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बैंक खाते में पैसे आते गए, निकलते गए, खाताधारी को नहीं मिली फूटी कौड़ी Ranchi News

Ranchi में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। खाताधारी को पता भी नहीं और उनके खाते से करीब डेढ़ करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हो गया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 11:43 AM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 08:05 PM (IST)
बैंक खाते में पैसे आते गए, निकलते गए, खाताधारी को नहीं मिली फूटी कौड़ी Ranchi News
बैंक खाते में पैसे आते गए, निकलते गए, खाताधारी को नहीं मिली फूटी कौड़ी Ranchi News

रांची, राज्य ब्यूरो। रांची में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। खाताधारी को पता भी नहीं और उनके खाते में रुपये आते गए और निकलते भी गए। उक्त खाते से करीब डेढ़ करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हो चुका है। बैंक स्टेटमेंट के अनुसार उक्त राशि की निकासी एटीएम से हुई है। जबकि, खाताधारी के पास एटीएम है ही नहीं। खाताधारी जब तक जिंदा रहे, रुपयों के लिए वे दौड़-धूप करते रहे।

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अब उनकी मौत के बाद उनके बेटे व बहू जीपीएफ के 5.42 लाख रुपये के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। पीडि़त आशीष कुमार वर्मा हैं, जो अपनी पत्नी मोनालिसा वर्मा व दो बेटियों के साथ सुखदेवनगर थाना क्षेत्र में हेहल स्थित दुर्गा मंदिर के पास रोड नंबर तीन में किराए पर रहते हैं। उन्होंने बताया कि अपनी समस्या लेकर वे एसएसपी, लोकायुक्त कार्यालय, मुख्यमंत्री जनसंवाद तक पहुंचे, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी जा रही है।

जवाब यही मिल रहा है कि जीपीएफ की राशि उक्त खाते में जा रही है और उसकी निकासी भी हो रही है। जबकि, आशीष का दावा है कि उन्हें अब तक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है। आशीष के अनुसार खाता उनके पिता अरुण वर्मा के नाम से है। बैंक यह दावा कर रहा है कि उक्त खाते में 13 सितंबर 2014 को ही उक्त राशि जा चुकी है। जब उन्हें चार साल बाद भी राशि नहीं मिली तो उन्होंने बैंक का स्टेटमेंट निकाला। स्टेटमेंट के अनुसार उक्त खाते से करीब डेढ़ करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हो चुका है। लगातार मोटी रकम आई भी है और निकल भी चुकी है।

उनके पिता एनसीसी में लश्कर के पद पर थे। उनके जीपीएफ में कुल पांच लाख 42 हजार 216 रुपये थे। वे 30 जून 2014 को सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद से वे भी जीपीएफ की राशि निकालने के लिए परेशान रहे। उनका देहांत 17 सितंबर 2016 को हो गया। इसके बाद उनके बेटे-बहू भी राशि निकासी के लिए दर-दर भटकते रहे। जब उन्होंने एनसीसी के बरियातू कार्यालय से संपर्क किया तो वहां भी बताया गया कि वर्ष 2014 में ही उक्त राशि भेज दी गई है। राशि कहां गई, यह बताने को कोई तैयार नहीं है।

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