130 साल का हो गया पलामू, लेकिन समस्याएं यथावत
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जिले के लोगों को है विकास की उम्म्मीद, जपला सीमेट फैक्टी खुले तो बने बात
तौहीद रब्बानी,
मेदिनीनगर (पलामू) : मैं पलामू बोल रहा हूं। मेरा जन्म एक जनवरी 1892 को हुआ। एक जनवरी 2022 को मैं 130 साल का जाउंगा। झारखंड बनने से पहले ही मैने विकास को गति देने के लिए दो जिला गढ़वा व लातेहार को जन्म दिया। बावजूद अब तक मेरे हालात बेहतर नहीं हुए। हम आज भी अपेक्षाकृत विकास की उम्मीदें लगाए बैठे हैं। मेरे आंगन में राष्ट्रपति से लेकर कई प्रधानमंत्री,गृहमंत्री,रक्षामंत्री समेत न मालूम कितने केंद्रीय मंत्री,मुख्यमंत्री आए। मेरी धरती से जन्मे व कार्यक्षेत्र बनाकर कई केंद्रीय मंत्री ,विधानसभा अध्यक्ष समेत कई केंद्र व राज्य में मंत्री बने। यहां से कितने सांसद व विधायक बनें। बावजूद मेरी बदहाली बरकरार है। मेरे आंगन में रह रही 20 लाख से अधिक आबादी इस बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत इनकी सरकार से कई उम्मीदें लगाए बैठी है। शायद इस बार मुख्यमंत्री के दौरे से कुछ समाधान हो जाए। बाक्स:
जपला सीमेंट फैक्ट्री खुलने का सपना कब होगा साकार
फोटो: 09 डीजीजे 04 कैप्शन: बंद पड़ी जपला सीमेंट फैक्ट्री का खड़ा ढांचा पलामू प्रमंडल का एकमात्र पलामू जिला का जपला सीमेंट फैक्ट्री साल 1992 से बंद पड़ा है। पिछले कई चुनावों में यह अहम मुद्दा बनता रहा है। बंद पड़े जपला फैक्ट्री को पीएम समेत तत्कालीन गृहमंत्री से लेकर झारखंड के सीएम तक इसे दोबारा शुरू करने का वादा किया था। बावजूद यह फैक्ट्री नहीं खुली। पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद फैक्ट्री के कबाड़ नीलाम करा दिया गया। जमीन बची है। यहां आधारभूत सुविधा जमीन, पानी, रेल मार्ग इतनी है कि आधुनिक सीमेंट फैक्ट्री समेत कोई भी कारखाना खोला जा सकता है। इससे पलामू समेत राज्य के काफी लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। मालूम हो कि जपला सीमेंट फैक्ट्री पिछले 29 सालों से बंद पड़ी है। साल 2014 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव के दौरान मेदिनीनगर की सभा में नरेंद्र मोदी ने जपला सीमेंट फैक्ट्री खुलवाने का वादा किया था। जपला की चुनावी सभा 2014 व 2019 में देश के तत्कालीन गृहमंत्री वर्तमान के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व गृहमंत्री अमित शाह ने भी इस फैक्ट्री को खुलवाने का वाद किया था। यह अब तक पूरा नहीं हुआ। 28 मई 1992 से फैक्ट्री बंद है। फैक्ट्री के 95 प्रतिशत मजदूर इंतजार की घड़ियां गिनते हुए दुनिया भी छोड़ गए। जीवित रह गए मजदूर गरीबी के साए में जिदगी गुजर करने को मजबूर हैं।
-------------------------- करोड़ों की लागत से बने अस्पतालों में लटक रहे ताले फोटो: 09 डीजीजे 03 बाक्स: चिकित्सक-कर्मी विहीन चौकड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पलामू जिला के हैदरनगर के चौकड़ी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उदघाटन के दो वर्ष से अधिक बीत गए। बावजूद बंद पड़ा है। इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण पर 2. 41 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं। 10 सितंबर 2019 को इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का उदघाटन किया गया था। बावजूद अब तक लोगों को यहां पर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई। इस स्वास्थ्य केंद्र में अब तक न तो चिकित्सक की पदस्थापना हुई न ही कोई स्वास्थ्यकर्मी की नियुक्ति हुई। उदघाटन के बाद से उक्त स्वास्थ्य केंद्र ढांचा के रूप में खड़ा है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने 2018 में हैदरनगर दौरे के दौरान उन्होंने अपनी जन्मभूमि हैदरनगर प्रखंड मुख्यालय से लगभग 4 किमी दूर चौकड़ी गांव में नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण की घोषणा की। 10 सितंबर 2019 को इस अस्पताल का उदघाटन भी कर दिया। बावजूद स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य सुविधा विहीन है। मुख्यमंत्री जी स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सीय सुविधा मिलने लगती तो हैदरनगर अस्पताल पर बढ़ता रोगियों का दबाव कम होता। रोगियों को इलाज कराने के लिए करीब 80 किमी दूर पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर नहीं जाना पड़ता है। इससे लोग आर्थिक व शारीरिक परेशानियां झेलने बच जाते।
इधर पलामू जिला के तरहसी प्रखंड के पाठक पगार में अमानत नदी तट पर तीन करोड़ की लागत से बना असपताल 8 साल से बंद पड़ा है। यहां एक भी स्वास्थ्य कर्मी की पदस्थापना तक नहीं की गई है। नावाबाजार प्रखंड के इटको व कंडा में 3.5 करोड़ की लागत से बने अस्पताल भवन बंद पड़े हैं।