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90 लाख का हो गया 4 लाख वाला मकान, खरीदार नहीं मिलने से बर्बादी के कगार पर झारखंड राज्य आवास बोर्ड

Housing Board हुडको से 1980 में चार लाख रुपये लोन लेकर आवास बोर्ड के मकान बनाए गए थे। 13% चक्रवृद्धि ब्याज की दर से कीमत बढ़ रही है। मकानों की हालत भी खस्ता होती गई है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 06:05 AM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 11:39 AM (IST)
90 लाख का हो गया 4 लाख वाला मकान, खरीदार नहीं मिलने से बर्बादी के कगार पर झारखंड राज्य आवास बोर्ड

रांची, [आशीष झा]। सूदखोरों के चक्कर में आम लोगों को पड़कर बर्बाद होते तो देखा होगा, अब एक सरकारी संस्था की बर्बादी की कहानी भी सुन लीजिए। बिहार से कटकर बना झारखंड राज्य आवास बोर्ड को कुछ ऐसे कर्जे तोहफे में मिले हैं। अब ना ये कर्जे उतर रहे हैं और ना ही इनसे छुटकारे का रास्ता दिख रहा है। यह कर्ज संयुक्त बिहार के समय में लिया गया था और मकसद था आवास बनाकर आम लोगों को सस्ती कीमतों पर मुहैया कराना। ना लाभ और ना नुकसान के आधार पर पूरा काम होना था।

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 सो, बिहार राज्य आवास बोर्ड (अब झारखंड राज्य आवास बोर्ड) ने वित्तीय संस्थान हुडको से कर्ज लेकर आवासों का निर्माण कराया। 80 के दशक में बने इन आवासों में से कई समय पर बिक नहीं पाए, लेकिन इन आवासों पर ब्याज चढ़ता रहा। उधर ब्याज की रफ्तार से इन आवासों की कीमत भी लगातार बढ़ाते रहना आवास बोर्ड की मजबूरी थी। एसे में 13 फीसद की दर से चक्रवृद्धि ब्याज जुड़ते-जुड़ते कीमत कई गुना बढ़ गई है। हालत यह है कि एचआइजी श्रेणी के लोगों के लिए कभी चार लाख में नहीं बिका मकान अब 90 लाख का हो गया है। खरीदार की तलाश जारी है। सो, समाचार पत्रों में एक बार फिर विज्ञापन निकाले गए हैं लेकिन बिक्री होने को लेकर पहले की ही तरह संशय बना हुआ है।

यह कहानी महज एक घर की नहीं है। जनता फ्लैट नाम सुनकर ही जेहन में गरीबों के लिए बनाए गए आवास की तस्वीर सामने आने लगती है। एक बेडरूम के इस फ्लैट की शुरुआती कीमत 11 हजार रुपये थी। कई लोगों को यह आवास आवंटित भी हुए हैं और कई इनमें रह भी रहे हैं। इनमें कुछ खाली रह गए फ्लैटों की कीमत अब 13 लाख रुपये है। फ्लैटों की हालत भी उतनी अच्छी नहीं। ऐसे में शायद ही बोर्ड को खरीदार मिले।

आवास बोर्ड को ऐसे दर्जनों फ्लैटों के लिए खरीदार की तलाश है। एक दशक में कई बार इनके लिए विज्ञापन भी निकले हैं, लेकिन खरीदार जुट नहीं पाए। अब एक बार फिर जिन 400 से अधिक आवासों के लिए विज्ञापन निकाला गया है, उनमें आधे से अधिक ऐस आवास जर्जर हालत में हैं। ऐसा नहीं कि आवास बोर्ड के सभी फ्लैट पुराने और जर्जर हैं। कुछ नए फ्लैट बनकर तैयार हैं और इनके लिए भी खरीदारों की तलाश है, लेकिन इनकी ऊंची कीमतों को भी खरीदारों ने नकार दिया।

अभी सिम्फनी अपार्टमेंट में बने कुछ आवासों को बेचने के लिए बोर्ड ने विज्ञापन निकाला है जिसकी कीमत 49 लाख रुपये (टू बीएचके फ्लैट) और 75 लाख रुपये (थ्री बीएचके फ्लैट) रखी गई है। ये सभी फ्लैट आसपास के अपार्टमेंट में बने फ्लैटों से महंगे होने के कारण बिक नहीं रहे हैं। इसके बावजूद कुछ आवासों के खरीदार भी जुटेंगे। देखना है कि बोर्ड के लिए खरीदारों की तलाश कब तक पूरी होती  है।

कहां कितने आवास

रांची : 245 फ्लैट

जमशेदपुर : 100

धनबाद : 67


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