पलामू में जीवनदायिनी साबित हो रहा एंबुलेस 108
मुर्तजा, मेदिनीनगर : अक्सर देखा जाता है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोग इलाज कराने के लिए सरकारी अस्पताल
मुर्तजा, मेदिनीनगर : अक्सर देखा जाता है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोग इलाज कराने के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं। ऐसी स्थिति में अगर उन्हें रांची रेफर कर दिया जाए तो एंबुलेंस का खर्चा तक उठाने में उन्हें परेशानी होती है। सरकार ने ऐसी समस्याओं का स्थाई समाधान 108 एंबुलेंस के रूप में निकाल दिया है। 108 एंबुलेंस की सुविधाएं निशुल्क हैं। फिलहाल पलामू को 18 एंबुलेंस दिए गए हैं। सदर अस्पताल में दो और तमाम प्रखंडों में एक-एक एंबुलेंस की सेवाएं मौजूद हैं। सदर अस्पताल में दो तरह का एंबुलेंस है। एक एएलएस और दूसरा डीएलएस है। एएलएस की श्रेणी वाले एंबुलेंस में इसीजी से लेकर वेंटिलेटर की सुविधाएं उपलब्ध हैं। हालांकि डीएलएस व ऑक्सीजन आदि सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। बताया जाता है कि दोनों श्रेणी की एंबुलेंस में प्रसव से संबंधित तमाम तरह सुविधाएं मौजूद हैं। पूर्ण रूप से एंबुलेंस वातानुकूलित है। जिला मैनेजर अजय ¨सह के अनुसार एंबुलेंस पूर्ण रूप से निशुल्क हैं। किराया से लेकर तेज तक का खर्च मरीजों से नहीं लिया जाता है। दरअसल, 108 एंबुलेंस की सेवा नवंबर 2017 से बहाल की गई है। हर दिन औसतन दर्जन भर लोग एंबुलेंस सेवा का लाभ उठाते हैं। 108 एंबुलेंस आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रहा है। बेहतर प्रदर्शन के लिए सम्मानित हो चुका है पलामू
मेदिनीनगर : 108 सरकारी एंबुलेंस की सेवा व सुविधा से संबंधित 26 जनवरी को जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से झांकी का आयोजन किया गया था। झांकी के माध्यम से एंबुलेंस के उद्देश्य व सुविधाओं को बाताया गया था। इसके लिए झांकी में पलामू जिला स्वास्थ्य समिति को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। बेहतर प्रदर्शन के लिए जिला स्वास्थ्य समिति को सम्मानित भी किया गया था। बहरहाल, उद्देश्य है कि सबके सहयोग से सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारा जा सके। डीपीएम प्रवीण ¨सह ने बताया कि झांकी के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया था। लोगों में काफी हद तक जागरूकता आई है।
फर्जी कॉल से परेशान हैं एंबुलेंस प्रबंधक
मेदिनीनगर : एंबुलेंस की सेवा के संबंधित प्रक्रिया को पूरा करना जरूरी है। सेवा के लिए कॉल सेंटर में 108 डायल कर बात की जाती है। इसके बाद लोगों को एंबुलेंस की सेवाएं मुहैया कराई जाती है। हालांकि कॉल सेंटर में हर दिन दो से तीन फर्जी कॉल आते हैं। इमरजेंसी की घटना की जानकारी होने के कारण एंबुलेंस वहां पहुंचता तो पता चलता है कि कॉल फर्जी था। ऐसी स्थिति में समय-डीजल आदि की बर्बादी होती है। फर्जी कॉल करने वालों पर कार्रवाई तक नहीं होती। एंबुलेंस प्रबंधक इससे काफी परेशान हैं। 108 के पलामू जिला प्रबंधक अजय ¨सह ने बताया कि हर दिन दो-तीन फर्जी कॉल आते हैं। उन्होंने तमाम प्रक्रिया से वाकिफ कराया। बताया कि एंबुलेंस में जीपीएस लगा हुआ है। कॉल आते ही नजदीकी एंबुलेंस को मरीज तक भेज दिया जाता है। एंबुलेंस कर्मचारियों को परिजन देते हैं धमकी
मेदिनीनगर : 108 एंबुलेंस के कर्मचारियों को कई तरह मरीजों के परिजनों का गुस्सा भी बर्दाश्त करना पड़ता है। संबंधित अस्पताल तक पहुंचने के दौरान मरीज की मौत होने पर परिजन एंबुलेंस के कर्मचारियों को धमकी तक देते हैं। ऐसी स्थिति में उनके भीतर भय का माहौल समाया हुआ रहता है। यह जानकारी जिला प्रबंधक अजय ¨सह ने दी। उन्होंने तमाम परिजनों से अपील की है कि ¨जदगी और मौत किसी इंसान के हाथ में नहीं है। ऐसी स्थिति में एंबुलेंस के कर्मचारियों पर गुस्सा निकालना गलत बात है। यही कारण है कि कर्मचारी भय के माहौल में रहते हैं। उन्होंने परिजनों से सहयोग की अपील की है। कोट
108 एंबुलेंस के आने के बाद मरीजों को काफी राहत मिली है। सुविधाओं से लैस एंबुलेंस निशुल्क सेवा देने को तत्पर है। हर दिन दर्जन भर मरीज इसका लाभ भी उठा रहे हैं। बावजूद अफसोस की बात है कि हर दिन दो-तीन फर्जी कॉल आते हैं। इससे काफी परेशानी होती है। इसी तरह एंबुलेंस में मरीज की मौत होने पर परिजन एंबुलेंस के कर्मचारियों को धमकी देते हैं। यह गलत है। फिलहाल पलामू में 18 एंबुलेंस सेवारत है। सदर अस्पताल में दो और चैनपुर, हरिहरगंज, पीपरा, हुसैनाबाद, हैदरनगर, मोहम्मदगंज, विश्रामपुर, पांकी, लेस्लीगंज, तरहसी, सतबरवा, पड़वा, पाटन, नौडीहा बाजार और तरहसी में एक-एक एंबुलेंस मौजूद है। आम लोगों के लिए ही एंबुलेंस की सेवा बहाल की गई है। सबके सहयोग से इसे सफल बनाया जा सकता है।
अजय ¨सह, जिला प्रबंधक, 108 एंबुलेंस।