम व्यक्ति हो अथवा खास सिर पर छत का सपना हर किसी का होता है, जिसे पूरा करने में प्रधानमंत्री आवास योजना मील का पत्थर साबित हो रही है। सरकार ने आवास की आस सजोए हर शहरी को योजना का लाभ दिलाकर अपना आवास का सपना पूरा करने का संकल्प व्यक्त किया है।
केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों के सहयोग से इस योजना के तहत लोगों के आवास का सपना पूरा भी हो रहा है। योजना के तहत अपनी जमीन पर घर बनाने के लिए भी राशि दी जा रही है। साथ ही आवास ऋण लेने वाले हर व्यक्ति को ढाई लाख रुपये की सब्सिडी भी दी जा रही है। झारखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना की मौजूदा स्थिति की बात करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में यह योजना अपनी रफ्तार में है।
विगत तीन वित्तीय वर्षों की बात करें तो ग्रामीण विकास विभाग ने 528791 आवासों के लक्ष्य के विरुद्ध 454582 आवासों का निर्माण कर 86 फीसद लक्ष्य हासिल कर लिया है। इससे इतर शहरी क्षेत्रों में इसके निर्माण की रफ्तार अपेक्षाकृत धीमी है। 2022 तक सभी बेघरों को पक्का आवास उपलब्ध कराने की इस योजना पर गौर करें तो 2015 के बाद 180078 आवासीय इकाइयों को स्वीकृति मिली। इनमें से महज 48567 इकाइयां ही बन सकीं।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
- - पिछले साढ़े चार वर्षों में 8.50 लाख आवासों के निर्माण को मिली स्वीकृति। इनमें 3.22 लाख नए लाभुक।
- - 30 अक्टूबर तक बड़ी संख्या में लाभुकों को गृह प्रवेश कराए जाने की तैयारी।
- - योजना से वंचित विधवाओं, लाचार आदि को इसका लाभ देने के लिए उपायुक्तों को मिले 250-250 अतिरिक्त आवास।
- - उग्रवाद प्रभावित जिलों में लाभुकों को मिल रहा प्रति इकाई 1.30 लाख रुपये। गैर नक्सल प्रभावित जिलों में मिल रहा 1.20 लाख।
- - आवंटित 6856 करोड़ रुपये में से 6492.91 करोड़ रुपये खर्च।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)
- - नवनिर्मित 15 हजार आवासों में सितंबर में लाभुकों को गृह प्रवेश कराने की योजना तैयार।
- - 34333 आवासों में सितंबर में ही शिलान्यास कराए जाने की तैयारी।
- - प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सामाजिक अंकेक्षण कराने वाला पहला राज्य बना झारखंड।
- - सरकार ने बनाई झारखंड राज्य किफायती आवास नीति। नीति में हर तबके लिए घर का प्रावधान।
- - 30 हजार व्यक्तिगत आवासों में पिछले दो महीने में हुआ गृह प्रवेश।
- - जमशेदपुर, देवघर और रांची में कुष्ठरोगियों के लिए भी बन रहीं आवासीय इकाइयां।
कोई भी ग्रामीण बेघर न रहे, इसे केंद्र में रखकर ग्रामीण विकास विभाग ने लाभुकों के चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली है। छूटे हुए बेघर परिवारों का भी सर्वे जारी है। हजारों परिवारों का गृह प्रवेश कराया जा चुका है। अक्टूबर में बड़ी संख्या में लाभुकों को घरों की चाबी सौंपी जाएगी। नीलकंठ सिंह मुंडा, मंत्री, ग्रामीण विकास
2015 तक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत महज 12801 आवासों की स्वीकृति मिली थी। इससे इतर पिछले साढ़े चार वर्षों में एक लाख 80 हजार 78 आवासों की स्वीकृति मिली। सरकार हर वर्ग को केंद्र में रखकर चार अलग-अलग श्रेणी के मकान लाभुकों को मुहैया करार रही है। सीपी सिंह, मंत्री, नगर विकास एवं आवास विभाग