कभी था आंखों का नूर, नीलामी की दस्तक से हुआ चकनाचूर
सीआईसी बस्ती निवासी आशा देवी ने बरकाकाना ओपी में आवेदन देकर बताया है कि उनका 20 वर्षीय पुत्र करण कुमार पिता सुग्रीव तिवारीजो आठ फरवरी से लापता है।
राकेश पांडेय, भुरकुंडा : भदानीनगर ग्लास फैक्ट्री के उत्पाद की कभी दुनियाभर में धाक थी। यहां के बने ग्लास जापान, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, ईटली आदि देशों में लोकप्रिय थे। लोग यहां के ग्लास का चश्मा लगाकर सुकून और गौरवान्वित महसूस करते थे। लेकिन आज फैक्ट्री एवं इसके आसपास स्क्रैप से उड़ रही धूल लोगों की आंखों की किरकिरी बन गई है। फैक्ट्री पर अब एक नया खतरे का बादल मंडरा गया है। अपनी बकाया रकम नहीं चुका पाने के कारण अब यह फैक्ट्री नीलामी की ओर बढ़ गई है। देश के स्वाधीनता के समय इस कंपनी की स्थापना उद्योगपति लाला गुलशरण लाल ने की थी।
इसकी मांग चश्मा के लेंस के लिए विश्व बाजार में थी
1956 में जापानी कंपनी असाही ग्लास ने इसे खरीद लिया। फिर इसका नाम इंडो असाही ग्लास फैक्ट्री (आइएजी) पड़ा। इसकी ख्याति एशिया की सबसे उत्कृष्ट स्पेशल ग्लास उत्पादन करनेवाली कंपनी के रूप में बनी। यहां सबसे बारीक 1.1 एमएम के शीट ग्लास का उत्पादन किया जाता था। इसकी मांग चश्मा के लेंस के लिए एवं डिफेंस तथा सिविल हेल्थ सर्विसेज के लिए विश्व बाजार में थी। कार के लिए शेफ्टी ग्लास एवं बुलेट प्रुफ ग्लास भी यहां बनाए जाते थे। इसके उत्पाद की धाक बांग्लादेश, श्रीलंका, मॉरिसश, यमन, फिलिोपस, जापान, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, ईटली जैसे उच्च स्पद्र्धा वाले बाजार में थी। कंपनी को एक्सपोर्ट प्रोमोशन के लिए 1990 में पुरस्कृत भी किया गया।
बार-बार झेलती रही बंदी की मार
इतना अच्छा उत्पाद देने वाली कंपनी पर न जाने किसकी नजर लग गई कि इसे बार-बार बंदी की मार झेलनी पड़ी। जापानी कंपनी ने इसे 1999 तक चलाया। इसमें उत्पादन की क्षमता 70-80 टन थी जो बाद में बढ़कर 220 टन हो गई। 1999 में जापानी कंपनी ने इसे उद्योगपति खेमका के हाथों बेच दिया। अक्तूबर 2004 में कंपनी बंद हो गई। इसे दिसंबर 2008 में चालू कराया गया। 2011 में इसे पुन: बंद कर देना पड़ा। 2013 में कंपनी चालू हुई, लेकिन 2015 में यह फिर से बंद हो गई। इस बीच कई बार कंपनी का स्वामित्व बदलता रहा। वर्तमान में ख्यात उद्योगपति विजय जोशी इसके चेयरमैन हैं। लेकिन अब इस कंपनी का पुन: खुलने का सपना लगभग अधूरा रह जाएगा।
एक हजार से ऊपर मजदूर थे कार्यरत
भदानीनगर स्थित आइएजी फैक्ट्री जब चालू हालत में थी उस वक्त एक हजार से अधिक मजदूर अपने व परिवार का जीविकोपार्जन करते थे। अब फैक्ट्री के पूर्ण रूप से बंद हो जाने पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार लोग प्रभावित होंगे।