भ्रष्टाचार की बुनियाद पर बने शौचालय, अब हो गए खंडर
लोगो के साथ लीड----------- कागजों पर ओडीएफ हुआ है जिला खुले में शौच से नहीं मिली मुक्ति
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कागजों पर ओडीएफ हुआ है जिला, खुले में शौच से नहीं मिली मुक्ति, अभियान हुआ बेअसर फोटो 10 डालपी
कैप्शन : विश्रामपुर प्रखंड क्षेत्र में गांव से दूर बना शौचालय, बनने के कुछ ही दिनों बाद ध्वस्त हुआ शौचालय व हवा के झोंकों में उड़े शौचालय की छत जागरण टीम, पलामू: स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे जिले को भले ही खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय की स्थिति दयनीय है। कागजों पर शौचालय पूर्ण है धरातल पर नहीं। जो शौचालय बने थे वह भी बेकार हो गए हैं। अधिकांश जर्जर हो गए। सभी भ्रष्टाचार के भेट चढ़ गए। गांवों के लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।
इसमें पूरा दोष सरकारी एजेंसियों पर देना भी बेमानी होगी, दरअसल शौचालय निर्माण की बुनियाद ही भ्रष्ट्राचार पर रखी गई थी। स्थल चयन को लेकर हड़बड़ी में कई स्तरों पर गड़बड़ी बरती गई थी। बताया जाता है कि शौचालय निर्माण में 12 हजार रूपये का प्राक्कलन निर्धारित किया गया था। यह राशि लाभुक या एजेंसी तक पहुंचते-पहुंचते आठ से दस हजार तक हो जाता था। अब भला इतनी राशि में कोई भी लाभुक कैसे शौचालय का निर्माण करा सकते थे। धीरे-धीरे ग्रामीण शौचालय का उपयोग बंद कर खुले की आदत को अपनाने लगे। कई जगह तो शौचायल की स्थिति ठीक होने के बाद भी लाभुकों की आदत नहीं बदली। इसका परिणाम हुआ कि ओडीएफ एक जुमला तक सीमित रह गया। ओडीएफ नाम से मुस्कुराने लगते है विश्रामपुर के लोग
संवाद सूत्र, विश्रामपुर (पलामू) : खुले में शौच से मुक्त कराने के लिए प्रखंड में बड़े जोर-जोर से जागरूकता अभियान चलाया गया था। स्थिति यह बन गई थी कि मतलब नहीं जाने के बाद भी ओडीएफ शब्द यहां के बच्चे-बच्चे के जुबान पर ठहर गया था। लेकिन अब सिर्फ तीन वर्षों में स्थिति बदली है, लोगों से ओडीएफ के बारे में पूछने पर मुस्कुराहट झलकने लगती है। बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत गांव- गांव में व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण कराए गया था है। जानकारी के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन के तहत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण कराने को ले लाभुकों को 12000 की राशि दी जानी थी। जिसकी देखरेख के लिए गांव में जल सहिया का भी गठन किया गया था। लेकिन बताया जाता है कि कहीं भी शौचालय निर्माण में लाभुकों के खाते में पैसे नहीं दिए गए। नतीजतन स्थानीय मुखिया व जलसहिया की ओर से मिलकर शौचालय निर्माण कार्य किसी स्थानीय बिचौलिए की देखकर कराया गया। जिसका परिणाम ना तो गुणवत्ता युक्त शौचालय का निर्माण हो सका और ना ही इसके उपयोग में लाया गया। विश्रामपुर प्रखंड क्षेत्र में दर्जनों ऐसे शौचालय बने जो बनते ही जर्जर हो गए।
बाक्स: छतरपुर के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में बने शौचालयों का हाल बेहाल
संवाद सूत्र, छतरपुर (पलामू) :
छतरपुर में शत-प्रतिशत शौचालय निर्माण कराकर पूरे प्रखंड को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया ह। पर सच इससे कही अलग है। आरंभ में प्रधानमंत्री के घोषणा के बाद से छतरपुर प्रखंड के 23 पंचायतों के 117 गांव व टोला में मुखिया स्वयं सहायता समूह समेत कई संस्थाओं के द्वारा 12000 बारह हजार रुपये लगा कर हर परिवार को शौचालय का निर्माण किया गया। बावजूद इसके घर से बाहर शौच जाने वाले इंसान के आदतों में कोई बदलाव नही हुआ। प्रखंड के पश्चिम में काला पहाड़ पंचायत या पूर्व के चिरु, दक्षिण के हुलसम या उत्तर के दिनादाग सभी गाव के हालात पहले की तरह ही बन गई है। नगर पंचायत में भी घरों में शौचालयों का निर्माण के बाद भी लोगो के आदतों में कोई बदलाव नही हुआ है।
पक्ष
पूर्व के ग्रामीण क्षेत्रों में ही शौचालय का निर्माण हुआ है। सभी को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। शौचालय के इस्तेमाल के लिए जागरूकता जरूरी है।
कामेश्वर बेदिया, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत