परियोजना का अनिश्चितकालीन उत्पादन किया ठप
संवाद सूत्र गिद्दी (रामगढ़) गिद्दी प्रबंधन द्वारा 35 सालों के जमीन का रेंट देने की मांग पर को लेकर उत्पादन ठप किया।
संवाद सूत्र, गिद्दी (रामगढ़) : गिद्दी प्रबंधन द्वारा 35 सालों के जमीन का रेंट देने की मांग पर को ले गिद्दी बस्ती के मूल रैयतों ने सोमवार की सुबह सात बजे से गिद्दी परियोजना का उत्पादन व वजन घर से ट्रांसपोर्टिंग कार्य अनिश्चितकाल के लिए ठप कर दिया। रैयत गिद्दी हॉलरोड पर खड़े होकर प्रबंधन के विरोध में जमकर नारेबाजी किया। इस दौरान गिद्दी थाना प्रभारी शिवदयाल सिंह, पीओ आरके सिन्हा ने बंद समर्थकों से बात कर कोयला के कमी को देखते हुए बंदी समाप्त करने का प्रयास किया गया। परंतु बंद समर्थक अपनी मांग पर अड़े थे। बाद में प्रबंधन एवं प्रशासन का दबाव बढ़ता देख रैयत हॉलरोड से हट गए। इसके बाद सुबह साढ़े दस बजे उत्पादन शुरू हो गया। प्रबंधन एवं प्रशासन के दबाव के बारे में रैयतों ने बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद को दूरभाष पर सूचना दी। सूचना मिलते ही अंबा प्रसाद गिद्दी परियोजना के चालू खदान पहुंच रैयतों के साथ खड़ी हो गई। अंबा प्रसाद ने प्रबंधन एवं प्रशासन को रैयतों की मांग को दबाने पर कड़ी आपत्ति जताई और रैयतों को छलने से बाज आने को कहा। उन्होंने रैयतों को लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने की बात कही और उनके आंदोलन के साथ खड़े रहने की भी बात कहा। साथ ही प्रबंधन को रैयतों की मांग को पूरा करने के लिए सहयोग करने का भी आश्वासन दिया। रैयतों का कहना था कि वे लोग कई बार अपने जमीन का रेंट देने की मांग को लेकर आंदोलन किया। हर बार प्रबंधन ने उनकी मांगों पर साकारात्मक पहल करने का आश्वसन दिया था। लेकिन प्रबंधन द्वारा अभी तक उनके जमीन के 35 साल के बकाया रेंट के संबंध में की गई कार्रवाई का कुछ पता नहीं चल पा रहा है। समाचार लिखे जाने तक रैयतों का आंदोलन जारी रहने से उत्पादन ठप था। उत्पादन ठप कराने वालों में संतोष करामली, भीम साव, सरजू साव, महजु साव, महाबीर साव, विजय साव, प्रभु महली, सरजु साव, राजेश साव, शंकर करमाली, रोहित करमाली, प्रभु साव, अभिमन्यु साव, सरोज साव, पांडेय साव, विनोद साव, विनय साव, तालेश्वर साव, महेंद्र साव, मंजू देवी, चिता देवी, जुली देवी, पूनम देवी, बेबी देवी, आरती देवी, सुमो देवी, बसंती देवी आदि शामिल हैं।
कोल इंडिया में जमीन का रेंट देने का कोई प्रावधान नहीं होने के कारण प्रबंधन है असमर्थ
प्रबंधन की माने तो सीसीएल समेत कोल इंडिया में जमीन का रेंट देने का कोई प्रावधान नहीं है। जिससे रैयतों की मांग पूरी करने में प्रबंधन असमर्थ है। वहीं 35 साल पहले जिस जमीन का रैयतों के द्वारा रेंट मांगा जा रहा है। इससे संबंधित कोई कागजात भी प्रबंधन के पास नहीं है। प्रबंधन द्वारा रैयतों के जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया लगभग पूरा होने को है। केवल झारखंड सरकार के गाइडलाइन आने का इंतजार हो रहा है। ही वहीं कुछ लोग रैयतों की मांग को ही गैर कानूनी बता रहें हैं। बहरहाल रैयतों की मांग पूरी होगी की नहीं सह तो आने वाला समय ही बताएगा।