717 नए उद्योगों से राज्य का औद्योगिक माहौल बदला
उद्योग सचिव ने आंकड़ों के हवाले से बताई बदलाव की कहानी दावा झारखंड को इंडस्ट्रीयल हब बना
उद्योग सचिव ने आंकड़ों के हवाले से बताई बदलाव की कहानी, दावा झारखंड को इंडस्ट्रीयल हब बनाने की
रांची, राब्यू : राज्य में नए उद्योगों से माहौल बदल रहा है और इनकी बदौलत इंडस्ट्रीयल हब बनने की राह पर झारखंड के कदम बढ़ चुके हैं। विगत चार-साढ़े चार वर्षो में 717 नए उद्योग लगे हैं और इनके माध्यम से राज्य का औद्योगिक परिवेश बदल रहा है। औद्योगिक इकाइयों की संख्या 2,500 से बढ़कर 3,217 हो गई है।
देवघर में प्लास्टिक पार्क के निर्माण का काम शुरू हो चुका है। राज्य सरकार के अथक प्रयासों का नतीजा है कि आज देश-विदेश के निवेशक यहा उद्योग लगाने के लिए आगे आ रहे हैं। यह दावा किया उद्योग सचिव के. रविकुमार ने। इसके साथ ही जोड़ा कि इन उद्योगों के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिले हैं।
उद्योग सचिव सूचना भवन में प्रेस से बात कर रहे थे। इस मौके पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक रामलखन प्रसाद गुप्ता भी मौजूद थे।
उद्योग सचिव ने जानकारी दी कि वर्तमान में उद्योग आधार पोर्टल पर 8,997 लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयां निबंधित हैं। सरकार के प्रयासों का असर है कि भारत सरकार और विश्व बैंक द्वारा बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान के अंतर्गत जारी रैंकिंग में झारखंड 2017 में पहले स्थान पर पहुंचा, जबकि 2014 में झारखंड 24 वें स्थान पर था।
जियाडा के गठन से मिली गति :
उद्योग सचिव ने बताया कि झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (जियाडा) के वजूद में आने के बाद औद्योगिक विकास को गति मिली है और इसके अंतर्गत उद्योगों के लिए भूमि और औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री स्थापित करने के लिए ऑनलाइन स्वीकृति दी जा रही है। जियाडा के अंतर्गत स्वामित्व या प्रोमोटर में परिवर्तन से 115 रुग्ण और बंद इकाइयों को चालू किया जा चुका है।
मोमेंटम झारखंड ने औद्योगिक विकास को दिया नया आयाम :
सचिव ने बताया कि 2017 में हुए मोमेंटम झारखंड ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट से झारखंड में औद्योगिक विकास को नया आयाम मिला। इसके उपरात सात चरणों में हुए ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह में 504 औद्योगिक परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई। इन औद्योगिक इकाइयों के लिए 50,627 करोड़ रुपये का निवेश हुआ और प्रत्यक्ष तौर पर 72,682 लोगों को रोजगार मिला है।
विकास में इस्तेमाल किया जा रहा सीएसआर फंड :
उद्योग सचिव ने बताया कि झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने झारखंड स्टेट कॉरपोरेट सोशल दायित्व काउंसिल लागू किया है। इसके अंतर्गत सीएसआर फंड का इस्तेमाल विकास और कल्याण के क्षेत्र में किया जा रहा है। 2015 में काउंसिल के गठन के बाद से अबतक विभिन्न कंपनियों द्वारा सीएसआर फंड के तहत 15 सौ करोड़ रुपये से ज्यादा राशि विकास और कल्याण कायरें में खर्च की जा चुकी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों के विकास पर भी विशेष जोर :
ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग और उद्यमियों के विकास और प्रोत्साहन पर भी सरकार का विशेष जोर है। उद्योग सचिव ने बताया कि इसके लिए मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड और झारखंड माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री लघु कुटीर उद्यम विकास बोर्ड एवं जिडको के माध्यम से लाह उद्योग के लिए राची के बुंडू, हनी प्रॉसेसिंग के लिए लोहरदगा के कुड़ू, गोल्ड एवं सिल्वर ज्वेलरी के लिए रामगढ़ और लाह उद्योग के लिए सिमडेगा के कामडारा में कलस्टर का निर्माण किया जा रहा है।
इसके अलावा दुमका में स्टोन क्राफ्ट एवं एग्रीकल्चर कलस्टर और हजारीबाग में ब्रास ब्राज यूटेंसिल्स कलस्टर खोलने को स्वीकृति मिल चुकी है।
बदलाव के लिए आधार तैयार करनेवाले कदम :
- टेक्सटाइल इंडस्ट्री की स्थापना के लिए राची के होटवार, चकला एवं दरदाग औद्योगिक क्षेत्र, कुल्ही औद्योगिक क्षेत्र, सिल्क पार्क के लिए इरबा में भूमि का आवंटन।
- राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 44 करोड़ से बनने वाले विश्व ट्रेड सेंटर को केंद्र सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है।
- राची में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना की गई है।
- झारखंड इंस्टीट्यूट ऑफ क्राफ्ट एंड डिजाइनिंग की स्थापना करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
- आमदा खादी पार्क शुरू हो चुका है, जबकि दुमका में दुधानी खादी पार्क निर्माणाधीन है।
- राची में फार्मा पार्क और धनबाद में लेदर पार्क की परियोजना को सैद्धातिक स्वीकृति मिल चुकी है।
- राची के नामकुम में आइटी टावर बनाने का कार्य प्रगति पर है।
- झारखंड फूड प्रॉसेसिंग की 73 इकाइयों पर लगभग 501 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।
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