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दलाल-अफसर गठजोड़ से बेची 6.50 लाख एकड़ सरकारी जमीन

दलालों और अफसरों ने यह कारनामा एक-दो वर्षो में नहीं, कई दशकों में किया है। जब सरकार की नींद टूटी, मुख्य सचिव ने अवैध जमाबंदी रद करने का आदेश जारी किया।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2016 01:22 AM (IST)Updated: Wed, 21 Sep 2016 02:45 AM (IST)
दलाल-अफसर गठजोड़ से बेची 6.50 लाख एकड़ सरकारी जमीन

रांची [विनोद श्रीवास्तव]। दलाल-अफसर गठजोड़ में झारखंड की 6 लाख 48 हजार 572 एकड़ बेशकीमती सरकारी जमीन बिक गई। इस जमीन की दो लाख 63 हजार 249 व्यक्तियों, संस्थाओं आदि के नाम से अवैध जमाबंदी कर दी गई। इस गड़बड़ी को अंजाम देने में खतियान और पंजी दो में बड़े पैमाने पर हेरफेर की गई, वहीं कई मामले में पंजी दो के सैकड़ों पन्ने तक बदल दिए गए।

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दलालों और अफसरों ने यह कारनामा एक-दो वर्षो में नहीं, कई दशकों में किया है। जब सरकार की नींद टूटी, मुख्य सचिव ने अवैध जमाबंदी रद करने का आदेश जारी किया। राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने जिलावार ऐसी भूमि का ब्योरा तैयार कराया तो इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। सर्वाधिक 50 हजार 622 अवैध जमाबंदियां बोकारो में हुई हैं। इसके बाद क्रमिक रूप से हजारीबाग, चतरा, धनबाद, गिरिडीह और रांची में यह खेल हुआ। बहरहाल मुख्य सचिव के आदेश के बाद राज्य के 33 हजार 183 मौजों से जुड़ी जमीन की अवैध जमाबंदी रद करने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं।

विभिन्न प्रकृति की ऐसी सरकारी भूमि को चिह्नित करने के बाद उसे निरस्त की कार्रवाई अंचल पदाधिकारी से लेकर प्रमंडलीय आयुक्त स्तर तक के पांच अधिकारियों के पास लंबित है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य में बड़े पैमाने पर हुई सरकारी भूमि की अवैध जमाबंदी पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि कई स्तरों से गुजरने और कई चरणों में पूरी होने वाली जमीन की जमाबंदी की कार्रवाई बगैर दलाल-अफसर गठजोड़ के नहीं हो सकती। ऐसे में राजस्व मद में करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाले अफसरों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाना चाहिए।


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