ईद में टूटेगी वर्षों की परंपरा, गले मिलने से होगा परहेज
कहते हैं समय कब किस करवत बदलता है किसी को मालूम नहीं।
संसू, घाटो(रामगढ़): कहते हैं समय कब किस करवत बदलता है किसी को मालूम नहीं। जो कभी रमजान खासकर अलविदा की नमाज के बाद ईद की तैयारी घरों से लेकर इबादतगाहों में शुरू हो जाता था। लोग जहां घरों में अनेक तरह से व्यंजन बनाने की तैयारी में जुट जाते थे, वहीं मस्जिदों की कमेटियां भी मस्जिदों की सजावट में लग जाते थे, लेकिन इस साल वर्षों की परंपरा टूट जाएगी। ईद की नमाज लोग घर में ही अदा करेंगें, लेकिन गली-मुहल्लों में लोग लगे मिलकर ईद की मुबारकबाद भी देने से परहेज करेंगे। रमजान का पाक महीना खत्म होने को है। लेकिन ईद का चांद देखने की बेताबी काफी कम है। ईद
तो होगी, लेकिन ईद का जश्न नहीं होगा। लॉकडाउन ने लोगों का उत्साह फीका कर दिया है। न तो नए कपड़े बने, न ही बाजारों में खरीदने की होड़ लगी। कपड़े की दुकानें भी नही खुली। वहीं इससे पूर्व भी कोरोना वायरस को लेकर अलविदा नमाज के समय भी इबादतगाहों में सन्नाटा पसरा रहा। कोरोना जैसी महामारी को
हराने के लिये अब तमाम रोजेदार अपने-अपने घर में ईद के दिन इबादत करते हुए देश में अमन-चैन होने के लिए खुदा से दुआ मांगने का काम करेंगे। महामारी के कारण दिन क्या रात भी मस्जिदों में सन्नाटा पसरा हुआ है।