HEC: एचईसी में 22 हजार से घटकर बच गए 1500 स्थायी कर्मचारी
HEC. कभी देश की शान कहलाने वाली कंपनी एचईसी आज जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी है। आज स्थायी कर्मचारी 22 हजार से घटकर 1500 हो गया है।
रांची, [संजय कुमार]। कभी देश की शान कहलाने वाली कंपनी एचईसी आज जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी है। जिस कंपनी में कभी 22 हजार स्थायी कर्मचारी थे, आज केवल 1500 ही स्थायी हैं। बावजूद उन्हें नियमित रूप से वेतन नहीं मिल रहा है। 1900 ठेका मजदूरों से काम करवाया जा रहा है। वहीं 646 एकड़ जमीन कंपनी झारखंड सरकार को दे चुकी है।
कंपनी के आसपास की जमीन पर स्मार्ट सिटी का निर्माण हो रहा है। रांची लोकसभा सीट से सात बार कांग्रेस एवं पांच बार भाजपा के सांसद रहे हैं। एक बार जनता दल एवं दो बार कांग्रेस से सांसद बनने के बाद सुबोधकांत सहाय केंद्र में मंत्री भी रहे, लेकिन एचईसी की स्थिति सुधारने को विधिवत पहल नहीं हुई। पहले के लोकसभा चुनावों में एचईसी को बचाने का मुद्दा भी छाया रहता था। परंतु इस बार इस तरह का कोई प्रचार भी सुनाई नहीं देता।
कर्मचारियों का भविष्य कितना सुरक्षित
यहां के कर्मचारियों का भविष्य कितना सुरक्षित है नहीं कहा जा सकता। परिजन भी परेशान रहते हैं। अभी भी सैकड़ों कर्मचारियों का 1997 से 2007 तक का एरियर बकाया है। अब लोगों की नजर आगामी सरकार पर है, जो इस कंपनी के भविष्य के बारे में निर्णय लेगी। देखना है कि जिस कंपनी ने कभी स्पेस सेंटर, रेलवे, सीसीएल, ऊर्जा मंत्रालय सहित कई संस्थानों के लिए उपकरणों का निर्माण किया उसकी स्थिति कैसे सुधरती है।
कंपनी की हालत खराब होती गई
दरअसल कंपनी की हालत लगातार खराब होती गई। कई सेवानिवृत्त अधिकारियों ने बातचीत में कहा कि हमलोग सोचते थे कि बड़ी कंपनी है बच्चों का भविष्य यहां सुरक्षित रहेगा। परंतु ऐसा हुआ नहीं। एक समय तो ऐसा आया कि कर्मचारियों को लगने लगा कि अब कंपनी बंद हो जाएगी।
झारखंड गठन के बाद तो एचईसी ने अपने अधिकतर कार्यालय सरकार को लीज पर देने का काम किया। अपने अधिकतर आवासों को भी कर्मचारियों को लीज पर दे दिया। जब स्थिति ज्यादा खराब हो गई तब वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से झारखंड के कई सांसदों के साथ भारतीय मजदूर संघ से जुड़े लोग जाकर मिले। इसके बाद इसे बंद नहीं करने का निर्णय लिया गया।
अस्पताल एवं स्कूल हो गए बंद
एचईसी की जब स्थापना हुई थी तो यहां भव्य अस्पताल बना था। आज स्थिति ऐसी हो गई कि उसे निजी हाथों में देने को कंपनी मजबूर हो गई। कर्मचारियों के बच्चों की पढ़ाई के लिए कंपनी की ओर से 21 स्कूल चलाए जाते थे। आज सभी स्कूल बंद हो चुके हैं। कॉलोनी की अधिकांश जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है। सीवरेज एवं नालियों की स्थिति तो और खराब है।
ऐसी है एचईसी
1958 में कंपनी की स्थापना देश में भारी उद्योग स्थापित करने के लिए हुई। बोकारो स्टील सिटी सहित कई कंपनियों की स्थापना एचईसी में निर्मित सामानों से की गई। देश में एचईसी (भारी अभियंत्रण निगम) पहली ऐसी कंपनी थी, जहां एक साथ एचएमटीपी, एचएमबीपी एवं एफएफपी फैक्ट्री की स्थापना एक स्थान पर हुई।
एचईसी ऐसा प्रतिष्ठान है जो फिर से देश को नहीं मिल सकता है। इसलिए इसको बचाने की जिम्मेदारी सब की है। दरअसल प्रबंधन की लापरवाही के कारण आज ऐसी स्थिति आई है। केंद्र सरकार तय कर ले तो कंपनी की स्थिति फिर से सुधर सकती है। -सत्यनारायण कंठ, सेवानिवृत्त, वरीय उपमहाप्रबंधक, एचईसी