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ठंड में भी मतदाताओं के नहीं रुके पांव, बेहतर कल की थी आस

लोकतंत्र के महापर्व की पहली सुबह सभी के लिए उत्साह से लबरेज रहा। सुबह होते ही मौसम ने अपना मिजाज बयां कर दी। सूर्य की पहली किरण के साथ आसमां में कोहरा छाया रहा। ठंड के कारण हाथों को रगड़ते हुए सभी मतदाता बिना देर किए मतदान केंद्र की ओर भागते हुए दिखे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 08:49 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 06:14 AM (IST)
ठंड में भी मतदाताओं के नहीं रुके पांव, बेहतर कल की थी आस
ठंड में भी मतदाताओं के नहीं रुके पांव, बेहतर कल की थी आस

दिलीप कुमार सिंह, रामगढ़ : लोकतंत्र के महापर्व की पहली सुबह सभी के लिए उत्साह से लबरेज रही। सुबह होते ही मौसम ने अपना मिजाज बयां कर दिया। सूर्य की पहली किरण के साथ आसमां में कोहरा छाया रहा। ठंड के कारण हाथों को रगड़ते हुए सभी मतदाता बिना देर किए मतदान केंद्र की ओर भागते हुए दिखे। यहां पर कोई बूथ मैनेजमेंट में तो कोई पर्ची बांटने में व्यस्त हो गया। पूरब दिशा से निकली लालिमा अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए यह अहसास कराने लगी कि आज आसमां साफ रहेगा। कोहरे भरे दिन में समय गुजरता गया और ठंड में चुनावी तपिश और बेचैनी बढ़ानी शुरू कर दी। इसी बीच मतदान केंद्रों पर भीड़ जुटती चली गई। देखते ही देखते सैकड़ों की संख्या में विभिन्न बूथों पर महिलाएं, युवा, बुजुर्ग, दिव्यांग आदि की लाइन लग गई। भीड़ इतनी कि इसी से अंदाजा लग गया की मतदाताओं में उत्साह और जागरूकता का समावेश हो गया है। तभी तो ठंड मतदाताओं के पांव नहीं रोक पाई। मतदाताओं को मालूम था कि अगर बेहतर कल चाहिए तो यह आस लेकर यहां टिके रहना होगा। ठंड लगती रही, मतदाता अपनी जगह से ईवीएम मशीन के समीप पहुंचने को ललाइत दिखे। शहरी इलाकों से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान का उत्साह देखने को मिला। खेत-खलिहान सुबह में खाली पड़े रहे। बैल, गाय खूंटे से बंधे रहे। मतदान करने के बाद फिर से अपने-अपने खलिहान में पहुंचकर लोग अपने काम में जुट गए। इधर शहर के गोबरदरहा, कोठार, हुहूआ, गंडके, गोसा, मुर्रामकला, बुढाखोखरा, चेटर आदि कई गांवों में नजारा ऐसा ही था। चहल-पहल वाले गांव में भी लोग दिखाई नहीं दे रहे थे। मुर्रमकला गांव में जब मनोज कुमार से पूछा कि भाई गांव से सभी गायब हैं। आप कहां भागे जा रहे हो। उनका साफ जवाब था जल्दी बोलिए मतदान देने जा रहे है। मतलब साफ था सभी लोग मतदान केंद्र पर पहुंचे हुए थे। सभी को मालूम था कि अगर आज रुक गए तो अपने बच्चों सहित परिवार का भविष्य दांव पर लग जाएगा। एक सशक्त सरकार के गठन में सहभागी बनने की उत्सुकता ने यह साबित कर दिया कि आने वाले कल की तस्वीर मतदाताओं ने अपने दिलों-दिमाग में बसा लिया है। युवा वोटरों में भी गजब का उत्साह देखने को मिला। इसी का नतीजा रहा कि रामगढ़ विधानसभा में 71. 09 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके साथ ही भाजपा, कांग्रेस, आजसू, सीपीआई सहित अन्य निर्दलीय प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम मशीन में बंद हो गया। अब 23 दिसंबर को ही प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा। इधर दिन भर की थकान लिए सभी लोग शाम में सड़कों पर निकले, और चाय की दुकान में पहुंचकर दिनभर की स्थिति पर चर्चा करने लगे। दिन भर सन्नाटा पड़ा बाजार शाम को अन्य दिनों से ज्यादा गुलजार दिखाई दिया।

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