Mahatma Gandhi 150th Birth Anniversary: रामगढ़ में गांधीजी ने भरी थी आजादी की हुंकार, कांग्रेस के अधिवेशन में हुए थे शामिल
Gandhi Jayanti. तीन दिवसीय अधिवेशन में आंधी तूफान के साथ जोरदार बारिश हुई थी। इसके बावजूद हजारों लोग जुटे थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने यहीं गरम दल बनाया था।
रामगढ़, [तरुण बागी]। सन 1940 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने रामगढ़ में कांग्रेस के अधिवेशन में देश की आजादी के लिए हुंकार भरी थी। तीन दिवसीय अधिवेशन के दौरान आपसी मतभेद के बाद रामगढ़ की धरती पर ही कांग्रेस से अलग होकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अलग से सभा कर अपनी अलग गरम दल की स्थापना की थी। गोबरदरहा निवासी वयोवृद्ध पूर्व सरपंच जलेश्वर महतो उस समय के संदर्भ को उकेरते हुए यादों में खो जाते हैं।
जलेश्वर महतो ने कहा कि उनके पिता लोका महतो सहित गांव के कई लोग गांधीजी को देखने-सुनने के लिए पैदल ही रामगढ़ गए थे। चाचा चोला महतो, धृत महतो, राजा राम महतो आदि महात्मा गांधी के बारे में हमेशा गांव में बच्चों व युवओं को बताया करते थे। उस वक्त द्वितीय विश्वयुद्ध जारी था। इससे पूरा विश्व प्रभावित हो गया था। इसी दौरान सन 1940 में 18 से 20 मार्च तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 53वां महाअधिवेशन रामगढ़ की धरती पर हुआ। अधिवेशन झंडा चौक के पास हुआ था।
जहां अधिवेशन हुआ था, वह आज सैनिक छावनी के क्षेत्र में है। रामगढ़-बरकाकाना मार्ग स्थित हरहरि नदी के किनारे भी अधिवेशन को लेकर जगह-जगह कई तंबुओं को लगाया गया था। अधिवेशन में भाग लेने के लिए रांची से चुटूपालू घाटी के रास्ते गाड़ी से महात्मा गांधी व सुभाष चंद्र बोस रामगढ़ पहुंचे थे। बाकि नेतागण ट्रेन से रामगढ़ कैंट स्टेशन पर उतरे थे। इस सम्मेलन में गांव-गांव से लोगों की अपार भीड़ जुटी थी। अधिवेशन के दौरान रामगढ़ में आंधी, तूफान व जोरदार बारिश भी हुई थी।
जलेश्वर महतो।
इसके बावजूद हजारों की संख्या में लोग डटे रहे थे। अधिवेशन में भाग लेने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं के लिए बांस-बल्ली से तंबू का निर्माण किया गया था। बांस-बल्ली रामगढ़ के अगल-बगल गांवों से मुहैया किया गया था। अधिवेशन में महात्मा गांधी के अनुयायी टाना भगत भी बड़ी संख्या में शामिल हुए थे। बुजुर्ग जलेश्वर महतो ने कहा कि पिताजी बताया करते थे कि अधिवेशन के दौरान गांधी जी ने आजादी के लिए सभी लोगों से आह्वान किया था। जिस पर पूरा समारोह स्थल आजादी के नारों से गूंजने लगा था।
टाना भगतों ने अधिवेशन के दौरान चरखा चलाकर सूत भी काता था। आस-पास के गांवों से किसानों, मजदूरों, पुरुष-महिलाओं व युवाओं का हुजूम अधिवेशन में भाग लेने के लिए उमड़ पड़ा था। उस वक्त खराब मौसम भी आजादी के सपने देखने वालों के कदम को रोक नहीं पाया था। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोग रामगढ में जुटे थे। अधिवेशन की अध्यक्षता मौलाना अबुल कलाम आजाद कर रहे थे।
अधिवेशन में देश के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं का जमावड़ा लगा था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. श्री कृष्ण सिंह, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, एमएन राय, स्वामी सहजानंद सरस्वती आदि मुख्य नेता अधिवेशन में शामिल हुए थे। जब अधिवेशन के दौरान नेताओं में कुछ मतभेद हुआ तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस से अलग होकर कुछ प्रमुख नेताओं के साथ अपना अलग एक गरम दल बनाया।
संपूर्ण आजादी के लिए कोई समझौता नहीं का नारा बुलंद करते हुए 19 मार्च 1940 को स्वामी सहजानंद सरस्वती के आह्वान पर रामगढ़ में सम्मेलन किया था। रामगढ़ अधिवेशन के दो वर्ष बाद आठ अगस्त 1942 में पूरे देश में अगस्त क्रांति के तहत अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा पूरे देश में गूंजने लगा। वयोवृद्ध जलेश्वर महतो ने बताया कि जब-जब गांधी जयंती या स्वतंत्रता दिवस का दिन आता था तो पिताजी व चाचा लोग 1940 के रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन व गांधीजी की कहानी गांव के बच्चों व युवाओं को जरूर सुनाते थे। इस दौरान उनकी आंखों में एक अलग सी चमक रहती थी।