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हेसालौंग के राणा परिवार से लोग ले रहे प्रेरणा

गिद्दी कोयलाचंल क्षेत्र के हेसालौंग निवासी राणा परिवार पर्यावरण ।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 06:56 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 06:56 PM (IST)
हेसालौंग के राणा परिवार से लोग ले रहे प्रेरणा
हेसालौंग के राणा परिवार से लोग ले रहे प्रेरणा

मनोज तिवारी, गिद्दी (रामगढ़) : गिद्दी कोयलाचंल क्षेत्र के हेसालौंग निवासी राणा परिवार पर्यावरण संरक्षण को लेकर आसपास के लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। राणा परिवार के सदस्यों ने पंचायत भवन समीप मुरकुट्टाटाड़ में बंजर पड़ी दो एकड़ जमीन पर विभिन्न प्रजातियों के 325 आम के पौधे रोपे हैं। जो करीब 15-18 फीट बड़े हो गए हैं। अब राणा परिवार आसपास के गांव में लोगों की बंजर भूमि में पौधरोपण करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि पूरा इलाका पूरी तरह से हरा-भरा हो। यहां का पर्यावरण सुरक्षित हो। अरुण राणा बताते हैं कि 21 साल पूर्व इस जमीन पर मूंगफली, मकई व सब्जी की खेती होती थी। परंतु आवारा पशु फसल तैयार होने के पूर्व ही बर्बाद कर देते थे। इसके बाद यहां खेती करना बंद हो गया। इससे जमीन बंजर हो गई। बीते कुछ वर्ष पूर्व आसपास में शुरू हुए औद्योगिक प्रतिष्ठानों से निकल रहे प्रदूषण से क्षेत्र की पर्यावरण प्रदूषित होते गया। धीरे-धीरे आसपास के किसानों की खेती के अलावे ग्रामीण भी इसके चपेट में आने लगे। इसके बाद बड़े पापा सेवानिवृत सीसीएल कर्मी बनौधी राणा अपने भाई व भतीजों के साथ मिलकर बीते पांच साल पहले इस बंजर जमीन पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर फलदार वृक्ष लगाने का निर्णय लिया। इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों ने जी-जान से पर्यावरण की रक्षा में जूट गए। इस दौरान दो एकड़ जमीन का घेराव बांस से किया गया और कोलकाता से आम के 300 आम्रपाली, मालदा, मनीका नस्ल के पौधे लाए। इसके अलावे अमरूदके 5, जामुन 4 व नीम के 10 पेड़ भी लगाया। इस दौरान कुछ पौधे सुख गए बाद में दुबारा आम के पौधे लाए और अभी 325 आम के पौधे लहलहा रहे हैं। वर्तमान में परिवार के सभी सदस्य सब्जी के समय सब्जी और अभी तरबुज उपजा कर लाभ भी अर्जित कर रहे हैं। पांच साल में सभी पेड़ करीब 15-18 फीट के हो गए हैं। दिया जाता था। अरुण कुमार बताते हैं कि दो एकड़ जमीन पर खेती के लिए पावर ट्रीलर का उपयोग किया जाता है। इस दौरान खेती में परिवार के सदस्यों के साथ-साथ 5-6 महिला-पुरूष को खेती कार्य में लगाकर रोजगार दिया है। उन्होंने कहा पर्यावरण संरक्षण को लेकर लाखों रुपये खर्च कर चुके हैं। शुरूआती समय में पौधों के रक्षा के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। अभी भी परिवार के सभी सदस्य दिनरात इसकी देखभाल कर रहे हैं। पौधे व खेती के लिए पानी की गंभीर समस्या को कुआ से दूर कर रहे हैं। हेसालौंग में पानी की समस्या काफी गंभीर है। इसको लेकर भी काफी परेशानी झेलना पड़ता है। कहा कि आगे उनके बगल में पड़े बंजर जमीन पर पर्यावरण की रक्षा के लिए फलदार वृक्ष लगाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि पर्यावरण की रक्षा के लिए उनके परिवार द्वारा लगाए गए फलदार बागवानी को देख आसपास के लोग व हेसालौंग गांव के लोग काफी प्रभावित हुए हैं। हेसालौंग गांव के कई लोग सरकारी योजना के तहत फलदार बागवानी के लिए आवेदन दिया है। अगर उन सबों की आवेदन स्वीकृत हो जाती है तो आने वाले समय में हेसालौंग में करीब 10-12 एकड़ जमीन में फलदार बागवानी देखा जा सकता है। इससे पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ लोगों को शुद्व हवा भी नसीब होगा। आम बागवानी में

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बनौधी राणा, लेदा राणा, पच्चू राणा, दिगम्बर राणा, खुशी राणा, निरंजन राणा, सुभाष राणा, राहूल राणा, विवके राणा, अरूण राणा, मगन राणा, केशव राणा, सचिदानंद राणा, सुनील राणा, वकील राणा, धनु राणा आदि शामिल हैं।


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