सीसीएल सीएमडी द्वारा वाशरी बंद रहने के बयान से कर्मियो में मायूसी
मनोज तिवारी गिद्दी (रामगढ़) सीसीएल सीएमडी पीएम प्रसाद द्वारा गिद्दी वाशरी को 50 साल की आयु हो
मनोज तिवारी, गिद्दी (रामगढ़) : सीसीएल सीएमडी पीएम प्रसाद द्वारा गिद्दी वाशरी को 50 साल की आयु हो जाने के कारण बंद रखने के बयान से यहां कार्यरत 315 अधिकारी, कर्मचारी व सुरक्षा कर्मियों में मायूसी छा गई है। कंपनी के मुखिया द्वारा वाशरी को बंद रखने की बात से पिछले 6 सितंबर 2019 से बंद गिद्दी वाशरी के अब चालू नहीं होने का डर जहां सताने लगा है। वहीं वैसे कर्मी जिनका नौकरी एक-दो साल है, उन्हें स्थानांतरण का डर सता रहा है। हालांकि अभी भी क्षेत्र के ट्रेड यूनियन नेताओं में वाशरी को चालू करने से कंपनी को फायदा होने की आस है। बताते हैं कि गिद्दी वाशरी में करीब 315 अधिकारी, कर्मचारी व सुरक्षा कर्मी है। पिछले छह सितंबर से वाशरी के बंद होने के बाद शुरूआती समय में वाशरी प्लांट की सफाई किया गया। इधर आवश्यकता के अनुसार प्रक्षेत्र के परियोजनाओं में कर्मियों को डेपुटेशन पर भेज कर काम लिया जा रहा था। सूत्रों की मानें तो गिद्दी वाशरी के बंद होने के बाद भी वाशरी सबस्टेशन, वाटर पंप व सुरक्षा कर्मियों को मिलाकर कम से कम 100 कर्मी की आवश्यकता वाशरी को होगी। वहीं गिद्दी वाशरी बंद होने से वाशरी में संचालित रोड सेल के हजारों मजदूर भी प्रभावित हो जाएंगे। साथ ही आसपास के लोग भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होंगे।
--------------------
60 के दशक में पोलैंड की कंपनी ने कराया था वाशरी का निर्माण
वाशरी अपनी के पीछे कई पुरानी यादों को संजोए हुए है। गिद्दी वाशरी को देख आज भी लोगों के जेहन में कई अच्छी यादें तरोताजा हो जाती है। एक समय था जब वाशरी एशिया का प्रसिद्ध वाशरी में शुमार हुआ करती थी। वाशरी में प्रतिदिन करीब 5 हजार टन कोल वाश होती थी। लेकिन पर्याप्त मात्रा व गुणवक्ता युक्त कोयला नहीं मिलने के कारण गिद्दी वाशरी बीते कई सालों से करोड़ों के घाटा में चल रही है। बताते हैं कि 1960 के दशक में पोलैंड कंपनी द्वारा गिद्दी वाशरी का निर्माण रॉ कोल वास के लिए किया गया था। आरंभिक दौर में गिद्दी वाशरी एशिया के नंबर एक कोल वाशरी के रूप में शुमार था। गिद्दी वाशरी में भुरकुंडा से कोयला लाया जाता था। इसके लिए 60 के ही दशक में दामोदर नदी पर हावड़ा ब्रीज की तरह झूला पुल बनाया गया था। जिसमें भारी वाहनों से भुरकुंडा का कोयला गिद्दी वाशरी लाया जाता था। बने झूला पुल की खूबसूरती को देखने के लिए भी लोग दूर-दूर से आते थे। उस वक्त गिद्दी वाशरी में माह में करीब 45-50 हजार टन कोयला को आपूर्ति हुआ करता था। सड़क के माध्यम से जब कोयला आपूर्ति पूरी नहीं हो पा रही थी, तब 70 के दशक में भुरकुंडा से गिद्दी तक कोयला लाने के लिए एक रोपवे का निर्माण किया गया। परंतु किसी कारण वश रोपवे से कोयला आपूर्ति का काम बंद कर दिया गया। आज भी गिद्दी व रिवर साईड भुरकुंडा में रोपवे के अवशेष दिखाई पड़ते हैं। काला पत्थर की फिल्म की हो चुकी है शूटिग गिद्दी वाशरी की प्रसिद्धि को देखते हुए 1978-79 में फिल्म निर्माता यश चोपड़ा ने काला पत्थर फिल्म की शूटिग गिद्दी व गिद्दी वाशरी में की थी। फिल्म के एक हीरो बिहारी बाबू उर्फ शत्रुघ्न सिन्हा के साथ स्वयं निर्माता निदेशक स्व. यश चोपड़ा भी गिद्दी पहुंचे थे। उक्त दोनों दो दिनों तक गिद्दी रेस्ट हाउस में रहकर फिल्म की शूटिग की थी। काला पत्थर फिल्म में गिद्दी रेलवे यार्ड से शत्रुध्न को तड़प कर भागने व गिद्दी सीएचपी से गिरे कोयला में दबने का ²ष्य फिल्माया गया था। इसके अलावे वाशरी के स्लरी पौंड में भी शूटिग हुई थी। उस समय शत्रुघ्न सिन्हा को देखने के लिए भीड़ उमड़ गई थी।