इचातु शिव परिसर के विवाद को ले ग्रामीणों की बैठक
बैठक का किया गया आयोजन
इचातु शिव परिसर के विवाद को ले ग्रामीणों की बैठक
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बैठक में शामिल नहीं हुए प्रदीप सिंह, सामाजिक बहिष्कार का लिया निर्णय
संवाद सूत्र, दुलमी(रामगढ़) : दुलमी प्रखंड के इचातु शिव मंदिर परिसर विवाद को लेकर मंदिर परिसर में रविवार को ग्रामीणों की एक बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता स्थानीय मुखिया परमेश्वर राम पटेल व संचालन भुनेश्वर मेहरा ने किया। बैठक में पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष ब्रह्मदेव महतो, दुलमी पार्षद प्रीति दीवान, प्रखंड प्रमुख रेनू देवी दुलमी मुखिया रविंद्र कुमार महतो सहित पंचायत क्षेत्र के कई समाजसेवी उपस्थित थे। बैठक में गत 28 जून को प्रदीप सिंह आदि द्वारा ईचातु गांव स्थित शिव मंदिर परिसर में ट्रैक्टर के माध्यम से हल चलाकर कथित रूप से अवैध कब्जा करने के बाद उत्पन्न विवाद के शांतिपूर्ण निपटारे को लेकर बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रदीप सिंह आदि द्वारा भूमि के कागजात दिखाए जाने की बात कहते हुए बैठक का आयोजन करने को कहा था। लेकिन उक्त बैठक में प्रदीप सिंह आदि उपस्थित नहीं हुए। इससे लोगों में गुस्सा फूट पड़ा। ग्रामीणों का कहना था कि प्रदीप सिंह के कहने के बाद इस बैठक का आयोजन किया गया था, लेकिन इस बैठक का हिस्सा नहीं लिया। यह साबित कर दिया है कि वह इस विवाद के शांतिपूर्ण हल के पक्ष में नहीं है। इसके बाद ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि अब शिवालय परिसर की भूमि किसी भी कीमत पर प्रदीप सिंह वगैरह को कब्जा नहीं करने दिया जाएगा। ग्रामीणों के अनुसार यह मंदिर परिसर में पिछले 200 वर्षों से सांस्कृतिक कार्यक्रम पूजा पाठ एवं यज्ञ सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं। उक्त भूमि पर किसी का भी कोई दखल कब्जा नहीं है। यह भूमि सार्वजनिक है इस पर पूरे गांव वालों का कब्जा है। बैठक में ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि उक्त भूमि को उक्त परिवार दान देने या भूमि का मुआवजा लेने पर सहमति जताते हैं तो ग्रामीण उसका स्वागत करेंगे। अन्यथा ग्रामीण बहुत जल्द उक्त भूमि की चहारदीवारी अपने चंदे से कराएंगे और उक्त परिवार का सामाजिक बहिष्कार भी किया जाएगा। इससे उनका हुक्का पानी पूरी तरीके से बंद हो जाएगा। ग्रामीणों के इस निर्णय का उल्लंघन करने वाले दोषी लोगों पर आर्थिक और सामाजिक दंड लगाया जाएगा। मौके पर कजरू चौधरी, तपेश्वर महतो, शाहबाज अंसारी, इरफान अंसारी, देव आनंद महतो, जनार्दन पांडे,अर्जुन महतो, जले महतो, सतेन्द्र चौधरी, सुदल नाथ महतो, ईश्वर चंद महतो सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।
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