कोरोना संकट ने बढ़ाई पेट भरने की चिता
संवाद सहयोगी मेदिनीनगर (पलामू) कोरोना संक्रमण शहर से गांव तक पांव पसार रहा है। तेज
संवाद सहयोगी, मेदिनीनगर (पलामू) : कोरोना संक्रमण शहर से गांव तक पांव पसार रहा है। तेजी से संक्रमितों की हो रही पहचान से सेल्फ लाकडाउन की स्थिति उत्पन्न हो गई है। ऐसी स्थिति में मजदूर वर्ग को पेट भरने की चिता सताने लगी है। मजदूरों को संक्रमित होने का खौफ सताता है और कोरोना ने उनके पेट भरने की चिता बढ़ा दी है। मेदिनीनगर स्थित मेदिनी राय मेडिकल कालेज अस्पताल के भवन निर्माण में कार्य कर रहे दर्जन भर मजदूरों से बातचीत हुई। मजदूरों ने बताया कि शारीरिक दूरी का पालन तो बेहतर ढंग से नहीं हो पाता। लेकिन हर समय मास्क लगाए रहते हैं। । समय-समय तक हाथ में सेनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं या हाथ धोते रहते हैं। कोरोना के कारण अगर लाकडाउन लगा तो घर चलाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। बाक्स..गांव में फिलहाल नहीं है संक्रमित, सुरक्षा का रखते हैं ख्याल : उमेश
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कैप्शन : उमेश सिंह
मेदिनीनगर : लाकडाउन अगर लगा तो घर चलाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। गांव में फिलहाल एक भी कोरोना संक्रमित नहीं है। बावजूद सुरक्षा का पूरा रखते हैं। गांव के 10-12 लोग टेंपो से हर दिन यहां काम करते आते हैं। सरकार से आग्रह है कि लाकडाउन की घोषणा करने से पहले एक बार मजदूरों की चिता जरूर करें। अगर लाकडाउन हुआ तो इस बार मजदूर भूखमरी से मर जाएगा।
उमेश सिंह, केचकी, बेतला, लातेहार। बाक्स..पेट पालना है तो काम करना ही पड़ेगा : योगेंद्र
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कैप्शन : योगेंद्र सिंह
मेदिनीनगर : कोरोना संक्रमण खौफ सभी के दिलों में है। लेकिन मरता क्या नहीं करता। पेट पालना है तो काम करना ही पड़ेगा। कोरोना से बचाव के लिए मास्क व गमछा का इस्तेमाल करते हैं। भीड़ वाले क्षेत्र में जाने से परहेज करते हैं। लेकिन यहां मजदूरी कर रहे हैं तो शारीरिक दुूरी का पालन बेतहर ढंग से नहीं हो रहा है। बावजूद मास्क कभी नहीं उतारते।
योगेंद्र सिंह, चैनपुर, पलामू। बाक्स..पिछले बार लाकडाउन में अरूणाचल से लौटे हैं, फिर वहीं स्थिति : महेंद्र
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कैप्शन : महेंद्र राम
मेदिनीनगर : पहले की अपेक्षा फिलहाल निर्माण कार्य की गति धीमी हुई है। कई लोग कोरोना के कारण घरों में निर्माण कार्य कराने से कतरा रहे हैं। कुछ मजदूर भी कोरोना के कारण शहर नहीं आ रहे हैं।
पिछले वर्ष अरूणाचल प्रदेश में था तो अचानक लाकडाउन की खबर मिली थी। अफरा-तफरी में घर लौटा था। अब फिर वैसी ही स्थिति पैदा हो रही है। हर बार मजदूर ही परेशान होता है।
महेंद्र राम, महुराम टोला, केचकी, लातेहार।