भारत की विरासत को बचाने के लिए हम प्रतिबद्ध: डा. उर्मिला
संवाद सूत्र बरकाकाना (रामगढ़)डीएवी बरकाकाना में सभी कोविड मानदंडों का अनुपालन करते ह
संवाद सूत्र, बरकाकाना (रामगढ़):डीएवी बरकाकाना में सभी कोविड मानदंडों का अनुपालन करते हुए मुख्यअतिथि पूर्व महाप्रबंधक, केंद्रीय कर्मशाला बरकाकाना, त्रिपुरारी मिश्रा एवं प्राचार्या सह क्षेत्रीय अधिकारी झारखंड जोन डी डॉ उर्मिला सिंह द्वारा संयुक्त रूप से झंडोत्तोलन कर पूरे हर्षोल्लास के साथ 73वां गणतंत्र दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में कक्षा एलकेजी से द्वितीय तक के उन बच्चों के अभिभावकों को भी आमंत्रित किया गया था जिनको वैक्सिन के दोनो डोज लग चुके थे। इस उत्सव का मुख्य आकर्षण एनसीसी कैडेटों 22वीं झारखंड बटालियन का मार्च पास्ट, वंदे मातरम नाम एक सामूहिक नृत्य एवं विद्यालय के छात्रों और शिक्षकों द्वारा एक साथ किया गया सूर्य नमस्कार था, जो भारत सरकार के निर्देशानुसार किया गया। इसके अलावे नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा स्वर्णिम गाथा कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई। इसमें कि उन्होंने न केवल खुद को इस देश के स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में प्रस्तुत किया, बल्कि उनके महत्वपूर्ण कथनों की भी प्रस्तुति दी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि टी. मिश्रा ने सभा को संबोधित करते हुए प्राचार्या डॉ. उर्मिला सिंह के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है। उन्होंने इस विद्यालय को शहरों के विद्यालयों के बराबर लाने के लिए जो कुछ किया है वह अकल्पनीय है। आज के बच्चे कल के भारत का भविष्य होंगे और डीएवी बरकाकाना का नाम रौशन करेंगे। डॉ. उर्मिला सिंह ने बच्चों को आशिर्वचन देते हुए कहा कि एक देश को जो गौरव प्राप्त होता है वह उसके देशभक्तों के कारण होता है और अपने देश के गणतंत्र दिवस पर गौरवांवित होने से ज्यादा अच्छा सुअवसर और कुछ नहीं हो सकता। आज हम अक्षुण्ण है क्योंकि हमारे पास हमारा संविधान है और हमारा देश लगातार विकास कर रहा है जिसकी वजह व्यवस्था में किए गए व्यापक परिवर्तन है। हमने भी इसे अपने विद्यालय में साकार किया है और हमारे विद्यालय में बनाया गया; युवा संसद इसका ज्वलंत उदाहरण है, जिसका उद्देश्य यह है कि हम न केवल सिर्फ डॉक्टर ऑर अभियंता बनाए बल्कि ऐसे योग्य नेतृत्वकर्ता भी बनाए जो देश को आगे ले जा सके। उन्होंने सबों से कहा कि राष्ट्रध्वज के प्रति सम्मान का भाव रखें और स्वयं से यह वायदा करें कि वो अपने देश के मूल्यों और संस्कारों को सदैव अक्षुण्ण रखेंगे।