त्रुटिपूर्ण बनावट से अक्सर होती हैं दुर्घटनाएं
तरुण बागी रामगढ़ जिले में बड़े-छोटे वाहन सड़कों पर तेजी से दौड़ रहे हैं। दुर्भाग्य य
तरुण बागी, रामगढ़ : जिले में बड़े-छोटे वाहन सड़कों पर तेजी से दौड़ रहे हैं। दुर्भाग्य यह है कि अति व्यस्त फोरलेन समेत शहर के चौक-चौराहों पर कोई सिग्नल नहीं है। इससे दुर्घटनाएं आम हो गई हैं। जिला मुख्यालय स्थित फोरलेन में पटेल चौक, कुजू के श्रीराम चौक, लोहा गेट, नया मोड़, नईसराय चौक, कोठार चौक, शहर का अति व्यस्ततम सुभाष चौक के अलावा कहीं भी ट्रैफिक सिग्नल नहीं है। चुटूपालू घाटी में फोरलेन की त्रुटिपूर्ण बनावट के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। सड़क निर्माण मे तकनीकी खामियों के कारण अक्सर भारी वाहनों का चुटूपालू घाटी में ब्रेकफेल हो जाता है। रांची से हजारीबाग की ओर जानेवाली गाड़ियां चुटुपालू घाटी से लगभग 100 किमी की रफ्तार से नीचे उतरती हुई पटेल चौक पास करती हैं। इधर, शहर से रांची की ओर जाने वाले वाहनों को रुककर सावधानी से आगे बढ़ना होता है। थोड़ी सी असावधानी भी बड़े हादसे को आमंत्रित कर सकती है। लेकिन काफी सावधानी के बाद भी वाहनों की तेज रफ्तार के कारण यहां अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। पटेल चौक पर दर्जनों बार वाहन कांकेबार गांव के घरों में घुस चुके हैं। दो साल पहले एक माल लदा ट्रेलर लोहे की रेलिग को तोड़ते हुए मंदिर के समीप एक घर में जाकर अटक गया था। कई बार ऐसी दुर्घटनाओं का कारण नशा कर वाहन चलाना भी रहा है। सड़क की बनावट में तकनीकी खामियों से चुटुपालू घाटी क्षेत्र के कई स्थानों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है। घाटी में सीधी ढलान के कारण वाहनों की स्पीड अनियंत्रित हो जाती है। लगातार हो रही दुर्घटनाओं से चितित जिला प्रशासन ने कई बार पहल की। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को सड़क की बनावट दुरुस्त करने का निर्देश दिया। लेकिन इस दिशा में अभी तक सार्थक परिणाम सामने नहीं आया है। प्रशासनिक स्तर पर कवायद जारी है। पिछले तीन वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं पर यदि गौर करें तो 200 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। इसमें से एक सौ से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। एक सौ से अधिक लोग घायल भी हुए हैं। वाहनों के फिटनेस में खामी, ओवरलोडेड वाहन, सड़क पर खड़े खराब वाहन एवं यातायात नियमों का उल्लंघन भी हादसे की वजह बन रहे हैं। हर साल दिसंबर से जनवरी तक कोहरे के कारण भी सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है। कोहरे के कारण सड़कों पर सामने से भी वाहन नहीं दिखाई देते हैं। फोरलेन सहित सड़क किनारे ब्रेकडाउन गाड़ियां खड़ी रहती हैं। ऐसे में कोहरे के वक्त यदि गाड़ी चलाने के समय थोड़ी सी भी लापरवाही हुई तो कोहरा कोहराम मचा सकता है। हर वर्ष नवंबर से जनवरी तक कोहरे के कारण सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ जाता है।