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बेंगलुरु से विशेष ट्रेन से बरकाकाना पहुंचे 1556 प्रवासी मजदूर

सूबे के 1556 प्रवासी बेंगलुरु से गुरुवार को बरकाकाना स्टेशन।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 06:28 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 08:45 PM (IST)
बेंगलुरु से विशेष ट्रेन से बरकाकाना पहुंचे 1556 प्रवासी मजदूर
बेंगलुरु से विशेष ट्रेन से बरकाकाना पहुंचे 1556 प्रवासी मजदूर

संवाद सूत्र, बरकाकाना(रामगढ़): सूबे के 1556 प्रवासी बेंगलुरु से गुरुवार को बरकाकाना स्टेशन पहुंचे। ट्रेन सुबह 8.40 बजे यहां पहुंची। सभी शारीरिक दूरी का पालन कराते हुए श्रमिक स्टेशन से पार्किंग स्थल तक पहुंचे। जहां प्रशासन की ओर से उन्हें सैनिटाइजर, नाश्ता पैकेट व पेयजल उपलब्ध कराया गया। पार्किंग के समीप मोबाइल टॉयलेट और पानी के टैंकर की व्यवस्था की गई। प्रशासन ने सभी को बसों में बैठाकर उनके गृह जिला रवाना किया। मौके पर रामगढ़ एसडीओ किर्ती श्री, डीटीओ केके राजहंस, पतरातू एसडीपीओ प्रकाशचंद्र महत़ो, सार्जेट मेजर मंसू गोप, बरकाकाना ओपी प्रभारी हरनारायण साह, प्यारे हसन,अनिल हेंब्रम, जितेंद्र टुडू सहित कई स्वास्थ्य और सफाईकर्मी मौजूद थे।

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--- पश्चिम सिंहभूम के सर्वाधिक 217 प्रवासी मजदूर थे शामिल बेंगलुरु से बरकाकाना पहुंचे श्रमिकों में बोकारो के 115, चतरा 55, देवघर 140, धनबाद 25, दुमका 198, पूर्वी सिंहभूम 76, गढ़वा 51, गिरिडीह 76, गोड्डा 133, गुमला 29, हजारीबाग 53 जामताड़ा 19, खूंटी 13, कोडरमा 45 , लातेहार 48, लोहरदगा 14 , पाकुड़ 11, पलामू 104, रामगढ़ 35, रांची 37, साहिबगंज 75, सरायकेला 48, सिमडेगा 39, सहित बंगाल के लगभग 40 प्रवासी श्रमिक शामिल थे। -- बरकाकाना पहुंचे बंगाल पुरुलिया के लगभग 40 लोग बरकाकाना स्टेशन पहुंचे। यहां उनलोगों के लिए बंगाल जाने के लिए तत्काल बस की कोई व्यवस्था नहीं थी। मौके पर अधिकारियों द्वारा इन लोगों को बस में बैठा कर बंगाल भेजने की व्यवस्था की जा रही थी। लेकिन ये लोग पैदल हीं जाने लगे। पूछने पर बताया कि वे लोग बैंगलुरु में एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। लेकिन लॉकडाउन के चलते कंपनी बंद हो गई। इस कारण हम लोगों ने झारखंड के स्पेशल ट्रेन में रजिस्ट्रेशन करवाकर बैंगलुरु स्टेशन पहुंचे। जहां से ट्रेन द्वारा बरकाकाना स्टेशन पहुंचे। बरकाकाना स्टेशन उतरने के बाद पुरुलिया निवासी दशरथ घांसी से अधिकारियों ने पूछा तो बताया कि हम लोगों को पुरुलिया बंगाल जाना है। इसलिए हम लोग इस ट्रेन में बैठ कर बरकाकाना पहुंच गए। बंगाल की बस नहीं होने के कारण हम लोगों को मजबूरन पैदल ही अपने गांव जाने पर मजबूर हैं।


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