देश की आर्थिक उन्नति के लिए सहकारिता की भूमिका अहम : सतीश
देश की आर्थिक उन्नति के लिए सहकारिता ही सशक्त माध्यम है। झारखंड में तीन लाख मिल्क सोसाइटी की जरूरत है।
मेदिनीनगर , (पलामू): देश की आर्थिक उन्नति के लिए सहकारिता ही सशक्त माध्यम है। झारखंड में तीन लाख मिल्क सोसाइटी की जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्र में कैशलेस के लिए भी सहकारिता को बढ़ावा देना बेहद जरूरत है। ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था सहकारिता में ही बसती है। उक्त बातें भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक सतीश मराठे ने कही। वे गुरुवार को स्थानीय जनता शिवरात्रि महाविद्यालय में नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय की आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को बतौर मुख्यअतिथि संबोधित कर रहे थे। इसकी अध्यक्षता नीलांबर-पीतांबर विवि के कुलपति डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह व संचालन प्रो. प्रेमजीत ने किया। ग्रामीण और सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम है सहकारिता विषय पर संगोष्ठी आयोजित थी। विशिष्ट अतिथि एनपीयू के जयंत शेखर के अलावा विश्वविद्यालय के सीसीडीसी नागेंद्र सिंह, वित्त पदाधिकारी केशव बड़ोदिया, समाजसेविका सुमन अखौरी आदि मौजूद थे। इससे पहले दीप जलाकर साथ संगोष्ठी का उद्घाटन किया गया। जनता शिवरात्रि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राणा प्रताप सिंह ने अतिथियों का परिचय और विषय प्रवेश कराया। अतिथियों का शॉल और बुके देकर स्वागत किया गया। आरबीआइ निदेशक सतीश मराठे को पदाधिकारियों ने पुष्पगुच्छ के साथ पलाश का मोमेंटो प्रतीक चिन्ह के रूप में भेंट किया। एनपीयू के कुलपति डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि देश को आर्थिक गति और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को भी सहकारिता की ओर जाने की जरूरत है। इसके बाद ही रोजगार और आर्थिक क्षेत्र में लोग सशक्त हो सकेंगे। मौके पर तमाम अतिथियों ने ग्रामीण और सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम है सहकारिता विषय पर व्याख्यान दिया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो कमलेश पांडेय ने किया। मौके पर योध सिंह नामधारी महिला महाविद्यालय की प्राचार्या डा मोहिनी गुप्ता, मनिका मॉडल महाविद्यालय के प्राचार्य डा महेंद्र राम, जनता शिवरात्रि महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो आरएन चौबे, एनसीसी के कैप्टन डॉ एसके पांडेय, डॉ. एके वैद्य, डॉ मृत्युंजय कुमार, प्रो. आमिर, रविद्र, दीपक, अजय समेत बड़ी संख्या में शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित थे।