संस्कृत से वर्णों के उच्चारण की विधि का होता हैं ज्ञान
रामगढ़ : संस्कृत भारती की ओर से संस्कृत बाल केंद्र में संस्कृत प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया
रामगढ़ : संस्कृत भारती की ओर से संस्कृत बाल केंद्र में संस्कृत प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है। इसमें बड़ी संख्या में नित्य दिन संस्कृत को सिखने के लिए बच्चे पहुंच रहे है। रविवार को प्रशिक्षण केंद्र का मुआयना करने पहुंचे संस्कृत के विद्वान भुनेश्वर पांडेय ने कहा कि हम अन्य विषयों को पढ़े तथापि संस्कृत को हम अवश्य पढ़े। संस्कृति सीखने से भाषागत तत्सम शब्दों के अर्थों की संपूर्ण जानकारी वर्णों के उच्चारण की विधि का ज्ञान होता है। कहा कि संस्कृत के स्त्रोतो का शुद्ध स्वर एवं लयबद्ध उच्चरण करने दैहिक, दैनिक और भौतिक तापो का उपशमन होता है। इसके अध्ययन से हमें भारत एवं भारतीय संस्कृति की जानकारी होती है। साथ ही भारतीय संस्कृति के प्रमुख ग्रंथ वेद, पुराण, उपनिषद सम्यक जानकारी होती है। प्रशिक्षक डॉ. सुनील कश्यप ने कहा कि लोग सोचते है कि संस्कृत भाषा कठिन हैं इसका कारण यह है कि लोग संस्कृत में बाचीत नहीं सुनते है। कोई भी भाषा सरत होती है और साहित्य में प्रयोग होने वाली प्रौढ़ होती है। कहा कि यह धारणा कैसे लोगों के मन में घर कर गई है। इसका मुख्य कारण है संस्कृत भाषा को सिखाने, पढ़ाने की विधि। इस दौरान बड़ी संख्या में बच्चे व अभिभावक मौजूद थे।