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Sunderkand Paath: विजयादशमी पर देश-विदेश के 40 लाख परिवारों ने किया सुंदरकांड का पाठ

Dussehra संध्या 4 बजे से 5 बजे तक देश-विदेश में परिवारशः आयोजित सुंदरकांड पाठ का सीधा प्रसारण किया गया एवं एकल अभियान पर लघु फिल्म दिखाई गई। रांची सहित देश-विदेश के लाखों लोगों ने इस सुंदरकांड पाठ का सीधा प्रसारण देखा।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 11:39 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 01:00 PM (IST)
Sunderkand Paath: विजयादशमी पर देश-विदेश के 40 लाख परिवारों ने किया सुंदरकांड का पाठ
विजयादशमी पर सुंदर कांड का पाठ करते लोग।

रांची, [संजय कुमार]। एकल अभियान श्रीहरि सत्संग समिति  के आह्वान पर विजयादशमी के दिन 25 अक्टूबर को 40 लाख परिवारों ने सुंदरकांड का पाठ हुआ। इतने परिवार के लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया था। इसमें भारत के साथ-साथ विदेश में रहने वाले भारतीय परिवारों के लोगों ने सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक अपनी सुविधा के अनुसार घरों में पाठ किए। अमेरिका, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, हागकांग आदि वैसे देश जहां एकल अभियान से जुड़े भारतीय रहते हैं, बड़ी संख्या में शामिल हुए।

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रविवार शाम शाम 4 बजे से 7 :30 बजे तक साढ़े तीन घंटों तक सुभारती चैनल सहित यू-ट्यूब, फेसबुक, सोशल मीडिया पर सुंदरकांड का सीधा प्रसारण किया गया। यह प्रसारण आरोग्य भवन के एकल अभियान सभाकक्ष से किया गया। संध्या 4 बजे से 5 बजे तक देश-विदेश में परिवारशः आयोजित सुंदरकांड पाठ का सीधा प्रसारण किया गया एवं एकल अभियान पर लघु फिल्म दिखाई गई।

इसके पश्चात् संध्या 5 बजे से 7:30 बजे तक एकल श्रीहरि कथा योजना द्वारा प्रशिक्षित व्यास कथाकारों ने सुंदरकांड पाठ का लयबद्ध वाचन किया। रांची से प्रसारित होने वाले सुंदरकांड पाठ में कुल 150 मिनट लगेंगे, जिसमें दीप प्रज्वलन, मंगला चरण, गणेश वंदना, हनुमान चालिसा, एकल भजन सुंदरकांड पाठ पंचभजन, हनुमान जी एवं भारत माता की आरती प्रस्तुत की जाएगी। रांची सहित देश-विदेश के लाखों लोगों ने इस सुंदरकांड पाठ के सीधा प्रसारण को देखा।

मुख्य कथाकार देवकीनंदन दास के नेतृत्व में 12 से अधिक महिला व पुरुष कथाकारों ऐसा समां बांधा कि लोग मंत्रमुग्ध हो गए। इन कथाकारों में ज्यादा वनवासी समाज से जुड़े थे। इस अभियान को सफल बनाने में एकल के पदाधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रांची से ऑनलाइन प्रसारित कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक सतीश तुलस्यान सहसंयोजक उषा जालान, सुनीता महानसरिया, रेखा जैन, वासुदेव भाला, सूर्य प्रकाश शर्मा, ललन शर्मा अमरेन्द्र विष्णुपुरी, जीतू पाहन, नन्द किशोर रवि आदि सक्रिय रूप से लगे रहे।

एकल का विजय दिवस था : श्यामजी गुप्त

एकल अभियान के संस्थापक श्यामजी गुप्त ने कहा कि हम सब जानते हैं कि विजयादशमी के दिन त्रेता युग की रामजी की सेना के विजय का दिवस था। किंतु कैसा संयोग है कि कलियुग में भी रामजी की सेना का कल विजय दिवस रांची में मनाया गया। यह भी सर्वविदित है कि एकल के विद्यालय अवश्य धनबाद के ग्रामीण क्षेत्र में सबसे पहले प्रारंभ किए गए, किंतु इसका कार्यालय प्रारंभ से ही रांची में ही था और आज भी है। इसी रांची का एकल परिवार ही प्रारंभ से मेरे प्रोत्साहन का आधार रहा। यहां से सुंदरकांड की सुंदर प्रस्तुति से सारा एकल परिवार  साक्षी बना।

उन्होंने कहा कि प्रथम गर्व का विषय यह है कि हमारे ग्राम संगठन के सेवा व्रतियों तथा समितियों ने 40 लाख परिवारों को रविवार की शाम तक इस सुंदरकांड पाठ के अभियान से जोड़ लिया था। दूसरा गर्व का विषय है कि हमारे कथाकार भाई-बहनों की प्रस्तुति। यह शायद प्रथम अवसर था, जब संपूर्ण देश ने हमारे कथाकारों की प्रतिभा का इतना ज़बरदस्त प्रदर्शन देखा। इसी प्रकार हमें गर्व करना चाहिए कि ऐसा कोई भी प्रांत नहीं था, जहां इस योजना का पालन नहीं हुआ।

अर्थात् अब हम गर्व से कह सकते हैं कि केवल एकल विद्यालय ही सभी प्रांतों में नहीं पहुँचे, वरण हमारी विचारधारा भी सभी प्रांतों में समान रूप से स्थापित हो गई है। सब से खुशी की बात है कि रांची के एकल परिवार ने न केवल अपनी सामूहिकता का परिचय दिया, बल्कि कार्यक्रम की भव्यता उनकी क्षमता का प्रमाण पत्र बन गया। मैं अवश्य दिल्ली में था, किंतु पूरे समय रांची के कथाकारों तथा समिति के बंधु भगिनी वृंद के बीच में ही खो गया था। चूँकि मैं सबसे परिचित था, अतः ऐसा लग रहा था कि मैं उन सब के बीच उपस्थित होकर इस उत्सव का आनंद ले रहा हूं।

इसे कहते हैं -

जा पर कृपा राम के होई।

ता पर कृपा करे सब कोई।

रविवार को हमने हनुमान जी के दिल में विराजमान राम जी का पूरा-पूरा आशीर्वाद प्राप्त करने की परीक्षा को भी जीत लिया। अर्थात् कल एकल परिवार का भी विजय दिवस था।


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