नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू, आज खरना
संवाद सहयोगी रामगढ़ चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरूआत हो चुकी है। हर ओर छठ पूजा क
संवाद सहयोगी, रामगढ़ : चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरूआत हो चुकी है। हर ओर छठ पूजा को लेकर पवित्रता का माहौल बन गया है। बाजारों में रौनक बढ़ गई है। छठव्रतियों ने छठ महापर्व को लेकर तैयारी को अंतिम रूप दे दिया है। बुधवार को छठ महापर्व को लेकर छठव्रतियों ने पूरे नियम व आस्था के साथ नहाय खाय किया। साथ ही कद्दू-भात प्रसाद स्वरूप लोगों को खिलाया। छठव्रतियों ने छठ गीत गुणगुनाते हुए गेंहू को धो कर पवित्र स्थान पर सुखाया। बाजारों में छठ महापर्व को लेकर सूप, दौरा, टोकरी सहित मिट्टी के बर्तन को उतारा गया है। बाजारों में फल, फूल आदि को सजाकर रख दिया गया है। शहर से लेकर जिला के विभिन्न तालाबों में छठ घाट की साफ-सफाई स्व्यं लोग अपने से कर रहे है। घाट भी बनाया गया है। स्थानीय युवकों व समाजसेवियों सहित जिला सफाई अभियान को तेज कर छठव्रतियों के लिए रास्ते को सुगम बनाने का काम कर रहे है। कोरोना संक्रमण काल को लेकर सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद से उहापोह की स्थिति बनी हुई थी। बाद में आदेश में संशोधन किया गया। समय कम होने के कारण परेशानी बढ़ गई है। इधर बाजारों में सूप, दौरा व टोकरी आदि की कीमत आसमान छू रहे है। उसके बाद भी बाजारों की रौनक देखने लायक है। हर ओर छठ मां के गीत गुंजायमान हो रहे है। पूरे जिला में पवित्रता का माहौल देखने को मिल रहा है। गुरुवार को खरना कर छठव्रतियां पूजन की शुरूआत करेंगी। हर ओर पवित्रता का माहौल व्याप्त हो गया है। उत्साह और उमंग के बीच छठ महापर्व मनाने को लोग तैयार हो गए है।
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छठ घाटों की स्थिति दयनीय
शहर के छठ घाटों की स्थिति दयनीय दिखाई दे रही है। शहर में दामोदर नदी व बिजुलिया छठ घाट है। कोरोना संक्रमण काल को लेकर सरकारी तंत्र की ओर से किसी प्रकार का काम नहीं किया जा रहा है। दोनों तालाब पूर्व में समितियों की ओर से सजाया जाता था। लाइट, सजावट, रोशनी सहित तोरण द्वार आदि बनाकर सुविधाएं दी जाती थी। इस बार ऐसा कुछ नहीं होने के कारण दोनों छठ घाटों में लाइट तक नहीं लग पाई है। ऐसे में अंधेरा छाया हुआ है। छठव्रतियों को इस बार काफी परेशानी का सामना करना होगा।
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शहर में खूब होती थी सजावट
छठ महापर्व को लेकर शहर के दोनों छठ घाटों में विभिन्न समितियों की ओर से खूब सजावट की जाती थी। मुख्य सड़क से लेकर दामोदर नदी व बिजुलिया तालाब तक रोशनी से नहा दिया जाता था। वहीं जगह-जगह समितियों की ओर से पंडाल बनाकर पानी का छिड़काव किया जाता था। साथ ही फल, फूल व प्रसाद वितरण किया जाता था। इस बार ऐसा कुछ नहीं होने के कारण छठ व्रतियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। यह हाल पूरे जिले में देखने को मिल रहा है।