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-पर्यटन से लोगों को है आस, मिलेगा रोजगार

पूरब दिशा से उठने वाली सूर्य की पहली किरण जैसे ही मां छिन्नमस्तिके।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 08:19 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 08:19 PM (IST)
-पर्यटन से लोगों को है आस, मिलेगा रोजगार
-पर्यटन से लोगों को है आस, मिलेगा रोजगार

दिलीप कुमार सिंह, रामगढ़ : पूरब दिशा से उठने वाली सूर्य की पहली किरण जैसे ही मां छिन्नमस्तिका का पांव पखारती हैं, वैसे ही चिड़ियों की चहचहाहट और कोयल की कुहुकुहु सुनाई देने लगती है। उसके बाद तो पूरे जिले का वातावरण ही शुद्ध हो जाता है। हजारों नहीं लाखों की संख्या में। तभी तो देश, विदेशों से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां हर दिन पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। यहां आने के बाद प्राकृतिक संपदाओं और एतिहासिक धरोहरों से घिरा यह जिला पर्यटकों को अपनी ओर खींचकर यहीं पर रहने को मजबूर कर देता है। पर्यटक यहां पर पहुंचते है, और यहां के लोग बाहर राज्यों की ओर पलायन करते है। उन्हें अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने की चिता सताते रहती है। उसके बाद भी सरकार को इसकी चिता कभी दिखाई नहीं देती है। जिले में स्थित एतिहासिक धरोहरों को अगर संभाल कर रखा जाए तो बड़ी संख्या में पहुंचने वाले पर्यटकों को जहां सुविधा मुहैया होगी, वहीं यहां के लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलेगा। जिससे वे अपने पैरों पर खड़े होकर आत्मनिर्भर बनेंगे। उन्हें अपने परिवार से दूर नहीं होना पड़ेगा। जिले में पर्यटन स्थलों को हर हाल में विकसित कर आकार देना चाहिए। ताकि रोजगार का अवसर पनप सके। जिले में कई खासियत विद्यमान है। यहां पर शहर से उत्तर दिशा में एक टूटी झरना शिव मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान शंकर के शिवलिग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं। मंदिर की खासियत यह है कि यहां जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीस घंटे होता है। यहां पूजा सदियों से चली आ रही है। माना जाता है कि इस जगह का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। भक्तों की आस्था है कि यहां पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मंदिर का इतिहास अंग्रेजों के जमाने से जुड़ा है। जिले में स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर को लोग टूटी झरना के नाम से जानते है। मंदिर का इतिहास 1925 से जुड़ा हुआ है और माना जात है कि तब अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे। पानी के लिए खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अन्दर कुछ गुंबदनुमा चीज दिखाई पडा। अंग्रेजों ने इस बात को जानने के लिए पूरी खुदाई करवाई और अंत में ये मंदिर पूरी तरह से नजर आया। मंदिर के अन्दर भगवान भोले का शिव लिग मिला और उसके ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली. प्रतिमा के नाभी से आपरूपी निरंतर जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिग पर गिरता है. मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में भक्तों के लिए और आस्था बढ़ाने जैसा है. इस मंदिर में हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते है. इसे विकसित कर दिया जाए तो रोजगार के अवसर भी बढ़ जाएंगे। वैसे ही जिले के रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिका मंदिर, कांकेबार स्थित मां महामाया टूंगरी मंदिर, बरकाकाना-भुरकुंडा मार्ग पर स्थित वनजारी मंदिर, कैथा प्राचीन शिव मंदिर, गोला स्थित बौद्ध मठ मंदिर, पतरातू लेक रिसोर्ट, पतरातू की घुमाउदार आकर्षक घाटी, फिल्म सिटी भी अपनी पहचान पूरे देश, विदेश में रखता है. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इन्हें सुंदरीकरण कर विकसित करने की दिशा में सरकार, जिला प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों को मजबूत इरादों के साथ जुटना होगा। ऐसा नहीं होने से यहां पर लोगों को रोजगार के अवसर नहीं मिल पाएंगे। लोग आत्मनिर्भर नहीं बन पाएंगे। कोरोना संक्रमण काल ने लोगों को कई सीख दिया है. इससे अब उन्हें आत्मनिर्भर बनना ही होगा। इसके लिए सरकार को पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देना होगा। ताकि रोजागर मिल सके। जिला के लोग आत्मनिर्भर होकर आगे बढ़ सके। सरकार को अब हर हाल में काम करना ही होगा तभी हमारा झारखंड आत्मनिर्भर हो पाएगा। --------

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फोटो : 23

झारखंड सरकार के पास काफी पैसा है। डीएमएफटी की राशि है, पर्यटन में भी काफी राशि है। पर्यटन के विकास को बढ़ावा देंगे तो काफी बेहतर होगा। पर्यटन के क्षेत्र में अन्य राज्यों को देखे हिमांचल, उत्तराखंड अन्य ऐसे कई राज्य हैं। जहां उसका रेवेन्यू से ही काम चलता है। राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि था कि खनन के साथ पर्यटन भी बढ़ेगा। इस दिशा में काम होना चाहिए। जिले में कई पर्यटन स्थल बन सकते हैं। पर्यटन स्थल को बढ़ाने के लिए निरंतर विधानसभा में भी बातों को रखते आया हूं। सरकार को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। ताकि रामगढ़ जिले की पहचान बनी रहे।

-जय प्रकाश भाई पटेल, विधायक, मांडू विस।

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पर्यटन को जिले में बढ़ावा मिलना ही चाहिए। ताकि यहां के लोगों को अन्य राज्यों में रोजगार के लिए पलायन ना करना पड़े। जिले में स्थित एतिहासिक और धर्मिक स्थलों को विकसित कर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। ताकि रोजगार के अवसर बढ़े सकें। साथ ही यहां के लोग आत्मनिर्भर होकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें। वैसे नगर परिषद की ओर से लगातार प्रस्ताव पारित कर कार्य किया जा रहा है। पर्यटन स्थलों को भी बढ़ावा देने के लिए नप हर बैठक में एजेंडा बनाकर पारित करता है। रोजगार मिलेंगे तो झारखंड के लोग आत्मनिर्भर होकर अपने पैरों पर खड़ा हो सकेंगे। इसलिए सरकार को पर्यटन स्थलों को विकसित करने की दिशा में ठोस काम करना चाहिए।

-मनोज महतो उपाध्यक्ष, नगर परिषद, रामगढ़ ।


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